मौसम बदलते ही डेंगू, मलेरिया, पीलिया और टायफाइड जैसी बीमारियां होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। डेंगू सुनने में जितना छोटा लगता है इसका डंक उतना ही बढ़ा है। इस बीमारी का प्रकोप इस कदर है कि सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि सेलेब्स और पॉपुलर लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। दरअसल, मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिम्बाचिया को डेंगू हो गया है और दोनों कोकिला बेन अस्पताल में एडमिट हैं। पॉश इलाकों में रहने वाले स्टार के सितारों पर डेंगू हर साल आफत बनकर आता रहता है। भारती और हर्ष पहले स्टार नहीं है जिन्हें डेंगू से जूझना पड़ा, बल्कि इनसे पहले और भी सेलेब्स इस रोग की चपेट में आ चुके हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि यह रोग कितना खतरनाक है और इससे बचने के लिए हम किस तरह सावधान रह सकते हैं।
क्या है डेंगू
यह एक ऐसी बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते बनने शुरू हो जाते हैं। जहां यह महामारी के रूप मे फैलता है वहां एक समय में अनेक प्रकार के विषाणु सक्रिय हो सकते है। डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और अक्षम कर देने वाली बीमारी है। इसमें मरीज के शरीर में दर्द बहुत ज्यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी आम हो जाती है, क्यों कि इस मौसम गंदगी की वजह से महामारी फैलने की समस्या ज्यादा रहती है। विषाणु जनित इस रोग को एंटीबायोटिक दवाइयों से ठीक नहीं किया जा सकता है।
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डेंगू के लक्षण
- सर्दी लगकर तेज बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- आंखों में दर्द होना।
- उल्टी आना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- शरीर, जोड़ों व पेट में दर्द होना।
- शरीर में सूजन होना।
- त्वचा पर लाल निशान आ जाना।
- कुछ लोगों को इस बीमारी में रक्तस्राव (ब्लीडिंग) भी हो जाता है। जैसे मुंह व नाक से और मसूढ़ों से। इस स्थिति को डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहा जाता है।
- पेशाब लाल रंग का आना, काले दस्त आना।
- दौरे आना और बेहोशी छा जाना।
- ब्लड प्रेशर का कम (लो) होना, जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं। इस स्थिति में शरीर के विभिन्न अंगों को सुचारु रूप से रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती।
क्यों होता है डेंगू
डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। हालांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है। यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है। डेंगू आमतौर पर डेन1, डेन2, डेन3 और डेन4 सरोटाइप का होता है। 1 और 3 सरोटाइप के मुकाबले 2 और 4 सेरोटाइप कम खतरनाक होता है। टाइप 4 डेंगू के लक्ष्णों में शॉक के साथ बुखार और प्लेट्लेट्स में कमी, जबकि टाइप 2 में प्लेट्लेट्स में तीव्र कमी, हाईमोरहैगिक बुखार, अंगों में शिथिलता और डेंगू शॉक सिंडरोम प्रमुख लक्षण हैं। डेंगू की हर किस्म में हीमोरहैगिक बुखार होने का खतरा रहता है, लेकिन टाइप 4 में टाइप 2 के मुकाबले इसकी संभावना कम होती है। डेंगू 2 के वायरस में गंभीर डेंगू होने का खतरा रहता है।
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डेंगू का इलाज
- गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत पड़ती है। हालांकि डेंगू की गंभीरता न होने की स्थिति में घर पर रह कर ही उपचार दिया जा सकता है और पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती।
- इस रोग में रोगी को तरल पदार्थ का सेवन कराते रहें। जैसे सूप, नींबू पानी और जूस आदि।
- डेंगू वायरल इंफेक्शन है। इस रोग में रोगी को कोई भी एंटीबॉयटिक देने की आवश्यकता नहीं है।
- बुखार के आने पर रोगी को पैरासीटामॉल की टैब्लेट दें। ठंडे पानी की पट्टी माथे पर रखें।
- रोगी को यदि कहीं से रक्तस्राव हो रहा हो, तभी उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
- डेंगू का बुखार 2 से 7 दिनों तक रहता है। इस दौरान रोगी के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा घटती है। सात दिनों के बाद स्वत: ही प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। लक्षणों के प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करें।
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