मच्छरों से फैलने वाली 6 बड़ी बीमारियों से कैसे बचें? जानें इन बीमारियों से होने वाले खतरे

Diseases Spread By Mosquitoes: यहां आप जानें कि मच्छरों के काटने से कौन-कौनी सी बीमारियां होती हैं। 

Written by: Sheetal Bisht Updated at: 2020-06-11 19:38

दुनिया भर में मच्छरों का काटना और उनसे होने वाली बीमारियां चिंता का विषय बन रही हैं। दरअसल मच्छरों के काटने से जो बीमारियां होती हैं, उनमें से ज्यादातर जानलेवा होती हैं। दुनिया भर में मच्छरों से होने वाली बीमारियों के कारण हर साल लगभग 1 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। हम अधिकतर मच्छर के काटने को मामूली दिक्कत समझते हैं लेकिन ये समस्या जितनी सामान्य नजर आती है ये उससे कहीं ज्यादा गंभीर हो सकती है। आइए जानते हैं मच्‍छरों के काटने से होने वाली बीमारी और उनसे संभव बचाव व मुकाबले के बारे में। 

मलेरिया

मच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारियों में मलेरिया सबसे खतरनाक है। मलेरिया की वजह से हर साल दुनियाभर में 400,000 लोगों की मौत होती है। हालाँकि, भारत में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। 2017 में, भारत में दुनिया भर में से मलेरिया के 4% मामलों का हिसाब है, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की, जिसमें भारत के 17 मामले शामिल हैं। 2010 में 7 से 2017 में जोखिम में प्रति 1000 जनसंख्या पर बीमारी। भारत (ओडिशा और उत्तर-पूर्वी राज्यों) में सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में मामलों में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

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2030 तक मलेरिया को पूरी तरह से समाप्त करने की अपनी खोज में, भारत बेड-नेट की मुफ्त पहुंच प्रदान करने, तेजी से निदान के उपयोग का विस्तार करने और शीघ्र उपचार प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। आज तक, इस बीमारी का कोई टीकाकरण अभी तक खोजा नहीं गया है। केंद्रीय अधिकारियों द्वारा विभिन्न सार्वजनिक संवेदीकरण कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं।

डेंगू बुखार

भारत में डेंगू बुखार तेजी से बढ़ रहा है और इस बीमारी के मामलों में भारी वृद्धि हुई है। एक सरकारी मैगजीन के अनुसार, 2017 में डेंगू के मामले 2015 में 100,000 से बढ़कर 160,000 हो गए। डेंगू बुखार के लिए भारत सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में से एक है। स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 618 अस्पतालों और 16 प्रयोगशालाओं में मुफ्त डेंगू किट आवंटित करने की योजना बना रहा है। वे मच्छर निगरानी और प्रबंधन बढ़ाने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। चूंकि डेंगू बुखार बढ़ रहा है, इसलिए लोगों को इस बीमारी से खुद को बचाने के लिए जरूरी निवारक उपाय करने चाहिए। डेंगू के लिए कोई टीकाकरण उपलब्ध नहीं है लेकिन नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं। डेंगू बुखार से बचाव के लिए इसके लक्षण व संकेत मिलते ही इलाज जरूरी है। 

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पीला बुखार 

पीला बुखार फ्लेविवायरस की वजह से होता है। यह एक संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। पीला बुखार अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन के कुछ हिस्सों में होता है। भारतीय इस बीमारी के संपर्क में नहीं हैं, पिछले कुछ दशकों में पीले बुखार के कोई भी मामले सामने नहीं आए हैं। हालांकि, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे खासकर बरसात के मौसम में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से पहले येलो बुखार के लिए टीका लगवाएं। इस बीमारी का कोई ज्ञात इलाज नहीं है और उपचार रोगसूचक है। जिसका उद्देश्य रोगी के आराम के लिए लक्षणों को कम करना है।

इंसेफेलाइटिस

यह भी एक मच्छर जनित बीमारी है, जिसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आसपास सूजन हो जाती है और रोगी को अगर तुरंत इलाज ना मिले तो उसे काफी दिक्कत हो जाती है। इंसेफेलाइटिस भारत में चिंता का कारण बन रहा है। इस बीमारी की वजह से हाल ही में गोरखपुर और आस-पास के जिलों में 500 बच्चों की मौत हो गई। कमजोर प्रतिरक्षा वाले बच्चों और बुजुर्गों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। लक्षणों में शामिल हैं - बुखार, भ्रम, उनींदापन, सिरदर्द, थकान या कमजोरी, दौरे, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल है।

जीका

ज़ीका भारत के लिए एक असामान्य घटना थी, जिसकी वजह से जयपुर में प्रकोप आ गया था है (पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य) जीका ने 130 से अधिक लोगों को संक्रमित किया था। कुछ ही समय में ये समस्या पूरे भारत में फैल गई और स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई। भारत उन 80 देशों में शामिल है, जो इस बीमारी से प्रभावित हैं। इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और इसमें - बुखार, लाल आंखें, दाने, मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द जैसे लक्षण आमतौर पर रोगी के अंदर दिखाई देने लगते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को संक्रमित क्षेत्रों में यात्रा न करने की सलाह दी जाती है।

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चिकनगुनिया

चिकनगुनिया सबसे ज्यादा अफ्रीका, एशिया और भारत में पाया होता है। 2018 में भारत इस बीमारी के 1 लाख से अधिक मामले सामने आए थे। जलवायु परिवर्तन को इस बीमारी के फैलने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि चिकनगुनिया की घटना के लिए 29 डिग्री सेल्सियस आदर्श तापमान है। इतने तापमान में ये बीमारी बढ़ने लगती है और लोगों को अपनी चपेट में लेने लगती है। रोग से बचाव के लिए उपचार और प्रबंधन के अलावा, सवाधानी की जरूरत है। इसके अलावा, चिकनगुनिया के लिए कोई ज्ञात इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है। लक्षण: लगातार जोड़ों का दर्द, बुखार, मतली, सिरदर्द, आदि हैं।

मच्छरों से जुड़ी बीमारियों से मुकाबला

  • रोकथाम के उपायों में शामिल हैं- मच्छरदानी, घर के अंदर और बाहर खड़े पानी को खत्म करना, घर में रेपेलेंट और अगरबत्ती का उपयोग करना, कीटनाशक का उपयोग करना आदि।
  • भारत में मच्छरों और वेक्टर जनित बीमारियों के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई चल रही है। लगभग 1.4 बिलियन जिंदगियां दांव पर होने की वजह से इस समस्या पर पकड़ बनाना काफी मुश्किल हो गया है। 
  • जलवायु परिवर्तन, तेजी से शहरीकरण, स्वच्छता की कमी और अपशिष्ट निपटान प्रणाली और बढ़ती जनसंख्या जैसे कारक इन बीमारियों को बढ़ाते हैं। हालाँकि, भारत धीरे-धीरे इस समस्या को हल करने की दिशा में काम कर रहा है।
  • वेक्टर निगरानी और प्रबंधन नेटवर्क को मजबूत करने के प्रयास किए गए हैं। भारत भी मच्छरों को बीमारी फैलने से रोकने के लिए जैव प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न तरीकों का लाभ उठा रहा है। 
  • इसके साथ ही विभिन्न एहतियाती उपाय हैं जो हर व्यक्ति खुद को संक्रमित होने से बचाने के लिए कर सकते हैं। 

इनपुट्स-  डॉ.बिनीताप्रियंबदा, सीनियर कसंलल्टेंट, मेडिकल टीम, डॉकप्राइम.कॉम

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