यौन अज्ञानता और कम उम्र में शादी की वजह से किशोरियों में एबॉर्शन के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर्स एबॉर्शन की सलाह तभी देते हैं, जब गर्भवती महिला को कोई गंभीर समस्या हो। कई बार लोग एबॉर्शन भ्रूण के लिंग के आधार पर भी करवाते हैं जो कि गैरकानूनी है।
गर्भावस्था के 24 हफ्तों के अन्दर गर्भ गिरना गर्भपात कहलाता है। अगर गर्भपात गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में होता है तब प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है । अगर यह इसके बाद होता है, तो इसे उत्तरवर्ती गर्भपात कहलाया जाता है । एबॉर्शन की सलाह के लिए डॉक्टर्स के पास ठोस कारण होना आवश्यक है। इन सबसे अलग सवाल उठता है कि एबॉर्शन की उम्र क्या होनी चाहिए। आइए जानें एबॉर्शन व इससे जुड़े तमाम मुद्दों के बारे में।
- आमतौर पर गर्भावस्था का समय नौ महीने का होता है। लेकिन कई बार किन्हीं कारणों से न तो इतने लंबे समय तक गर्भ ठहरता न ही शिशु का जन्म होता है जिसे गर्भपात का नाम दिया जाता है।
- कुछ मामलों में गर्भपात खुद ही हो जाता है, यानी गर्भवती महिला में किन्हीं कारणों से गर्भपात हो जाता है, जबकि कई मामले ऐसे होते है जब गर्भपात यानी एबॉर्शन करवाना पड़ता है और इसकी सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है।
- एबॉर्शन का सही वक्त आमतौर पर शिशु के जीवित रहने की संभावना शुरू होने से पहले होता है। यानी जब भ्रूण का विकास पूरी तरह न हुआ हो।
- अधिकांश एबॉशर्न गर्भ के पहले 12 सप्ताह के दौरान किए जाते हैं, ये ऐसा समय होता है जब गर्भवती महिला को किसी प्रकार का जान का जोखिम नहीं होता।
- गर्भावस्था के शुरूआत के ढ़ाई से तीन महीनों में आसानी से एबॉशर्न संभव है लेकिन तीन महीने के बाद एबॉर्शन करवाने पर गर्भवती महिला को जान का जोखिम भी हो सकता है।
- अब आप सोचेंगे कि किस उम्र में एबॉर्शन करवाना चाहिए, लेकिन आपको बता दें एबॉर्शन की कोई उम्र नहीं होती यानी 18 साल से लेकर 40 साल तक की महिलाओं का एबॉर्शन किया जा सकता हैं। हसलांकि बढ़ती उम्र में और बहुत छोटी उम्र में एबॉर्शन करने से जान का जोखिम बढ़ जाता है। इसीलिए डॉक्टर्स अधिक सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
- एबॉर्शन की सलाह डॉक्टर्स निषेचित अंडे के साथ कुछ गड़बड़ी होने पर देते हैं यानी निषेचित अंडा गड़बड़ी के बावजूद लगातार बढ़ता और विकसित होता है, तो उसके परिणामस्वरूप पैदा होने वाला शिशु शारीरिक रूप से विकलांग होता है। इसलिए कभी-कभी एबॉर्शन ऐसे असामान्य जन्म को रोकने का प्रकृति का उपाय है।
- यदि गर्भवती महिला को मलेरिया जैसी कोई गंभीर बीमारी हो, वह गिर गयी हो या उसके जननांगों में समस्या हो, तो भी एबॉर्शन किया जा सकता है लेकिन कंडीशन यही होती है कि एबॉर्शन गर्भावस्था के शुरूआत के तीन महीनों में ही हो।
- कभी-कभी अंडा गर्भाशय के बदले कहीं ओर गर्भ-नलिकाओं में निषेचित होने से भी एबॉर्शन करना पड़ता है यदि ऐसा न किया जाए तो ऐसे में गर्भपात का खतरा बना रहता है, जिससे स्थिति और खतरनाक हो सकती है।
- तमाम शोधों में यह साबित हुआ है कि बड़ी उम्र की महिलाओं में पाँच में से लगभग एक गर्भावस्था में 24 हफ़्तों से पहले ही गर्भपात होने की आशंका होती है। ये ख़तरा उम्र के साथ भी बढ़ता रहता है। इसीलिए किसी भी गंभीर स्थिति में डॉक्टर्स एबॉर्शन कर देते हैं।
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