अक्सर आपने सुना होगा कि बच्चों की याददाश्त काफी तेज होती है और बूढ़ों की कमजोर, जबकि ऐसा सबके साथ नहीं होता है। हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कम होने या फिर डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों की याददाश्त कमजोर है या तेज है, यह उनकी ब्रेन एक्टिविटी से पता लगाया जा सकता है। ऐसा हाल में हुई नई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया है। आइए जानते हैं क्या है ये रिसर्च।
क्या कहती है नई रिसर्च?
बच्चों और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर की गई यह रिसर्च बच्चों में मस्तिष्क गतिविधि और याददाश्त के बीच है। JNeurosci में हाल ही में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने पाया है कि हर बच्चे की ब्रेन एक्टिविटी यानि मस्तिष्क गतिविधि से पता चलता है कि उसकी याददाश्त कितनी अच्छी और मजबूत है।
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बच्चों की ब्रेन एक्टिविटी और याददाश्त के बीच संबंध
जब आप किसी फ़ोन नंबर को याद रखने की कोशिश करते हैं और जब आप उसे अपने फ़ोन में दर्ज करते हैं, तो आप अपने दिमाग में आने वाले नंबर को याद रखने के लिए अपनी कार्यशील मेमोरी यानि याददाश्त पर भरोसा करते हैं। जिसमें संक्षिप्त रूप से सूचनाओं को पकड़ना और हेरफेर करना फ्रंटोपार्टिकल नेटवर्क की गतिविधि पर निर्भर करता है, जो मस्तिष्क क्षेत्रों का एक समूह "कोग्निशन कोर" है। इससे पूरे विकास में कार्यशील मेमोरी प्रदर्शन बदल जाता है।
9 से 10 साल के 11,000 से अधिक बच्चों पर हुआ अध्ययन
अध्ययन के शोधकर्ता रोशेनबर्ग ने कहा, किशोर मस्तिष्क संज्ञानात्मक विकास (ABCD) डेटा सेट से fMRI डेटा का विश्लेषण किया। जिसमें नौ और दस वर्ष की आयु के 11,000 से अधिक बच्चों से स्कैन और व्यवहार का परीक्षण किया गया।
जिसमें देखा गया कि बेहतर काम करने वाली मेमोरी वाले बच्चों ने संज्ञानात्मक, भाषा और समस्या का हल निकालने वाले टास्क की एक सीमा पर बेहतर प्रदर्शन किया।
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एक मेमोरी टास्क के दौरान फ्रंटोपार्टिकल नेटवर्क में गतिविधि बच्चों की व्यक्तिगत काम करने की मेमोरी क्षमताओं को दर्शाती है, जिसमें वर्किंग मेमोरी अद्वितीय होती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोर मस्तिष्क संज्ञानात्मक विकास (ABCD) डेटा सेट दस साल के लिए बच्चों का पुन: परीक्षण करेगा, जिससे भविष्य के अध्ययनों में यह पता लगाया जा सकेगा कि वर्किंग मैमोरी के न्यूरल सिग्नेचर विकास के दौरान कैसे विकसित होता है।
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