
ऑटिज्म से जुड़े लक्षणों की पहचान करने में मस्तिष्क की स्कैनिंग से मदद मिल सकती है। इससे अपने आप में खोए रहने की इस बीमारी से लोगों को शीघ्र उपचार मुहैया कराने की राह आसान होगी। शोधकर्ताओं के एक समूह ने इसका खुलासा किया है।
ऑटिज्म मनोविज्ञान और व्यवहार से जुड़ी एक बीमारी है, जिससे प्रभावित लोग असामान्य रुप से आत्मकेंद्रित होते हैं। वे संचार संबंधी विकारों से ग्रस्त होते हैं और कहीं ध्यान करने में दिक्कत होती है।
प्रमुख शोधकर्ता राजेश काना के मुताबिक यह शोध दर्शाता है कि ऑटिज्म की पहचान के लिए मस्तिष्क की संयोजकता को तंत्रिका के संकेतो को रुप में देखा जा सकता है। इससे ऑटिज्म के चिकत्सीय परीक्षण में मदद मिलेगी। मस्तिष्क के क्षेत्र विशेष में स्थानांतरित होने वाली सूचनाएं , किसी ऑटिज्म पीड़ित व्यक्ति में कमजोर हो जाती हैं। इस स्थिति में शोधकर्ताओं ने ऑटिज्म के शिकार 15 व्यस्कों और 16 से 34 की उम्र के 15 ऐसे मरीजों पर अध्ययन किया जिनमें यह बीमारी विकसित हो रही थी।
अध्ययन से पता चला कि व्यस्क मरीजों ने अन्य के मुकाबले सामाजिक संकेतों को बिल्कुल अलग तरह से समझा। अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि मस्तिष्क में संचार संयोजन के दौरान आने वाली बादाओं के कारण ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने में खास तौर पर कठिनाई होती है।
Read More Health News In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version