भारत में वर्षों से योग और मुद्रा की परंपरा रही है। लोग कई तरह के योगासन की मदद से अपने आपको स्वस्थ रखते हैं। पुषाण मुद्रा एक सांकेतिक पोजीशन है, जिसमें हाथ और उंगलियों की अलग-अलग पोजीशन होती है। ऐसी मुद्राएं आपने पेंटिग्स या डांस करते समय देखा होगा। ये मुद्राएं हमारे शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाती है। इनका लगातर अभ्यास करने से आपको काफी एनर्जी भी मिलती है। आपको बताते दें कि शरीर में तीन तरह की वायु होती है, जिसमें प्राण, व्यान और अपान है। पुषाण मुद्रा इन तीनों वायु स्थितियो में लाभ प्रदान करती है। इस मुद्रा से ध्यान केंद्रित करने,तनाव कम करने और याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे पाचन क्रिया भी मजबूत होती है।
पुषाण मुद्रा के फायदे (Benefits of Pushan mundra)
1. पाचन संबंधी समस्याओं को करें दूर
पुषाण मुद्रा के अभ्यास से पेट फूलने, मतली और अधिक भोजन के बाद की स्थिति में आराम मिलता है। इससे गैस्ट्रिक समस्याओं को भी खत्म किया जा सकता है। खाना खाने के बाद आप पैरों के बल बैठकर अपने हाथों को जांघ पर रखकर थोड़ी देर बैठ सकते हैं। अपच की स्थिति में इससे भी आराम मिल सकता है।
2. सांस लेने की तकलीफ में आराम
पुषाण मुद्रा की मदद से सांस संबंधित समस्याओं में भी काफी आराम मिलता है। इससे सांस की सांस लेने में परेशानी होने पर, बलगम जमा होने पर और दमा की परेशानी में भी कर सकते हैं। इन परेशानियों में ये मुद्राएं काफी लाभदायक होती है।
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3. तनाव कम करे
पुषाण मुद्रा की सहायता से तनाव कम करने में भी मदद मिलती है। यह याददाश्त बढ़ाने और ध्यान केंद्रित करने में भी सहायक है। इससे आप सकारात्मक सोच की ओर भी अग्रसर होते हैं।
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4. हाई ब्लड प्रेशर में सहायक
पुषाण मुद्रा से आपका हाई ब्लड प्रेशर भी सही रहता है। यह शरीर के रक्तसंचार को सही कर सभी अंगों के विकास में मदद करता है।
पुषाण मुद्रा करने का तरीका
पुषाण मुद्रा दोनों हाथों से की जाती है। अन्य मुद्रा की तुलना में इसमें दोनों हाथ की पोजीशीन अलग-अलग होती है। हम दाहिने हाथ से इस मुद्रा को करने के तरीके के बारे में जानेंगे।
1. सबसे पहले योग मुद्रा में बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को जांघों पर रखें।
2. फिर अपनी मिडिल फिंगर और इंडेक्स फिंगर को अंगूठे से दबाएं ।
3. इस दौरान अपने दाहिने हाथ की मिडिल फिंगर या रिंग फिंगर और छोटी उगंली को फैलाकर रखना है। इसमें अपनी हथेली को ऊपर की ओर रखें।
4. इस मुद्रा की मदद से आपको अधिक भोजन के बाद एसिड रिफ्लक्स की स्थिति से राहत मिलती है।
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बाएं हाथ से पुषाण मुद्रा करने का तरीका
1. इसके लिए सबसे पहले आप अपने बाएं हाथ की मिडिल फिंगर और रिंग फिंगर को अंगूठे से दबाएं।
2. इस दौरान आपकी इंडेक्स और पिंकल फिंगर बाहर की तरफ खुली रहेंगी और साथ ही हथेली ऊपर की ओर रहेगी।
3. अब अपने हाथों के पिछले हिस्से को जांघों पर रखें।
4. फिर सांस लेते हुए उंगलियों से अंगूठे पर दबाव बढ़ाएं और सांस छोड़ते हुए दबाव कम करें और रिलैक्स करें।
आप इस मुद्रा का अभ्यास सुबह या खाने के बाद भी कर सकते हैं। इसके अलावा इस मुद्रा का अभ्यास किसी भी स्थिति में कर सकते हैं। जैसे इसे आप वज्र मुद्रा या अनुग्रह मुद्रा के दौरान भी कर सकते हैं। यह मुद्रा पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है। इस मुद्रा को पांच मिनट के अंतराल के बाद 45 मिनट तक कर सकते हैं। अगर आपने अभी शरुआत की है तो, आराम से और धीरे-धीरे आसन का समय बढ़ाएं। शांत वातावरण में ये मुद्राएं करें और हो सके तो खाली पेट में करें क्योंकि यह मुद्रा शरीर में एनर्जी के प्रवाह को भी प्रभावित करती है।