ओवर हेड प्रेस एक शोल्डर यानी कंधों की एक्सरसाइज में भांति भूमिका निभाता है। वास्तव में यह फाउंडेशनल और फंक्शनल मूवमेंट है। मतलब यह कि स्क्वैटिंग, जम्पिंग, स्प्रिंटिंग, क्राॅलिंग की ही तरह इससे भी कंधों की मांसपेशियों में प्राकृतिक दबाव पड़ता है और उनका विकास होता है। बहरहाल कंधों के बेहतर विकास के लिए तमाम तरह के एक्सरसाइजों का विकास हुआ है, जिन्हें मौजूदा समय में तमाम बाॅडी बिल्डर्स करते हैं। इनमें वेट लिफ्टिंग, बैठे हुए और खड़े हुए, मिलिटरी शोल्डर प्रेस/मिलिटरी प्रेस/बार्बल शोल्डर/ओवर हेड प्रेस। इन सब एक्सरसाइजों का एक ही मकसद है कंधों का बेहतर विकास।
आज वर्कआउट करेंगे तो ही आपका बुढ़ापा रहेगा फिट
कंधों के लिए ओवर हेड प्रेस
हमारे कंधों को मांसपेशियों के इन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है मसलन-
डेल्टॉएड्स: पोस्टेरियर फाइबर्स
डेल्टॉएड्स: एंटेरियर फाइबर्स
डेल्टॉएड्स: लेटरल फाइबर्स
ओवरहेड प्रेस में मुख्यतः फ्रंट डेल्टोइड (एंटेरियर), साइड डेल्टाॅएड (लेटरल) का काम होता है जबकि इसमें पोस्टेरियर डेल्टॉएड्स का काम न के बराबर होता है यानी इसमें इसकी भूमिका कम होती है।
टिप्स
आप खड़े रहने के बजाय बैक सपोर्ट स्टैण्ड पर बैठ जाएं। जब आप स्टैंडिंग प्रेस का प्रयास करते हैं, तो पैर से सहायता मिलती है तो यह स्ट्रिक्ट प्रेस के बजाय एक पुश-प्रेस में बदल जाते हैं। काइनेटिक चेन पैरों से शुरू होती है। बल पैरों पर उत्पन्न होता है, जो नितंब तक पहुंच जाती है। इससे नितंब की मांसपेशियों का काफी लाभ पहुंचता है। इसे आप पाॅवर मूव कह सकते हैं। लेकिन इसे हाइपरट्रॉफी कदम कहना सही नहीं होगा। आपको बता दें कि आप इसे आकार के लिए कर रहे हैं।
अगर आपके साथ जिम में कोई उपलब्ध नहीं है तो बाइसेप राॅड का इस्तेमाल करें। अब वजन लिफ्ट करें। लेकिन इसे आप सामान्यतः 8 से 10 बार ही दोहरा सकते हैं। अतः उससे ज्यादा न करे, जो आपके लिए तकलीफदेह हो। पुश अप के जरिए अपने मूवमेंट्स को कंट्रोल करने की कोशिश करें। प्रेस करने के लिए अपनी क्षमता को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक सेट के साथ वजन बढ़ाएं बहुत अधिक वजन आपके गति को नियंत्रित करने की क्षमता से भी समझौता करेगा।
कैसे जानें आप हैं सही
अगर एक्सरसाइज करते हुए आपके कंधों पर जोर पड़ रहा है, लेटरल और फ्रंट डेल्टॉएड में हल्का दर्द महसूस हो रहा है। साथ ही आप जो वजन उठा रहे हैं, वह आपके अनुकूल है तो इससे आप जब तक चैथे या पांचवे सेट तक पहुंचते हैं तब तक आपके कंधे पूरी तरह थकान से भर जाते हैं। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो समझें आप सही दिशा की ओर अग्रसर हैं यानी आप सही तरह से एक्सरसाइज कर रहे हैं।
ध्यान दें
अगर आप बॉडी बिल्डिंग के शौकीन हैं तो फंडोमेंटल लॉ ऑफ हाइपरट्रॉफी को समझें। यह है टाइम ए मसल इज पुट अंडर टेंशन। मतलब यह कि आप जितना ज्यादा वक्त देंगे और अपने मसल्स में टेंशन पैदा करेंगे, उतना ही आपके मसल्स के लिए यह लाभकर होगा। हालांकि कई बार अतिरेक में एक्सरसाइज करने से कंधों में दर्द हो जाता है यहां तक कि मसल्स सेल डैमेज भी हो जाती हैं। लेकिन आपको बता दें कि वक्त के साथ-साथ वह अपने आप भर भी जाती है।
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