प्रीस्कूल, जिसे प्ले स्कूल या नर्सरी स्कूल के रूप में भी जाना जाता है। प्री स्कूल छोटे बच्चों को स्कूल में उठने बैठने की आदत और एक प्रारंभिकर ज्ञान से जुड़ा है। वैसे बच्चे को प्री स्कूल भेजना इतना भी जरूरी नहीं है लेकिन जो माता-पिता दोनों नौकरी पेशे वाले होते हैं या फिर जो अपने बच्चों को प्री स्कूल भेजना पसंद करते हैं, ताकि बच्चा स्कूल जाने की जल्दी आदत बना लें और फिर पढ़ाई में समय से आगे बढ़ जाए। ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे के लिए प्ले स्कूल या प्री स्कूल की तलाश कर रहे हैं, तो इसे चुनते वक्त कुछ खास बातों को जरूर ध्यान में रखें, जिससे आपके बच्चे का विकास अच्छे से हो सके और वह पढ़ने में खूब होशियार बनें।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट के कुछ अध्ययनों के अनुसार, चाइल्ड केयर सेंटर (प्रीस्कूल) की गुणवत्ता का बाद में बच्चे के भविष्य की पढ़ाई आदतों से जुड़ा है। इसलिए आप अपने बच्चे के लिए एक अच्छा प्रीस्कूल ढूंढकर बच्चे के भविष्य को देखते हुए ही प्री स्कूल चुनें।
हाई पोस्टेड और प्रशिक्षित टीचर हों
अध्ययनों के मुताबिक, यदि आप अपने बच्चे को ऐसे प्रीस्कूल में डाल रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातेंं ध्यान में रखनी चाहिए। बच्चे का प्री स्कूल ऐसा हो जहां अच्छे एजुकेटेड टीचर हैं, तो एक तरह से आप अपने बच्चे के भविष्य को संवार रहे हैं। क्योंकि इससे बच्चों के विकास पर भी अच्छा असर पड़ता है। वह जल्द ही आपके बच्चे को पढ़ाई ओर लाने में मदद करेंगे।
केयरिंग, पॉजिटिव और भरोसेमंद टीचर
आप जिस प्ले स्कूल में अपने बच्चे का दाखिला करवा रहे हों, तो ध्यान में रखें कि वहां के टीचर केयरिंग, पॉजिटिव और भरोसेमंद। अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि अगर शिक्षक केयरिंग, पॉजिटिव और भरोसेमंद हो, तो वह बच्चे की अच्छी तरह देखभाल करते हैं, जिससे बच्चे चीजों को बेहतर सीखते हैं। इसके अलावा, बच्चे का विकास अच्छे से हो पाता है और बच्चा बुली होने का शिकार नहीं होता।
जैसे यदि बच्चे की टीचर अच्छे हैं, तो वे बच्चे को उत्साहित, बच्चों के साथ हंसना-खेलना और बच्चे को पीठ पर थपथपा सकते हैं। इसके साथ ही बच्चे के गिरने पर उनका हाथ पकड़ संभालना और उनकी चोट सहलाना अच्छे केयर टीचर के संकेत हैं। जबकि बच्चे को डांटने या चिल्लाने जैसी नकारात्मक बातचीत बच्चे प बुरा प्रभाव डाल सकता है।
टीजर एंगेजिंग हो
आप बच्चे को कुछ दिन प्ले स्कूल भेजने के दौरान देखें कि टीचर क्लास में बच्चे के साथ कैसे बातचीत करते हैं। शिक्षकों को बच्चों के साथ पॉजिटिव और बार-बार बातचीत करनी चाहिए। अगर बच्चा शर्मीला हो, तो ध्यान दें कि टीचर बच्चों को बात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं या नहीं।
इसे भी पढें: पेरेंट्स और बच्चे के रिश्तों को प्रभावित करती है 'कोडिपेंडेंट पेरेंटिंग', जाने क्या है ये और इसके संकेत
जैसे प्ले स्कूल ऐसा हो जहां टीचर बच्चे को कहानियां सुनाए, खेल-खेल में कुछ अच्छी बातें सिखाए और बच्चों को पढ़ाई की ओर लाने में सक्रिय योगदान दे। अक्षर, गिनती और आकारों के अलावा, वे बच्चे के अच्छे कामों की प्रशंसा करते हुए उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करते हैं, तो आप वह प्ले स्कूल अपने बच्चे के लिए चुन सकते हैं।
पॉजिटिव डिसिप्लिन
बच्चे का प्री स्कूल ऐसा चुनना चाहिए, जहां कि बच्चे का सामाजिक व मानसिक विकास हो और वह रहने, खाने से लेकर बातचीत के तौर तरीके सीख पाए। बच्चे को हमेशा ऐसा स्कूल और माहोल दें, जहां वह पॉजिटिव डिसिप्लिन सीख सके और बच्चे को टीचर हर बात को धैर्यपूर्वक समझाने और सिखाने की कोशिश करे न कि मार पीट या दंड देकर।
इसे भी पढें: मां-बाप की इन 5 छोटी गलतियों का बच्चों पर पड़ता है बुरा असर, जानें और सुधारें इन्हें
खेल -खेल में बच्चे का विकास
बच्चे का खेल-खेल में अच्छी तरह से विकास होता है। खेल और शारीरिक गतिविधियां मस्तिष्क के विकास को प्रोत्साहित करती हैं और प्रारंभिक विकास को बढ़ाती हैं। इसके अलावा खेल-खेल में सिखायी गयी बातें बच्चों को जल्दी समझ में आती हैं और वह उन्हें हमेशा याद रखते हैं। इसलिए आप प्रीस्कूल ढूंढते समय यह भी ध्यान में रख सकते हैं कि स्कूल ऐसा हो जहां बच्चो को कई अच्छे खेल खिलावाते हों।
Read More Article On Parenting In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version