यूरोपीय यूनियन में कैंसर पर हर साल खर्च होता है 10.5 अरब रुपया

कैंसर से शारीरिक और मानसिक परेशानी होने के साथ ही देश की उत्‍पादकता पर भी विपरीत असर डालती है।
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यूरोपीय यूनियन में कैंसर पर हर साल खर्च होता है 10.5 अरब रुपया


treating cancerकैंसर एक जानलेवा बीमारी है और इसके उपचार का पता लगाने के लिए दुनियाभर के शोधकर्ता लगातार कोशिश कर रहे हैं। कुछ शोधकर्ता कैंसर के उपचार का पता लगाने का दावा भी कर चुके हैं। इस बीमारी से जुड़ा एक अन्‍य अध्‍ययन यूरोपीय संघ के देशों में किया गया है।


अध्‍ययन में कैंसर के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान का पता लगाया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह जानलेवा बीमारी शारीरिक और मानसिक परेशानी के साथ ही देश की उत्‍पादकता पर भी विपरीत असर डालती है। दरअसल, बीमारी के चलते लंबी छुट्टी और कम उम्र में मौत से आर्थिक पक्ष प्रभावित होता है।


शोध से पता पता चला कि कैंसर पर हर साल करीब 10,458 अरब रुपये का भारी भरकम खर्च होता है। इस अध्‍ययन को ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और किंग्‍स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने साल 2009 के आंकड़ों के आधार पर पूरा किया है। अध्‍ययन में यूरोपीय संघ के सभी 27 देशों को शामिल किया गया।


लांसेट आंकोलजी में प्रकाशित हो चुके इन आंकड़ों में दवाओं के साथ ही इलाज और इस दौरान कमाई पर पड़ने वाले असर को भी शामिल किया गया है। जांच में यह भी पता चला कि लोग सबसे ज्‍यादा फेफड़े के कैंसर की समस्‍या से ग्रस्‍त होते हैं और यह सबसे महंगी बीमारी है।


चिंताजनक बात यह है कि यूरोपीय संघ में कैंसर पीड़ि‍त हर दसवां मरीज फेफड़ों के कैंसर से ग्रस्‍त है। अध्‍ययन के मुताबिक डॉक्‍टर के समय और दवाओं पर होने वाला खर्च 4,233 अरब रुपये है। बीमारी के कारण छुट्टी करने या कम उम्र में मौत हो जाने के कारण उत्‍पादकता पर कुल 4,316 अरब रुपये का असर पड़ता है। वहीं इलाज कराने वाले परिजनों पर कुल 1,932 अरब रुपये का भार पड़ता है।

 

 

 

 

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