
कई लोग 10 दिन एक्सरसाइज़ करने के बाद थक जाते हैं। या तो वो भावुक होकर हेल्दी रहने का यह तरीका छोड़ देते हैं या फिर उनमें फिज़िकली ताकत नहीं रहती। लेकिन, हेल्दी लाइफ जीने के लिए हर रोज़ वर्कआउट करना बहुत ज़रूरी है।
हर रोज़ एक्सरसाइज़ करना आसान नहीं है। इसके लिए आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति की बहुत ज़रूरत होती है। लेकिन कई लोग 10 दिन एक्सरसाइज़ करने के बाद थक जाते हैं। या तो वो भावुक होकर हेल्दी रहने का यह तरीका छोड़ देते हैं या फिर उनमें फिज़िकली ताकत नहीं रहती। लेकिन, हेल्दी लाइफ जीने के लिए हर रोज़ वर्कआउट करना बहुत ज़रूरी है।
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1- कमज़ोर इच्छा शक्ति
ज़रा सोचिए कि आपने सुबह की शुरुआत के लिए ऑफिस जाने से भी पहले एक्सरसाइज़ करने का अलार्म सेट किया है। लेकिन जब सुबह 6 बजते हैं, तो आप आरामदायक बिस्तर नहीं छोड़ पाते। सिर्फ यही नहीं, आप प्लान करते हैं कि शाम को ऑफिस के बाद जिम जाएंगे, लेकिन फिर दोस्तों के साथ रेस्त्रां चले जाते हैं। ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं है, दृढ़ं इच्छा शक्ति रखने वाले लोगों के साथ भी है, क्योंकि कोई भी अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर नहीं आना चाहता। हालांकि, यह सभी को बाद में अहसास होता है कि वक्त रहते ही कसरत की होती, तो आज डायबिटीज़, ओबेसिटी, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां नहीं होतीं। इस केस में मन बनाकर भी वर्कआउट ना करना कमज़ोर इच्छा शक्ति का संकेत है।
2- दोस्तों के साथ मस्ती करने के लिए वर्कआउट
कई एक्सपर्ट्स की मानें तो फिज़िकली लेज़ी होना नेचुरल और नॉर्मल है। आजकल के लाइफस्टाइल के चलते बहुत कम लोग अपने डेली रूटीन में वर्कआउट करते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा लोग तब कसरत करते हैं जब उन्हें ज़रूरी लगता है या फिर जब मौज-मस्ती करने का मन हो।
3- ज़रूरत से ज़्यादा सहूलियत उपलब्ध
पुराने ज़माने में इतनी सहूलियत नहीं थी। लोगों को बहुत फिज़िकल वर्क करना पड़ता था। ऐसे में उन्हें अलग से किसी कसरत की ज़रूरत नहीं थी। उनकी एक्स्ट्रा कैलोरीज़ खुद ही बर्न हो जाती थीं। लेकिन, आज के ज़माने में लोगों को शरीर को कष्ट नहीं देना पड़ता। लिफ्ट, कार और पैकेज्ड फूड के भरोसे ज़िंदगी चल जाती है। ऐसे में उनकी बॉडी में एक्स्ट्रा फैट और कैलोरीज़ जम होती रहती हैं, जो बाद में बीमारियों का रूप ले लेती हैं। इसीलिए, ज़रूरी है कि हफ्ते में कम-से-कम 5 दिन हर रोज़ एक्सरसाइज़ करें।
4- मॉडर्न टेक्नोलॉजी पर निर्भर
मॉडर्न टेक्नोलॉजी और मशीनों का सपना सच करते-करते, आज के ज़माने के लोग इन पर इतना निर्भर हो चुके हैं कि उनकी कैलोरीज़ बर्न ही नहीं होती। लैपटॉप, मोबाईल फोन के कारण वो बहुत ज़्यादा फिज़िकली लेज़ी हो चुके हैं। सीढ़ियों की जगह अब लोग एलिवेटर का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए, यह भी ज़रूरी है कि बच्चों को स्कूल में ही इसके बारे में अच्छे से शिक्षित किया जाए। सिर्फ यही नहीं, जब तक ऑफिस में जिम और एक्सरसाइज़ ज़रूरी नहीं होंगे, तब तक लोग फिज़िकली लेज़ी ही रहेंगे और बीमारियों से भी घिरे रहेंगे। जहां हम रहते हैं, वहां भी ऐसे प्रोग्राम होने चाहिए, जिसमें वर्कआउट करने की प्रेरणा मिले।
5- दर्द का डर
कई बार ऐसा भी होता है कि वर्कआउट के 1-2 दिन बाद शरीर में इतना दर्द होता है कि लोग इसे छोड़ देते हैं। खैर, ऐसा भी नहीं होना चाहिए। यह दर्द इसीलिए होता है क्योंकि शरीर को कसरत करने की आदत नहीं होती। इसे लगातार करने से दर्द बाद में चला जाता है। ट्रेनर्स को यह बात पहले ही बता देनी चाहिए, ताकि लोग दर्द के डर से एक्सरसाइज़ न छोड़ें।
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