पैरों में छटपटाहट से हो सकता है हाई बीपी

एक शोध के अनुसार, 'रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम' की समस्‍या उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है इसलिये इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिये।
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पैरों में छटपटाहट से हो सकता है हाई बीपी


पैरों में दर्द से परेशान महिला

महिलायें आमतौर पर पैरों की छटपटाहट 'रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम' की समस्या से ग्रस्त रहती हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह समस्या उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है इसलिये इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिये।

 

महिलाओं पर किये गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से पीड़ित करीब 26 प्रतिशत महिलाओं में उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और वुमेन्स हॉस्पिटल (बर्मिंघम) में किये गये शोध से पता चलता है कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की परिणति उच्च रक्तचाप में हो सकती है और अगर रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की जल्द पहचान और इलाज हो जाये तो उच्च रक्तचाप रोकने में मदद मिलती है।

 

नींद की बीमारियों के विशेषज्ञ तथा यहां स्थित डीपीसी के निदेशक डॉ. सुनील मित्तल ने महिलाओं में होने वाली इस आम समस्या के बारे में बताया कि पैरों में छटपटाहट की समस्या आम तौर पर 40-50 साल की महिलाओं में होती है। रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कारण रात में अच्छी नींद नहीं आती और इस कारण दिन में सुस्ती और उबासी का अहसास होता रहता है। इस समस्या से आबादी में करीब 15 प्रतिशत वयस्क लोग पीड़ित हैं जिनमें सबसे अधिक महिलायें हैं।

 

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कुछ मामलों में इलाज इतना सामान्य होता है कि सिर्फ आयरन सप्लिमेंट लेने से ही यह समस्या दूर हो जाती है। इसलिए रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के लक्षण प्रकट होते ही अपने चिकित्सक से बात करनी चाहिए।

 

टांगों की छटपटाहट के कारण नींद में बार-बार व्यवधान पड़ता है और बार-बार नींद खुलती रहती है। अधिक समय तक इस बीमारी से ग्रस्त रहने पर मरीज डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है, कयोंकि इनसोमनिया के लक्षण उसे मानसिक रोगी बना देते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें मानसिक इलाज की भी जरूरत पड़ जाती है।

 

रेस्टलेस लेग्स में पैरों में थकान और दर्द होता है और पैरों को हिलाने-डुलाने में भी तकलीफ होती है। कुछ साल पूर्व सन् 2005 में भी अनुसंधनकर्ताओं ने 97 हजार 642 महिलाओं पर रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम और उच्च रक्तचाप पर किये गए एक शोध में रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से पीड़ित अधिकतर महिलाओं की औसत उम्र साढ़े 50 साल पायी।



 

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