
ग्रेटर नोएडा के एक्सपोमार्ट में चल रहे आयुर्योग एक्सपो 2019 के दूसरे दिन की शुरूआत योग कार्यक्रमों से हुआ, इसके बाद देश और दुनिया आए आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के जानकारों ने चर्चा के दौरान लोगों को जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को दूर करने पर बल दिया।
दरअसल, आयुर्योग एक्सपो 2019 के दूसरे दिन आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा पर तकनीकी और नॉलेज सत्रों के जरिए देश और दुनिया से यहां पहुंची विभिन्न जानी मानी हस्तियों द्वारा अपने विचारों को बड़ी संख्या में यहां आए आगंतुकों के साथ शेयर करने के लिए एक मंच बनाया गया है। डॉक्टर एचआर नागेंद्र ने वक्ताओं का परिचय दिया और यह सत्र पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन हरिद्वार के निदेशक डॉ. शिर्ले टेल्स के 'साइकोफिज़ियोलॉजी ऑफ़ योगा ऐंड इट्स एप्लिकेशनल' पर प्रेजेंटेशन देने के साथ शुरू हुआ।

डॉ. शिर्ले टेल्स ने कहा कि "दुनिया भर में कई शोध हुए हैं जिनसे पता चलता है कि योग शरीर की क्रियाओं और मन को कैसे प्रभावित करता है।" उन्होंने बताया कि कैसे योग जीवन के विभिन्न पहलुओं और तरीकों में समग्र रूप से वेलनेस और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।
डॉ. शिर्ले के बाद डॉ. लोरेंज़ो कोहेन, प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑप जनरल ऑन्कोलॉजी ऐंड बिहेविरल साइंट और डायरेक्टर इंटीग्रेटिव मेडिसिन प्रोग्राम, यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास, एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर ने अपनी बातें रखीं।
डॉ. कोहेन ने योग और कैंसर के बारे में कहा, "हम यौगिक लाइफस्टाइल के जरिए कैंसर के मामलों में 25 प्रतिशत की कमी के साथ इसके इलाज की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बड़ी चुनौती यह है कि पहले से कहीं अधिक लोगों को कैंसर हो रहा है, लेकिन अच्छी ख़बर यह है कि यह रोके जाने योग्य स्थिति में है।" भारत में पुरुषों और महिलाओं में कैंसर के टॉप कारक रोकथाम किए जाने की स्थिति में है।
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पहले नॉलेज सेशन के बाद पैनल डिस्कशन हुई। इनमें सबसे पहला गैर-संक्रामक रोगों के लिए आयुष को जोड़ने के विषय पर था, जिसका संचालन डॉ. जी.जी. गंगाधरन, उपाध्यक्ष, आयुर्वेदाचार्य संचालन समिति ने किया। इस चर्चा में सीसीआरएएस के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एन श्रीकांत, डाबर इंडिया लिमटेड में चिकित्सा मामले एवं नैदानिक अनुसंधान के प्रमुख डॉ अरुण गुप्ता, सीसीआरवाईएन के परियोजना अधिकारी डॉ. वदिराजा एचएस और प्रकृति शक्ति क्लीनिक सीजीएच अर्थ के सीएमओ डॉ सिजिथ श्रीधर शामिल थे।
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डॉ. जीजी गंगाधरन ने अपने उद्घाटन भाषण में गैर-संक्रामक रोगों के एकीकरण के लिए एक पुल निर्माण अभ्यास की शुरुआत करने का आह्वान किया। डॉ. श्रीकांत ने यह कहते हुए आयुर्वेद को विभिन्न विज्ञानों के ज्ञान को अपनाने और समाहित करने पर जोर दिया कि "ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली का एकीकरण किया जा सकता है."
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