आप भी खाने में तीखा-मीठा एक साथ खा लेते हैं? आयुर्वेद के अनुसार क्या है मीठा खाने का सही समय

क्या खाने के साथ मीठा खाना सही है? जानें आयुर्वेद के अनुसार मीठी, तीखी और नमकीन चीजें खाने का सही समय और क्रम क्या है।
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आप भी खाने में तीखा-मीठा एक साथ खा लेते हैं? आयुर्वेद के अनुसार क्या है मीठा खाने का सही समय

भारतीय खाने की थाली में मीठे व्यंजनों का एक विशेष महत्व है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में खाने के साथ कुछ न कुछ मीठा खाने की परंपरा है। लेकिन क्या आयुर्वेद खाने के साथ मीठा खाने को सही मानता है? कुछ लोग खाने के साथ मीठा गलत तरीके से खाते हैं, जिसके कारण उनकी सेहत और पाचन पर बुरा असर पड़ता है। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार भोजन मीठा, तीखा और नमकीन चीजें खाने के कुछ नियम हैं, जिन्हें नजरअंदाज करने पर लंबे समय में सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आयुर्वेद भोजन की तासीर और स्वाद के अनुसार खाने को एक खास क्रम में खाने की बात कहता है। जनजीवन आयुर्वेद प्रयागराज के वैद्य गजानंद सिंह बताते हैं कि गलत तरीके से मीठा, तीखा खाने पर जठराग्नि प्रभावित होती है और पाचन पर असर पड़ता है। आइए उनसे जानते हैं मीठा खाने का सही नियम।

खाने में मीठा और तीखा एक साथ क्यों नहीं खाना चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार मीठा और तीखा एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे पाचन धीमा हो जाता है और शरीर भोजन के पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है। विज्ञान भी यही मानता है कि मीठी चीजों में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जिसे तोड़ने में पाचनतंत्र को ज्यादा समय लगता है। इसलिए मीठा, तीखा एक साथ खाने पर अपच और गैस की समस्या हो सकती है। इससे भोजन को पचने में समय लगता है और व्यक्ति को आलस आता है।

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आयुर्वेद के अनुसार क्या है मीठा, तीखा और नमकीन खाने का सही नियम?

आयुर्वेद की मानें तो खाने में सबसे पहले कच्चे सलाद खाने चाहिए, जिनका स्वाद उनके गुण के अनुसार कसैला, मीठा या अम्लीय कैसा भी हो सकता है। इसके बाद आपको खट्टी चीजें, फिर नमकीन चीजें और अंत में तीखी चीजें खानी चाहिए। लेकिन मीठा खाने से थोड़े समय पहले या बाद में ही खाना चाहिए। खाने के बाद मीठा खाने से शुगर बढ़ता है और ये जठराग्नि (पाचन अग्नि) को धीमा कर सकता है, जिससे खाना पचता नहीं। इस कारण से व्यक्ति को सीने में जलन, अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

अगर आप खाने के पहले या बाद में भी मीठा खाते हैं, तो ध्यान रखें कि मीठे व्यंजन की मात्रा कुल भोजन का 1/8 वां हिस्सा ही होना चाहिए। यानी यह सही नहीं है कि आप नमकीन चीजें कम खाएं और मीठा ढेर सारा खा लें।

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नमकीन और तीखी चीजें पहले क्यों खाना चाहिए?

आयुर्वेद में 6 रस बताए गए हैं, जिनका संतुलन आपके भोजन में होना चाहिए। ये रस हैं- लवण, मधुर, अम्ल, तिक्त, कटु और कषाय। मधुर रस का मतलब मीठी चीजों से हैं। यहां यह जरूरी नहीं कि स्वाद में मीठी चीजों में ही मधुर रस हो क्योंकि दूध, घी, बादाम, अखरोट जैसे भोज्य भी मधुर रस के अंतर्गत ही आते हैं। इनमें से घी को छोड़कर अन्य चीजों का सेवन मुख्य भोजन के साथ नहीं करना चाहिए। 

तीखे और नमकीन व्यंजन आपके पाचनतंत्र को सक्रिय करते हैं। इनके सेवन से शरीर तुरंत पाचक रस उत्पादित करने लगता है और भोजन को पचाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस बीच शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसीलिए तीखा खाने के बाद कुछ लोगों को पसीना आता है और गर्मी लगने लगती है। लेकिन यहां भी लोग गलती करते हैं कि तीखा खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं। ऐसा करने से भी पाचन पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए खाना उतना ही तीखा खाएं, जिसे आप बिना पानी पिए पूरा खा सकें। भोजन के बीच में पानी पीना सही नहीं है।

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प्राकृतिक और सेहतमंद मीठी चीजें खाएं

गजानंद जी बताते हैं कि पहले के समय में इतने तरह की मिठाइयां और व्यंजन नहीं होते थे, जितने आज हैं और न ही उन्हें बनाने में सफेद चीनी का इस्तेमाल होता था। तब मीठे व्यंजन बनाने के लिए सूखे फलों (ड्राई फ्रूट्स), फलों के रस (फ्रूट जूस), शहद, गुड़, महुआ, दूध का खोया आदि का प्रयोग किया जाता था। लेकिन आजकल मीठे व्यंजनों में पेस्ट्री, डोनट्स, ब्राउनीज, चीनी घोलकर बनाई गई मिठाइयां आदि खाने का चलन बढ़ गया है। ये सभी चीजें सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। अगर आपको खाने के बाद मीठा खाने की तीव्र इच्छा होती है, तो थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा चूस लें या ड्राई फ्रूट्स खा लें। कभी-कभार खीर, हलवा, लस्सी, गुड़ दही आदि भी खा सकते हैं।

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