दिल की बीमारियों से रहना है दूर, तो आप भी जरूर करवाएं ये 6 जांच

दिल की बीमारियों का पता लगाने के लिए आपको कुछ जरूरी जांच करवा लेना चाहिए, ताकि समय रहते इन बीमारियों का पता चल सके और इलाज किया जा सके। आइये आपको बताते हैं कि दिल की बीमारियों के लिए कौन-कौन सी जांच हैं जरूरी।
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दिल की बीमारियों से रहना है दूर, तो आप भी जरूर करवाएं ये 6 जांच

वर्ल्ड हार्ट डे यानी विश्व हृदय दिवस हर साल 29 सितंबर को मनाया जाता है। दिल हमारे शरीर का सबसे ज्यादा संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग है। दिल की बीमारियां खतरनाक होती हैं क्योंकि ये आपको संभलने का मौका नहीं देती हैं। इन जानलेवा बीमारियों की एक बड़ी वजह आपका गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली है। दिल की सबसे आम बीमारियों में ये बीमारियां हैं- हार्ट अटैक, धमनियों (आर्टरी) का संकरा (नैरो) हो जाना, हार्ट फेल्योर, दिल की धड़कन का अनियमित हो जाना, हार्ट वाल्व से जुड़ी बीमारी, कार्डियक अरेस्ट आदि। इनमें से कई बीमारियां जानलेवा हैं।
युवावस्था में हममें से ज्यादातर लोगों को कोई गंभीर बीमारी नहीं होती है। ऐसे में बहुत से लोग ये सोच लेते हैं कि वो स्वस्थ हैं और कभी बीमार नहीं होंगे। मगर 40 की उम्र आते-आते तरह-तरह की बीमारियां शरीर को घेरने लगती हैं। इसलिए दिल की बीमारियों का पता लगाने के लिए आपको कुछ जरूरी जांच करवा लेना चाहिए, ताकि समय रहते इन बीमारियों का पता चल सके और इलाज किया जा सके। आइये आपको बताते हैं कि दिल की बीमारियों के लिए कौन-कौन सी जांच हैं जरूरी।

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट करवाएं

कॉलेस्ट्राल की जांच रिपोर्ट कॉलेस्ट्रॉल को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (एमजी/डीएल) में दिखाती है। डॉक्टर कॉलेस्ट्रॉल स्तर को दूसरे रिस्क फैक्टर जैसे पारिवारिक इतिहास, स्मोकिंग और हाई बीपी आदि को भी ध्यान में रखते हुए आंकते हैं। यदि आपका कुल कॉलेस्ट्रॉल 200 एमजी/डीएल या इससे ज्यादा है या एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल 40 एमजी/डीएल से कम है, तो आपके इलाज की लाइन तय करने के लिए आपके एलडीएल अर्थात बैड कॉलेस्ट्रॉल की जांच भी आवश्य हो जाती है। अगर आप पहला टेस्ट फास्टिंग में नहीं कराते हैं तो डॉक्टर आपको दोबारा कॉलेस्ट्रॉल टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है।

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सीने में उठे दर्द, तो कराएं ये जांच

ईकेजी का अर्थ होता है इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम। इसे ईसीजी भी कहते हैं। ईकेजी कम समय में होने वाला, सुरक्षित, दर्दरहित व कम खर्च वाला टेस्ट होता है, जिसे हृदय की किसी समस्या की आशंका होने पर किया जाता है। इस टेस्ट में मरीज की छाती, भुजाओं और पैरों की त्वचा पर छोटे इलेक्ट्रोड पैच लगाकर इनकी मदद से हृदय की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया जाता है। इसे जांच को एक नियमित स्वास्थ्य जांच की तरह किया जा सकता है और हृदय की बीमारी का पता लगाने के लिए भी। आमतौर पर ईकेजी का खर्च 150 से 200 रुपये तक आता है।

इस टेस्ट से पता चलती है शुरुआती बीमारी

ईसीजी/स्ट्रेस टीएमटी- इससे हृदय के संचालन में किसी गड़बड़ी के शुरुआती संकेत मिलते हैं और यह हृदय की देखभाल का प्रारंभिक टेस्ट होता है। जिसके बाद अन्य टेस्ट कराए जा सकते हैं। स्ट्रेस टीएमटी से शरीर को पहले थकाया जाता है और फिर ईसीजी लेकर देखा जाता है कि तनाव से हृदय की गतिविधि में कोई बदलाव तो नहीं आया है।

सीटी हार्ट स्कैन

कार्डिएक सीटी एक हार्ट-इमेजिंग टेस्ट होता है। इसे सीटी तकनीक से दिल की संरेचना, कोरोनरी सर्कुलेशन और रक्त नलिकाओं (इनमें एओट्रा, पल्मनरी वेंस और आर्टरी शामिल हैं) की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है।

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कोरोनरी सीटी एंजियोग्राफी

कोरोनरी सीटी एंजियोग्राफी टेस्ट हाइस्पीड 128 स्लाइस सीटी स्कैनर रक्त प्रवाह में किसी प्रकार की रुकावट की पहचान के साथ धमनियों की दीवारों पर कैल्शियम जमा होने का पता लगाता है। इसमें कोई चीरा नहीं लगता और निदान की पूरी प्रक्रिया में 30 मिनट लगते हैं। वहीं पारंपरिक एंजियोग्राफी में एक डाई शरीर में डाली जाती है और कैथेटर भी लगाना पड़ सकता है।

ईकोकार्डियोग्राफी

ईकोकार्डियोग्राफी दिल के काम-काज को समझता है और उसके बारे में जरूरी जानकारी प्रदान करता है। इस जांच की मदद से पता लगाया जाता है कि हृदय की मांसपेशियों को कितना खून मिल रहा है। इसके लिए हृदय की डॉपलर इमेजिंग होती है।

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