वैसे तो आयुर्वेद की शुरुआत ही भारत में हुई है और हजारों साल से लोग आयुर्वेद में बताए गए उपायों को अपने रोजमर्रा के जीवन में अपनाते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में, खासकर कोरोना वायरस महामारी के आने के बाद से आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा एक बार फिर से बढ़ा है। कोविड-19 के हल्के-फुल्के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए भी आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल पिछले दिनों लोगों ने किया है। इम्यूनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा और च्यवनप्राश हो या स्किन की खूबसूरती बढ़ाने वाले हर्ब्ल ब्यूटी प्रोडक्ट्स हों, लोगों ने आयुर्वेदिक उत्पादों का इस्तेमाल अब पहले से अधिक बढ़ा दिया है। लेकिन आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स और नुस्खों को आजमाने के बाद कई बार जब अनुकूल परिणाम नहीं मिलते हैं, तो लोग निराश भी होते हैं। इसका कारण यह है कि ज्यादातर लोग आयुर्वेदिक उत्पादों के इस्तेमाल के समय कुछ गलतियां करते हैं, जिसके कारण उन्हें इन आयुर्वेदिक चीजों से पूरा लाभ नहीं मिलता है और उनका विश्वास डगमगाता है। आयुर्वेदिक उत्पादों के संबंध में लोगों के मन में जो भ्रम हैं, उनके बारे में हमने आरोग्य धन आयुर्वेद क्लीनिक के फाउंडर आयुर्वेदाचार्य डॉ. बाल मुकुन्द से बातचीत की है। आइए आपको बताते हैं उन्होंने इस बारे में क्या कहा है।
लोग समझते हैं आयुर्वेदिक नुस्खों और दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता
आयुर्वेद के बारे में ये एक आम धारणा है कि आयुर्वेदिक औषधियां अगर फायदा नहीं करेंगी, तो कम से कम नुकसान भी नहीं करेंगी। इसका अर्थ है कि लोगों के मन में ये भ्रम रहता है कि उन्हें आयुर्वेदिक औषधियों से कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा, जबकि ऐसा नहीं है। आरोग्य धन आयुर्वेद क्लीनिक के फाउंडर आयुर्वेदाचार्य डॉ. बाल मुकुन्द कहते हैं कि आयुर्वेदिक औषधियों के भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं। आयुर्वेद में रोगों का इलाज त्रिदोषों (पित्त, कफ और वात) को ध्यान में रखकर किया जाता है, जबकि लोग कई बार बिना किसी जानकारी के ही आयुर्वेदिव दवाओं का सेवन करने लगते हैं। ऐसे में उन्हें इन दवाओं से नुकसान भी हो सकता है। जरूरी है कि आयुर्वेद के नुस्खों और प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही करें और डोजेज की जानकारी हमेशा डॉक्टर से पूछकर ही लें।
इसे भी पढ़ें: कोरोना के हल्के और बिना लक्षण वाले मरीजों को आयुर्वेद से किया जाएगा ठीक, आयुष मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन्स
आयर्वेदिक दवाएं असर दिखाने में बहुत समय लेती हैं
यह भी लोगों की एक आम धारणा है कि आयुर्वेदिक दवाएं अपना असर दिखाने में बहुत ज्यादा समय लेती हैं, इसलिए छोटी-मोटी परेशानियों के लिए तो आयुर्वेद ठीक है, लेकिन गंभीर बीमारियों के लिए सही नहीं। ये भी एक भ्रम ही है, जिसकी सच्चाई दरअसल कुछ और है। डॉ. बाल मुकुन्द बताते हैं कि आयुर्वेद में लक्षण का नहीं बल्कि रोग का निदान किया जाता है। इसलिए कई बार रोगी को पूरी राहत मिलने में थोड़ा समय लग सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि आयुर्वेदिक दवाओं से बड़ी बीमारियों का इलाज नहीं किया जा सकता है। बहुत सारे आयुर्वेदिक नुस्खे मरीज को देते ही असर दिखाते हैं। आज आयुर्वेद से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा रहा है और एलोपैथी की अपेक्षा मरीज ज्यादा स्वस्थ महसूस करते हैं।
इसे भी पढ़ें: इम्यूनिटी वाले आयुर्वेदिक काढ़े के भी हो सकते हैं साइड इफेक्ट, ये 5 लक्षण दिखें तो तुरंत बंद कर दें काढ़ा पीना
हर्बल प्रोडक्ट्स को आपस में मिलाने से नुकसान नहीं होता है
बहुत सारे लोगों को ये भ्रम होता है कि आयुर्वेदिक औषधियों या हर्बल प्रोडक्ट्स को आपस में मिला देने पर इनकी गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता है। जैसे- दो हर्बल स्किन केयर प्रोडक्ट्स को एकसाथ मिला लेने, काढ़ा बनाते समय इसमें घर में मौजूद सभी हर्ब्स मिला देने या घरेलू नुस्खा आजमाते समय किसी भी चीज को किसी भी चीज के साथ मिला देने से कोई असर नहीं पड़ता है। मगर ये सही नहीं है। हर्बल प्रोडक्ट्स भी मूल रूप में प्राकृतिक रसायन ही होते हैं, जिनके आपस में मिलने पर दुष्प्रभाव होने की संभावना होती है। इसलिए चेहरे के लिए कोई हर्बल मास्क बनाते समय इसमें कुछ भी मिला लेना गलत है क्योंकि ये त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह इम्यूनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा बनाते समय सभी हर्ब्स को एक साथ नहीं मिला देना चाहिए क्योंकि इसके भी कुछ नुकसान हो सकते हैं।
कुल मिलाकर आयुर्वेदिक औषधियों और हर्बल उत्पादों को ऐसा न मानकर चलें कि इनका किसी भी तरह से इस्तेमाल करने पर नुकसान नहीं होगा। आपको इन प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल की उचित सलाह आयुर्वेदिक चिकित्सक ही दे सकते हैं।
Read More Articles on Ayurveda in Hindi