चिकित्सक अक्सर आर्टियल फिब्रीलेशन (एएफ) के एक तिहाई मरीजों को मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स की बजाय एस्प्रिन देते हैं। आर्टियल फिब्रीलेशन एक बीमारी है जिसमें दिल के दौरे पड़ते हैं जिसको रोकने के लिए एस्प्रिन दी जाती है। जबकि एस्प्रिन से एएफ की वजह से होने वाले थ्रोम्बियोम्लिजम को रोकने में कोई मदद नहीं मिलती।
हाल ही में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियॉलॉजी की पिनाकल रजिस्ट्री में एक शोध प्रकाशित हुई है। इस शोध के अनुसार एएफ के मरीजों के नए मूल्यांकन के मुताबिक, तकरीबन 40 फीसदी मरीजों को मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स की बजाय केवल एस्प्रिन दी गई। इस शोध में एस्प्रिन लेने वाले और एंटी-कोगुलेंट्स लेने वाले मरीजों के बीच में तुलना की गई। इस शोध में कई तरह के बदलाव देखे गए। जैसे कि जिन मरीजों को एस्प्रिन दी गई है, उनमें दिल के रोगों का खतरा उन लोगों की तुलना में ज्यादा है, जिन्हें मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स दी गई।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के ऑनरेरी सक्रेटरी व हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि ऐसे ही कई अन्य शोधों से ये प्रमाणित हो चुका है कि एस्प्रिन एंटी-कोगुलेंट्स नहीं है और यह एएफ से होने वाले स्ट्रोक को रोकने में मदद नहीं करती।
उन्होंने बताया कि गलत इलाज के खतरे को समझते हुए आईएमए ने अपने ढाई लाख डॉक्टर सदस्यों को इस बारे में जानकारी देने के लिए सर्कुलर भेज दिया है कि आर्टियल फिब्रीलेशन के मरीज, जिन्हें दिल के दौरे का कम खतरा होता है, उन्हें एस्प्रिन न दी जाए।
Read more Health news in Hindi.
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version