देश में 30 से 35 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाएं खानपान की गलत आदतों और आलस से भरी जीवनशैली के कारण मधुमेह की शिकार हो रही हैं। यह बात एक अध्ययन से सामने आई हैं। पश्चिमी भारत में तला हुआ खाना ज्यादा और फलों का सेवन न के बराबर करने से मधुमेह और मोटापे की समस्या पैदा होने का जोखिम बढ़ जाता है।
इंडस हैल्थ प्लस रिपोर्ट के अनुसार 45-50 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं और पुरुषों में मधुमेह होने का खतरा ज्यादा पाया गया है। इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन के अनुसार भारत विश्व की मधुमेह राजधानी है। यहां 37 करोड़ 10 लाख लोग मधुमेह का शिकार हैं और आधे मामले अनैदानिक हैं।
यह रिपोर्ट 14 नवंबर को मनाए जाने वाले विश्व मधुमेह दिवस की पूर्व संध्या पर जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में आश्चर्यजनक रूप से युवकों और खास तौर से 25-35 वर्ष के आयुवर्ग के युवकों में शर्करा का स्तर अधिक पाया गया।
अध्ययन में कहा गया है कि तेल, घी, मक्खन की खपत अधिक है और कोलेस्ट्रोल से लदा भोजन करने से मोटापा और रक्तचाप बढ़ता है और मधुमेह होने के आसार बढ़ जाते हैं। इंडस हैल्थ प्लस के संयुक्त प्रबंध निदेशक अमोल नैकावाडी ने कहा कि हमारी रिपोर्ट वयस्कों में ही नहीं बल्कि युवा पीढ़ी में भी मधुमेह की बीमारी होने की पुष्टि करती है, खासतौर से भारत में महिलाओं में खान पान की गलत आदतों, शारीरिक गतिविधियों की कमी, तंबाकू के सेवन से मधुमेह का जोखिम बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि अगर इसका इलाज न किया जाए तो मधुमेह की वजह से अंधता, हदय रोग और किडनी निष्क्रिय होने का जोखिम बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए वह नियमित जांच की हिमायत करते हैं।
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