बचपन को सबसे खास समय माना जाता है, क्योंकि इस दौरान शरीर में होने वाले बदलाव यह तय करते हैं कि भविष्य में आपकी सेहत कैसी रहने वाली है, इसलिए माता-पिता को बच्चे में नजर आने वाले असामान्य लक्षणों पर गौर करना चाहिए। अगर आपका बच्चा बार-बार हड्डियों में दर्द की शिकायत कर रहा है, चलने में परेशानी महसूस कर रहा है या रात में उठकर दर्द से रो रहा है, तो यह साधारण ग्रोथ पेन नहीं, बल्कि किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है। लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि हड्डी का कैंसर (Bone Cancer) बच्चों में दुर्लभ जरूर है, लेकिन जब होता है, तो बहुत तेजी से बढ़ता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है। खासकर ऑस्टियोसारकोमा (Osteosarcoma) और यूइंग सारकोमा (Ewing Sarcoma) जैसे बोन कैंसर, बच्चों और किशोरों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसलिए माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे हड्डी के कैंसर के शुरुआती लक्षणों को समझें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें। इस लेख में हम जानेंगे कि कौन से 7 लक्षण ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज करना बच्चे की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है और साथ ही आपको बताएंगे कि कब सतर्क होना चाहिए।
बचपन में हड्डी के कैंसर के संकेत- Bone Cancer Signs in Childhood
1. लगातार हड्डियों में दर्द- Persistent Bone Pain
अगर बच्चा किसी एक खास हिस्से में लगातार दर्द की शिकायत करता है, खासकर बिना किसी चोट के, तो यह सामान्य नहीं है। यह दर्द खासतौर पर रात में बढ़ता है और नींद खराब कर सकता है। अगर हड्डियों में दर्द, पेन किलर से भी ठीक न हो, तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
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2. सूजन या गांठ का बनना- Swelling or Lump on Bone
हड्डी के आसपास या जोड़ों में बिना चोट के सूजन, सख्त गांठ या उभार बनना हड्डी के कैंसर का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। यह सूजन धीरे-धीरे बढ़ती है और छूने पर दर्द भी हो सकता है।
3. चलने या दौड़ने में दिक्कत- Difficulty in Walking or Movement
अगर बच्चा चलने में लंगड़ा रहा है, दौड़ने या चढ़ाई-उतार में परेशानी महसूस कर रहा है, तो यह मांसपेशियों की कमजोरी नहीं बल्कि अंदरूनी हड्डी की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षणों को हल्के में न लें।
4. हड्डी का अचानक टूटना- Sudden Bone Fracture Without Injury
बिना किसी सीधी चोट या गिरावट के अगर बच्चे की हड्डी टूट जाए, तो यह हड्डी की मजबूती में कमी और अंदर कैंसर की उपस्थिति का संकेत हो सकता है। बोन कैंसर से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
5. थकान और कमजोरी- Fatigue and Weakness in Children
अगर बच्चा हर समय थका-थका या सुस्त रहता है, खेलने या हल्की शारीरिक गतिविधियों के बाद जल्दी थकान या कमजोरी हो जाती है, तो यह शरीर में कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ और इम्यून सिस्टम पर असर का संकेत हो सकता है।
6. अचानक बुखार और वजन घटना- Unexplained Fever and Weight Loss
बार-बार हल्का बुखार आना, बिना किसी वजह के वजन घटना या भूख न लगना भी हड्डी के कैंसर के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं। यह संकेत तब और गंभीर हो जाते हैं जब दर्द या सूजन के साथ हों।
7. रात में दर्द से नींद टूटना- Bone Pain At Night
अगर बच्चा अक्सर रात में हड्डियों में दर्द की वजह से जाग जाता है और रोने लगता है, तो इसे सामान्य दर्द मानकर अनदेखा न करें। यह ऑस्टियोसारकोमा जैसी स्थिति का संकेत हो सकता है।
कब सतर्क हों माता-पिता?
- जब बच्चा किसी एक ही जगह पर बार-बार दर्द की शिकायत करे।
- अगर दर्द हफ्तों तक बना रहे और घरेलू उपायों से ठीक न हो।
- जब दर्द के साथ सूजन, लंगड़ापन या गांठ हो।
- अगर बच्चा अचानक थका-थका या बुखार से परेशान रहने लगे।
- जब एक्स-रे में हड्डी में कुछ असामान्य दिखाई दे।
- ऐसे किसी भी संकेत पर तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से संपर्क करें। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर एमआरआई, सीटी स्कैन या बायोप्सी जैसी जांच की सलाह दे सकते हैं।
बचपन में हड्डी के कैंसर की पहचान जितनी जल्दी हो, इलाज की संभावना उतनी ही बेहतर होती है। कई बार लक्षण मामूली लग सकते हैं लेकिन अगर वे लगातार बने रहें या बिगड़ते जाएं, तो डॉक्टर की सलाह लेना टालना नहीं चाहिए।
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image credit: thesun.co.uk, cansa.org.za
FAQ
बोन कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
बोन कैंसर के शुरुआती लक्षणों में लगातार हड्डियों में दर्द, सूजन, चलने में दिक्कत, रात में दर्द बढ़ना, थकान और बुखार शामिल हैं। बिना चोट के हड्डी टूटना भी एक संकेत हो सकता है।कौन सा कैंसर हड्डी में फैल सकता है?
फेफड़े, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, थायरॉइड और किडनी का कैंसर अक्सर हड्डियों में फैल सकता है। इसे मेटास्टेटिस बोन कैंसर कहा जाता है, जिसमें कैंसर की कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों से हड्डियों तक पहुंचती हैं।बोन कैंसर कैसे ठीक होता है?
बोन कैंसर का इलाज ट्यूमर की जगह और स्टेज पर निर्भर करता है। मुख्य इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और कभी-कभी बोन ट्रांसप्लांट शामिल होते हैं। समय पर पहचान से इलाज सफल हो सकता है।