ग्रीन टी गर्भधारण करने में भी मदद करती है। कहने का मतलब ये है कि यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं; लेकिन किसी कारणवश नहीं कर पा रहीं तो कुछ दिनों तक ग्रीन टी का सेवन करें। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़े।
सामान्यतः ग्रीन टी को माडर्न जीवनशैली का हिस्सा माना जाता है। इसकी एक वजह ये है कि यह मोटापा कम करने में सहायक है और मोटापा सबसे तेजी से फैल रही बीमारियों में एक है। बहरहाल रोजाना दो कप ग्रीन टी पीने से हमारे शरीर में अतिरिक्त कैलोरी नहीं जाती जो कि हमें फिट रखने के लिए जरूरी है। लेकिन ग्रीन टी की खूबियां सिर्फ पतला बनाने तक सीमित नहीं है। आपको आश्चर्य होगा कि ग्रीन टी गर्भधारण करने में भी मदद करती है। कहने का मतलब ये है कि यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं; लेकिन किसी कारणवश नहीं कर पा रहीं तो कुछ दिनों तक ग्रीन टी का सेवन करें। निश्चित रूप से आप जानना चाहते होंगे कि ग्रीन टी का गर्भधारण से क्या सम्बंध? आइये जानते हैं।
ग्रीन टी में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकर हैं। इसके अलावा तमाम शोध इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि ग्रीन टी हमारी फर्टिलिटी को भी प्रभावित करती है। दरअसल ग्रीन टी में अनफर्मेंटेड चाय की पत्तियों का इस्तेमाल होता है और इसमें पोलिफेनल भी पाया जाता है। ये रसायन एंटीआक्सीडेंट के रूप में काम करता है। साथ ही ये रसायन हमारे सेल्स को कैंसर और अन्य बीमारियों से क्षति होने से बचाता है। एक छोटे से अध्ययन से इस बात का पता चला है कि ग्रीन टी में इस्तेमाल होने वाले पौष्टिक तत्व, विटामिन और मिनरल शरीर पर सकारात्मक छाप छोड़ते हैं। लगातार ग्रीन टी पीने वाली प्रत्येक 15 महिलाओं में से हर तीसरी महिला महज पांच महीनों के भीतर गर्भधारण कर लेती हैं। हालंाकि इस अध्ययन पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि यह बहुत छोटे स्तर पर किया गया था। बावजूद इसके इस बात पर भरोसा अवश्य होता है कि ग्रीन टी गर्भधारण में सहायक है।
ग्रीन टी में कैफीन भी मौजूद होती है जो कि मिस्कैरिज की एक बड़ी वजह है। इसके अलावा यदि ज्यादा मात्रा में कैफीन का सेवन किया जाए तो नवजात शिशु कम वजन के साथ पैदा हो सकता है। कहने का मतलब है कि कैफीन शिशु के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कैफीन के अवगुणों को जानते ही ग्रीन टी के पैकेट को घर से निकाल बाहर किया जाए। हालांकि ग्रीन टी में कैफीन होती है लेकिन काफी की तुलना में इसमें काफी कम मात्रा में कैफीन पायी जाती है। एक सामान्य ग्रीन टी के प्याले में महज 20 मिलीग्राम कैफीन होती है जबकि सामान्य चाय में 50 मिलीग्राम कैफीन पायी जाती है और काफी में 100 मिलीग्राम कैफीन होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से ज्याद कैफीन हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसादेय है। कहने का मतलब साफ है कि ग्रीन टी उतनी ही पीयें जितनी जरूरी है। इसे नशा न बनने दें और 10 कप से अधिक ग्रीन टी एक दिन में कतई न पीयें।
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यूं तो कैफीन और फर्टिलिटी सम्बंधित समस्याओं का आपस में कोई लिंक है या नहीं, इसे पुष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता। लेकिन यदि आप आईवीएफ या अन्य किसी फर्टिलिटी ट्रीटमेंटस से गुजर रही हैं तो बेहतर है कि कैफीन का सेवन कम कर दें। कैफीन के कारण हो सकता है कि ट्रीटमेंट उतना असरकारक न हो सके जितना कि उसे होना चाहिए। कैफीन की बजाय ग्रीन टी का सेवन करें। ग्रीन टी आप खाना खाने के दौरान या इसके बाद भी ले सकते हैं। जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि इसमें पोलिफेनल होता है। यह रसायन अन्य आहार से मिले आयरन में कटौती करता है।
गर्भधारण के दौरान यदि महिला बहुत ज्यादा ग्रीन टी पीती हैं तो इसका बुरा प्रभाव शिशु पर देखने को मिलता है। दरअसल एक अध्ययन से पता चलता है कि ग्रीन टी का सम्बंध शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स मसलन स्पाइना बिफिडा से है। वास्तव में स्पाइना बिफिडा एक गंभीर समस्या है जिसमें सेंट्रल नर्वस सिस्टम पूरी तरह बंद होने में असमर्थ होता है। यूं तो न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का सम्बंध फोलिक एसिड डेफिशियेंसी से है। लेकिन अध्ययन से पता चलता है कि ग्रीन टी उस प्रक्रिया को प्रभावित करता है जिसके जरिये हमारा शरीर फोलिक एसिड हासिल करता हैं।
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अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि जो महिलाएं रोजाना ग्रीन टी पीती हैं उनमें गर्भधारण की उम्मीद दुगनी हो जाती है। असल में ग्रीन टी एग्स को ज्यादा मैच्योर करते हैं साथ ही ज्यादा फर्टाइल भी बनाती है। इन तमाम लाभ के चलते महिलाएं आसानी से गर्भधारण कर पाती हैं। यही नहीं जिनके स्पर्म की गिनती कम हो, वे भी इसका सेवन कर सकते हैं क्योंकि ग्रीन टी पीने से स्पर्म काउंट में वृद्धि आती है।'
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