
यह समाज पूरी तरह से पुरुषों के नियंत्रण में है। पुरुष समाज ही महिलाओं के लिए नियम बनाता है, जो महिला इन नियमों को तोड़ने की कोशिश करती है, उसकी राह में कई रोड़े अटकाये जाते हैं। इन नियमों को तोड़ने के लिए सशक्तीकरण की जरूरत होती है। बिना इसके कुछ हासिल कर पाना मुश्किल है। तो आइए जानें सशक्त महिला की पांच खूबियां।
वह शिक्षित होती है
शिक्षा का अर्थ केवल स्कूल, कॉलेज जाकर डिग्री इकट्ठा करना नहीं होती। शिक्षा का अर्थ सीधा-सीधा जागरुकता और सजगता से जुड़ा है। सिर्फ किताबी ज्ञान से दृष्टिकोण बड़ा नहीं होता। अपने नजरिये को व्यापक रूप देने के लिए जरूरी है कि आप सब बातों के प्रति सजग रहें। आपको अपने आसपास होने वाली घटनाओं की जानकारी हो। आपको मालूम है कि दुनिया में इस समय क्या महत्वपूर्ण घट रहा हो। इतना ही नहीं अहम मुद्दों पर आपकी अपनी राय भी होनी चाहिए। भले ही आप गृहणी क्यों न हों, लेकिन दूनिया के बारे में जानकारी रखना आपका फर्ज है।
वह आत्मनिर्भर होती है
आत्मनिर्भरता सशक्त महिलाओं का सबसे अहम गुण होता है। उन्हें अपने हर काम के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती। वे साथी पर भी हर काम की उम्मीद नहीं रखतीं और न ही उन्हें हर पल उसके साथ की जरूरत होती है। वह अपने फैसले खुद लेती है और साथ ही उनकी जिम्मेदारी लेने का साहस भी उसमें होता है। वह अकेले अपना रास्ता तय करना जानती है। और जब टीम में काम करने का मौका आता है, तो वह उससे भी पीछे नहीं हटती।
माफ कर देती है
क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को अपराध- सशक्त महिला इस नियम को अच्छी तरह मानती है। उसका हृदय विशाल होता है और वह दूसरों की गलती को माफ करना जानती है। याद रखिये माफ करने वाला हमेशा बड़ा होता है और माफ करने के बाद आप एक बेहतर इनसान बनते हैं। वह अपने गमों को भूलकर दूसरों की गलतियों को माफ करना जानती है।
अपने अधिकारों की जानकारी
सशक्त महिला को अपने अधिकारों की पूरी जानकारी होती है। और साथ ही वह अपने हकों के लिए लड़ना भी जानती है। महिलाओं को हमेशा यह सिखाया जाता है कि उन्हें दूसरों के लिए अपनी खुशी को कुर्बान कर देना चाहिए, लेकिन सशक्त महिला समाज के इन नियमों को नहीं मानतीं। वे इसके बीच से अपने लिए रास्ता निकाल लेती हैं। चाहे उनका पति हो, बॉय फ्रेंड वह किसी को भी अपने ऊपर हावी नहीं होने देती और न ही किसी को अपना हक मारने की इजाजत देती है।
वह दयालु होती है
कहीं आपको ऐसा तो नहीं लग रहा कि सशक्तीकरण महिलाओं को उग्र और आक्रामक बना देता है। जी, नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है। और अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो आपको अपने विचार बदलने की जरूरत है। सशक्त महिला दयालु होती है। उसके मन में किसी के लिए भी मैल नहीं होता। वह किसी से नफरत नहीं करती। वह अपना मातृत्व को कभी मरने नहीं देती। मदर टेरेसा इसका एक मजबूत उदाहरण हैं। वह सशक्त थीं, आत्म निर्भर थीं, लेकिन उनके मन में मानव मात्र के लिए दया का भाव था।
यह समाज बड़ा क्रूर है। एक ओर तो हम महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं, तो दूसरी ओर महिलाओं पर होने वाले अपराधों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। एक ओर तो कन्या पूजन करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर गर्भ में ही उनकी हत्या कर देते हैं। जब तक हम महिलाओं को कमजोर समझते रहेंगे इस समस्या का कोई हल निकलने वाला नहीं है।
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