मेटाबॉलिज्म शरीर की वह प्रकिया है, जो हमारे द्वारा खाए गए भोजन को ऊर्जा, एंजाइम अथवा फैट में परिवर्तित करने का काम करती है। चयापचय की प्रक्रिया निरंतर हमारे शरीर में चलती रहती है, जिससे शरीर को ताकत मिलती है। मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया हमारे शरीर में 24 घंटे चलती है और इस प्रक्रिया को एनर्जी प्रोवाइडर भी कहा जाता है। साथ ही यह शरीर में नई कोशिकाएं बनाने में भी मदद करती है। यदि यह प्रकिया रुक जाए या इसमें किसी भी तरह की कोई समस्या हो तो शरीर की तमाम क्रियाएं भी रुक जाती हैं या फिर सारी प्रक्रियाएं असंतुलित हो जाती हैं।
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मेटाबॉलिज्म ज्यादा होने पर शरीर गर्म रहने लगता है और दिल की धड़कनें भी तेज हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में भूख ज्यादा लगती है और बुखार के लक्षण भी नजर आते है। अगर आपके शरीर में मेटाबॉलिज्म की प्रकिया धीमी हो जाती है तो शरीर में सुस्ती आने लगती है। थकान महसूस होती है और इसमें डिप्रेशन की संभावना भी होती है। ठंड या गर्मी ज्यादा लगने लगती है और ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है।
इस वजह से प्रभावित होती है मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया
पूरी नींद न लेना
अगर आप एक दिन में सात से आठ घंटे की नींद लेते हैं तो इससे आपका शरीर भी स्वस्थ रहता है और हार्मोन भी संतुलित रहते हैं, लेकिन अगर आप पूरी नींद नहीं लेते तो इसका प्रभाव आपके मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया पर भी पड़ता है और जब ये प्रक्रिया प्रभावित होती है तो इससे शरीर की सारी प्रक्रियाएं असंतुलित हो जाती हैं।
डी-हाइड्रेशन
यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते तो इससे आपकी मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया प्रभावित होती है। अगर शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी न मिले तो शरीर डी हाइड्रेट हो जाता है और स्लो मेटाबॉलिज्म की समस्या हो जाती है। इसलिए एक दिन में आठ से दस लीटर पानी पिएं।
समय पर खाना नहीं खाना
यदि आप ये सोचकर दिन में एक बार ही खाना खाते कि खाना नहीं खाने से आपका वजन कम होगा या फिर शरीर में जमा फैट कम हो जाएगा तो ऐसा बिल्कुल न करें। अगर आप समय पर खाना नहीं खाते हैं तो इससे आपका शरीर दिमाग को ये संदेश देता है कि आप भूखे हैं और इसकी वजह से आपकी मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
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