एक ताजा शोध के मुताबिक 53 वर्ष की आयु में वित्तीय फैसले लेने की हमारी क्षमता अपनी चरम पर होती है।
उम्र ढलने के साथ पैसों के सही इस्तेमाल की समझ भी घटती चली जाती है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के 2 हजार लोगों पर अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सही वित्तीय फैसले लेने की क्षमता 53 साल के इनसान में सबसे अच्छी होती है। इस दौरान इनसान न केवल रोजमर्रा के खर्च बेहतर ढंग से चला पाता है, बल्कि भविष्य के लिए पैसों की बचत भी कर लेता है। हालांकि 55 साल की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उसका दिमाग पैसों का गणित समझने में कमजोर होने लगता है। शोधकर्ता रॉस ऑल्टमैन के मुताबिक अध्ययन बुजुर्गों के तजुर्बे और प्रबंधन क्षमता पर सवाल नहीं उठाता।
हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि शोध उम्र ढलने के साथ याददाश्त और तार्किक क्षमता में कमी आने की बात जरूर कहता है। ऑल्टमैन ने बताया कि अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों को 2000 रुपये दिए गए। इससे उन्हें न सिर्फ हफ्ते भर का खर्च संभालना था, बल्कि आने वाले दिनों क ेलिए कुछ पैसों की बचत भी करनी थी।
बीच हफ्ते में कुछ समारोह और आपात स्थितियां पैदा की गईं, जिससे प्रतिभागी को नये सिरे से हिसाब लगाना पड़े। इस दौरान उन्होंने पाया कि 50 से 55 साल के अधेड़ बदले हुए हालात में पैसों का बेहतर प्रबंधन कर पाए, लेकिन इससे अधिक उम्र के लोगों को मुश्किल हालात में तंगी सताने लगी।
इस शोध में यह भी कहा गया कि 80 की उम्र में पहुच चुके लोगों को फैसले लेने में काफी परेशानी होती है। और साथ ही वे वित्तीय मामलों में भी बेहतर फैसले नहीं ले पाते।
ऐसा नहीं है कि इस शोध में केवल बुजुर्गों के बारे में कहा गया है बल्कि युवाओं के लिए भी इसमें बुरी खबर है। शोध के मुताबिक क्योंकि युवाओं के पास अनुभव की कमी होती है इसलिए भी वे बेहतर वित्तीय फैसले नहीं ले पाते।
Image Courtesy- Getty Images
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