बच्चों की हर हरकतें हम सभी को लगभग प्यारी ही लगती है। बच्चों को देखकर अक्सर हमें अपना बचपन याद आ जाता है। पर कभी कभार बचपन की कुछ आदतें प्यार करने लायक नहीं होती। कुछ मां बाप इसे उनकी कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता के रूप में देखते हैं। मां-बाप को लगता है कि इस तरीके की चीजों को करने से उनके बच्चों का फिजिकल और मेंटल ग्रोथ होगा पर ऐसा हमेशा नहीं होता। बल्कि उनकी आदतें बड़े होने के साथ और बढ़ती ही जाती है। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें शुरुआत से ही इन चीजों के लिए समझाया जाए। कौन सी आदतें अच्छी हैं, और कौन सी बुरी इसे लेकर उन्हें धीरे धीरे तैयार करें। लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इस दौरान उनके साथ कोई मार-पीट न करें।
बच्चों में अक्सर पाई जाती हैं यह 5 गंदी आदतें
- खाने को फर्श पर पलट कर,फिर उसे वहीं फर्श पर लेट कर खाना
- दीवारों का रंग-रोगन कर देना
- सोफे या गद्दों पर पेटिंग कर देना और उन्हें नुकसान पहुंचाना
- टीवी में देखी हुई चीजों को घर में दोहराना
- परदे या टेबल कवर में गंदे हाथों को पोंछना
कैसे ठीक करें इन गंदी आदतों को
खाने को फर्श पर पलट कर, फिर उसे वहीं फर्श पर लेट कर खाना
फर्श पर खाना खाने से बच्चों के बीमार पड़ने का डर ज्यादा होता है। यह इसलिए क्योंकि फर्श पर जमे हुए कुछ माइक्रोब्स खाने के साथ पेट में चले जाते हैं और उन्हें बीमार करते हैं। इस आदत को ठीक करने के लिए आप बच्चों को 3 वर्ष की आयु से ही धीरे धीरे सलीके से टेबल या किसी एक जगह पर बैठकर खाना-पीना सिखाएं। बच्चे को शुरू से ही सही आदते दें। जैसे कुछ बच्चे खाना घुमते-फिरते और इधर-उधर गिराते हुए खाते हैं। ऐसे में आप उसे शुरू से ही अपने साथ बिठा कर खाना खिलाएं। इस तरह बच्चे आपको देखकर अच्छी आदतों को अपनाएंगे।
दीवारों का रंग-रोगन कर देना
बच्चों को अक्सर स्केच या पेटिंग करना अच्छा लगता है। यह आदत तो अच्छी है पर 'दीवार' पेटिंग करने या स्केच करने के लिए सही जगह नहीं है। बहुत बार उन्हें स्केच बुक या पेंटबुक देने के बाद भी , वहदीवारों पर ही अपनी कलाकारी दिखाते हैं। ऐसे बच्चों को कहानी द्वारा समझाएं या डराएं। उन्हें कहानी में ऐसे उदहारण दें कि "कल कोई बिल्ली(किसी नाम जिसे बच्चा जानता हो) दीवार पर स्केच कर रही थी, उसकी पिटाई हुई। उसे सजा मिली...... अब तुम देखना कि बिल्ली फिर से यह करती है, तो तुम मुझे बताना...उसकी पिटाई होगी।" इस तरह की कहानियों से उन्हें समझ में आ जाएगा कि उनके साथ भी आगे चलकर ऐसा हो सकता है।
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सोफे या गद्दों पर पेटिंग कर देना या उन्हें नुकसान पहुंचाना
जन्म से ही बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, बढ़ते हुए नाखून से वह हर चीज को नोंचने या खाने की कोशिश करता है। चाहे मां के बाल हो, इयरिंग्स हो या बिंदी। आगे चलकर बड़े होने के साथ फिर वो घर की चीजों को ऐसे ही नोंच- खरोंच कर नुकसान पहंचाने लगता है। ऐसे में एक ही तरीका है बच्चे को समझाने का। उसे ऐसे काम को करते वक्त ही बार बार रोकिए या आंख दिखाकर डराइए। धीरे धीरे आपका डर उसे समझ आजाएगा, तो वे उसे करना बंद कर देंगे। इस तरह एक दिन यह आदत चली जाएगी।
टीवी में देखी हुई चीजों को घर में दोहराना
बच्चों के इस आदत को ठीक करने के लिए उन्हें ज्यादा टीवी या मोबाइल देखने न दें। उन्हें आउट-डोर गेम्स खेलने के लिए, पढ़ने के लिए और नए दोस्त बनाने के लिेए प्रेरित करें। इन तरीकों से वे घर हो या बाहर, खेल-कूद हो या पढ़ाई-लिखाई, हर चीज में बेहतर बनेंगे।
परदे या टेबल-कवर में गंदे हाथों को पोंछना
यह बच्चों की सबसे गंदी आदतों में से एक है। बच्चे अक्सर कुछ खाने- पीने के बाद या हांथ धो कर आने के बाद, घर के परदों और टेबल-कवर(टेबल-कोल्थ) में हांथ पोंछ लेते हैं। ऐसे में बच्चों को शुरू से तौलिए में हांथ पोंछने की आदत डालें। इसके बावजूद वो ऐसा करते हुए मिलें तो उन्हें हर बार टोके, जिससे कि उन्हें याद रहे कि उन्हें किस चीज के लिए मना किया गया है और किस चीज के लिए नहीं।
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