मई-जून का महीना गर्मी से तप रहा होता है। धूप देखते ही शरीर ही नहीं, मन भी कुम्हलाने लगा है। ऐसे में बहुत से अन्य उपायों के साथ एक तरीका यह भी है कि योग से गर्मी के प्रकोप को कम करें। जानें गर्मियों में सेहत के लिए फायदेमंद कुछ प्रणायाम क्रियाओं के बारे में। गर्मी में शीतली और शीतकारी प्राणायाम शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। सुबह शुद्ध हवा में इन क्रियाओं को करने से शरीर में ऑक्सीजन जाती है और फेफड़ों और पेट को गर्मी के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। प्राणायाम के दौरान सांस गहरी और खुल कर आनी चाहिए। मुद्रा आराम वाली रहे। आमतौर पर पालथी की स्थिति में इसे करना चाहिए, लेकिन जिन लोगों को कमर या पीठ का दर्द है या जो पालथी मार कर नहीं बैठ सकते, वे कुर्सी पर बैठ कर भी प्राणायाम की क्रियाएं कर सकते हैं।
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शीतली
ध्यान की स्थिति में बैठें। पीठ को सीधा रखें। हाथों को घुटनों पर रखें और शरीर को ढीला छोड़ दें। अब अपनी जीभ बाहर निकालें। जीभ को दोनों ओर से इस तरह मोड़ें कि नाव सी बन जाए। अब इस नाव या ट्यूब के जरिए सांस भीतर खींचें। हवा जीभ से अंदर जाकर मुंह व तालू को ठंडक पहुंचाएगी। अब जीभ को अंदर करें और सांस को नियंत्रित करते हुए धीरे-धीरे नाक के जरिए बाहर निकालें। शुरू में इस क्रिया को 10 बार तक दोहराएं। धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं और दिन में कभी भी इसे जरूरत व इच्छा के अनुसार कर सकते हैं।
शीतकारी
पालथी मारकर या वज्रासन में बैठें। अपनी दोनों दंत-पंक्तियों को आपस में मिलाएं। जीभ को मोड़ कर तालू से चिपका लें और अपने होंठ खोल लें, ताकि दांतों की दोनों पंक्तियां दिखाई दें। मुंह से इस तरह सांस अंदर खींचें कि वह दांतों के बीच से होकर गुजरे। इससे मुंह और फेफड़ों के भीतर तक ठंडक का अनुभव होगा। सांस को पूरा भरने के बाद मुंह बंद कर लें और धीरे-धीरे नाक से सांस बाहर निकालें। इस अभ्यास को 10 बार तक करें और जरूरत पडऩे पर दिन में दो-तीन बार कर सकते हैं।
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उज्जाई है अच्छा प्राणायाम
इसके लिए पद्मासन में बैठें। सांस भीतर खींचें और अपने फेफड़ों को जितनी देर हो सके, भर लें। अब अपनी दायीं नासिका को अपने अंगूठे से बंद करें और बायीं नासिका से धीरे-धीरे सांस बाहर करें। अब इसी प्रक्रिया को बायीं नासिका से भी दोहराएं। गर्मी में होने वाली सांस संबंधी तकलीफों और घबराहट में यह प्राणायाम विधि बहुत काम आती है।
प्राणायाम के लाभ
इससे हृदय, फेफड़े और स्नायु तंत्र को मजबूती मिलती है। भूख-प्यास पर भी कंट्रोल होता है। रक्तचाप ठीक होता है और सांस की गति ठीक होती है। एसिडिटी, हाइ ब्लड प्रेशर, एंग्जाइटी में इससे लाभ होता है। यह गर्मी को दूर भगाता है। मन को शांत करता है और भावनात्मक स्थिरता पैदा करता है।
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