जयपुर में जीका वायरस के 135 रोगी, सिर्फ बचाव ही है इससे बचने का तरीका

जीका वायरस मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह सीधे नवजात को अपना शिकार बनाता है। इस वायरस से प्रभावित होने वाले बच्चे की सारी जिंदगी विशेष देखभाल करनी पड़ती है।
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जयपुर में जीका वायरस के 135 रोगी, सिर्फ बचाव ही है इससे बचने का तरीका


जीका वायरस मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह सीधे नवजात को अपना शिकार बनाता है। इस वायरस से प्रभावित होने वाले बच्चे की सारी जिंदगी विशेष देखभाल करनी पड़ती है। फिलहाल इस वायरस ने उत्तर भारत के राज्य राजस्थान में अपनी गहरी पकड़ बना ली है। एक या दो नहीं बल्कि पूरे 135 लोग इस रोग की चपेट में आ चुके हैं। अधिकारियों ने हाल ही में यह जानकारी दी है कि 135 लोग अबतक इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) वीनू गुप्ता ने कहा, "नियंत्रक कक्ष में एक टोल-फ्री नंबर शुरू किया गया है, जहां सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक लोगों को जीका वायरस के बारे में जानकारी दी जाएगी। डाक्टरों को इन नंबरों पर लोगों के सवालों का जवाब देने के लिए तैनात किया गया है।

उन्होंने कहा कि 135 रोगियों में से 125 पूरी तरह से स्वस्थ्य हो चुके हैं। इस बीच, शहर में जीका वायरस की रोकथाम को लेकर बुलाई गई बैठक में बताया गया कि 450 विद्यालयों के करीब 15,000 छात्रों ने स्कूलों और कॉलोनियों के आस-पास स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। विद्यार्थी रविवार को सभी के घरों में जाएंगे और लोगों को वाटर कूलर, गमलों और टैंकों को साफ रखने के प्रति जागरूक करेंगे।

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क्या है जीका वायरस और उसके लक्षण

जीका वायरस एंडीज इजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है। यह वही मच्‍छर है जो पीला बुख़ार, डेंगू और चिकुनगुनिया जैसे विषाणुओं को फैलाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। संक्रमित मां से यह नवजात में फैलती है। यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन और यौन सम्बन्धों से भी फैलती है। हालांकि, अब तक यौन सम्बन्धों से इस विषाणु के प्रसार का केवल एक ही मामला सामने आया है। जीका को पहचानना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके कोई विशेष लक्षण नहीं हैं। लेकिन मच्छरों के काटने के तीन से बारह दिनों के बीच चार में से तीन व्यक्तियों में तेज बुखार, रैशेज, सिर दर्द और जोड़ों में दर्द के लक्षण देखे गये हैं। 

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बचाव ही है बेहतर उपाय

इसकी रोकथाम के लिये अब तक दवाई नहीं बनी और न ही इसके उपचार का कोई सटीक तरीका सामने आया है। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे अप्रत्याशित बताया और कहा कि विज्ञान ने अभी इसे रोकने में सफलता हासिल नहीं की है। इसलिए बचना ही बेहतर है। अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार समूचे विश्व में इस तरह के मच्छरों के पाये जाने के कारण इस विषाणु का प्रसार दूसरे देशों में भी हो सकता है। भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता।

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