आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो जीवन के सभी पहलुओं पर ध्यान देती है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा शामिल हैं। आयुर्वेद में सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं होता है बल्कि बीमारी की जड़ के बारे में पता लगाकर इसको पूरी तरह से ठीक करने पर काम किया जाता है। वर्तमान समय में ज्यादातर बीमारियां खराब लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों के कारण होती हैं, ऐसे में अगर आप सेहतमंद रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करें, जिसके लिए आयुर्वेद में कई टिप्स दी गई हैं। आयुर्वेद के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम अपने पाठकों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी देगें और इसके साथ ही रियल स्टोरीज भी शेयर करेंगे, ताकि लोग आयुर्वेद के बारे में जान सकें। आज के इस लेख में हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए क्या करें? इस बारे में जानने के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा से बातचीत की-
स्वस्थ जीवन शैली कैसे बनाएं?
आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि एक अच्छे और स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद के कई सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। इनमें दिनचर्या, ऋतुचर्या, दोषों के अनुसार संतुलित आहार और व्यायाम शामिल हैं।
1. दिनचर्या - Dinacharya
आयुर्वेद में दिनचर्या को अत्यधिक महत्व दिया गया है। डॉ. शर्मा के अनुसार, दिनचर्या का पालन करने से शरीर की आंतरिक घड़ी के साथ तालमेल बैठाया जा सकता है, जोकि स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। दिनचर्या के अंतर्गत, सुबह जल्दी उठना, तेल मालिश (Abhyanga), योग और प्राणायाम, हेल्दी नाश्ता और रात में जल्दी सोना शामिल है। ये सभी न केवल शरीर को स्फूर्ति प्रदान करती हैं, बल्कि मानसिक शांति भी लाती हैं।
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2. ऋतुचर्या - Ritucharya
आयुर्वेद में ऋतुचर्या का मतलब है मौसम के अनुसार जीवनशैली में बदलाव। हर मौसम का शरीर और मन पर अलग प्रभाव पड़ता है, इसलिए आयुर्वेद के अनुसार मौसम के हिसाब से आहार और दिनचर्या में बदलाव करना चाहिए। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, ऋतुचर्या का पालन करने से मौसमी बीमारियों से बचाव होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी मजबूत होती है। उदाहरण के लिए, गर्मियों में हल्का और ठंडक देने वाला भोजन, जबकि सर्दियों में गरिष्ठ और ऊर्जा देने वाला भोजन लेना चाहिए।
3. दोषों के अनुसार संतुलित आहार - Balanced Diet According to Doshas
आयुर्वेद में तीन दोषों—वात, पित्त और कफ का वर्णन किया गया है, जो हमारे शरीर के विभिन्न कार्यों को कंट्रोल करते हैं। डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का एक प्रमुख दोष होता है और उसी के अनुसार डाइट लेनी चाहिए। उदाहरण के लिए, वात दोष वाले लोगों को गर्म, तैलीय और मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए, जबकि पित्त दोष वाले लोगों को ठंडे और हल्के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। दोषों के अनुसार आहार का चयन करने से शरीर में संतुलन बना रहता है और स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है।
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डॉ. शर्मा बताते हैं कि भोजन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि हम क्या खा रहे हैं और कैसे खा रहे हैं। आयुर्वेद के अनुसार, भोजन शांति के साथ करना चाहिए। जल्दबाजी में खाना, बहुत अधिक खाना या ज्यादा ठंडा या गर्म भोजन करने से पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। भोजन को अच्छे से चबाना चाहिए। इसके अलावा, आयुर्वेद में दिन में दो बार भोजन करने की सलाह दी जाती है, जिसमें हल्का नाश्ता और रात का भोजन शामिल है।
4. एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी - Exercise and Physical Activity
एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी आयुर्वेदिक जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार, नियमित व्यायाम न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है। आयुर्वेद में योग और प्राणायाम का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, बल्कि मानसिक संतुलन को भी बढ़ावा देते हैं। सुबह के समय हल्के व्यायाम, सूर्य नमस्कार, और प्राणायाम का अभ्यास करना लाभकारी होता है। यह शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है और दिनभर ताजगी का एहसास कराता है।
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5. जड़ी-बूटियां एवं प्राकृतिक उपचार - Herbs and Natural Remedies
आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों का भी जरूरी स्थान है। डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि ये जड़ी-बूटियां शरीर के विभिन्न दोषों को संतुलित करने में मदद करती हैं और कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में उपयोगी होती हैं। जैसे कि अश्वगंधा, तुलसी, हल्दी और त्रिफला आदि जड़ी-बूटियां न केवल रोगों से बचाव करती हैं बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को भी बढ़ाती हैं।
इन जड़ी-बूटियों का नियमित सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि सही मात्रा और सही समय पर सेवन ही लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा, आयुर्वेद में पंचकर्म और विभिन्न घरेलू उपचार भी शामिल हैं, जो शरीर को शुद्ध करने और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, आयुर्वेद एक संपूर्ण चिकित्सा प्रणाली है जो जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित करती है। दिनचर्या, ऋतुचर्या, दोषों के अनुसार आहार और व्यायाम करके हम एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं। यदि आप अपने जीवन में आयुर्वेदिक सिद्धांतों को अपनाते हैं, तो आप न केवल बीमारियों से बच सकते हैं बल्कि एक लंबे और स्वस्थ जीवन का आनंद भी ले सकते हैं।