ऑटिज्म पीडि़त बच्चे जब अपने आसपास की चीजों को देखते हैं, तो उनका दिमाग आपस में तालमेल नहीं बिठा पाता। इस स्थिति में उन्हें ठीक ऐसा अहसास होता है, जैसे बुरे ढंग से डबिंग की गई किसी फिल्म को देखने पर आम इनसान को होता है। ऐसे में बच्चे अपनी आंख ओर कान का इस्तेमाल कर आसपास की घटनाओं को जोड़ने का प्रयास करते हैं। एक नये अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है।
'वेंडरबिल्ट ब्रेन इंस्टीट्यूट' के शोधकर्ताओं ने इस नयी खोज को बहुत अहम माना है और उन्हें उम्मीद है कि इससे ऑटिज्म के लिए नये इलाज ढूंढने में मदद मिलेगी। प्रमुख शोधकर्ता मार्क वैलेस ने कहा, 'आज के समय में ऑटिज्म का इलाज करने में काफी समय और ऊर्जा खर्च होती है। इनमें से कोई भी इतना असरदार नहीं है, जिससे बच्चो को गारंटी इलाज मिल सके।
अगर अह शुरुआती दौर में ही बच्चों की संवेदक कार्यक्षमता को दुरुस्त कर सकें तो उनके बातचीत करने के तरीकों को सुधारा जा सकता है। यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो इस ओर इशारा करता है कि संवदेक गतिविधियों में रुकावट आने पर ऑटिज्म पीडि़त बच्चों के बातचीत करने का तरीका प्रभावित होता है। शोधकर्ताओं ने 6 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों पर अध्ययन किया।
उन्होंने ऑटिज्म पीडि़त बच्चों और सामान्य रूप से बढ़ने वाले बच्चों की तुलना की। इस दौराना दोनों समूहों के बच्चों को कंप्यूटर पर अलग-अलग तरह के टास्क दिए गए। शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑटिज्म पीडि़त बच्चों को आवाज और वीडियो के बीच सामंजस्य बिठाने में दिक्कत हुई जिससे वह टास्क में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके।
Source - Daily Mail
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