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ब्रेन स्ट्रोक के बाद हो सकती हैं हाथों से जुड़ी ये 5 समस्याएं, डॉक्टर से जानें क्या है इसका इलाज

29 अक्‍टूबर को वर्ल्ड स्‍ट्रोक डे मनाया जाता है इस संदर्भ में हम लेख के माध्‍यम से स्‍ट्रोक के कारण हाथों पर पड़ने वाले प्रभाव, उपाय पर चर्चा करेंगे 

Yashaswi Mathur
Written by: Yashaswi MathurUpdated at: Oct 21, 2021 16:56 IST
ब्रेन स्ट्रोक के बाद हो सकती हैं हाथों से जुड़ी ये 5 समस्याएं, डॉक्टर से जानें क्या है इसका इलाज

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स्‍ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी के प्रत‍ि जागरूकता बढ़ाने के व‍िचार से व‍िश्‍व भर में 29 अक्‍टूबर को वर्ल्ड स्‍ट्रोक डे मनाया जाता है। पीड़‍ित व्‍यक्‍त‍ि के द‍िमाग में ब्‍लड सर्कुलेशन में रुकावट के कारण पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन द‍िमाग तक नहीं पहुंच पाती और स्‍ट्रोक की समस्‍या आती है, ये एक गंभीर स्‍थ‍ित‍ि है। स्‍ट्रोक आने पर व्‍यक्‍त‍ि संतुलन खो देता है, या उसे कई अंगों में गंभीर दर्द हो सकता है। स्‍ट्रोक के कारण मरीज के कई अंगों पर प्रभाव पड़ता है जि‍नमें से एक हैं हाथ। स्‍ट्रोक के कारण हाथों की सेंसेशन धीमी हो जाती है, आपको हाथ से काम लेने में समस्‍या होती है, हाथ में कमजोरी का अहसास भी हो सकता है। स्‍ट्रोक के कारण शरीर के कई ह‍िस्‍से पैरालाइज़ हो जाते हैं ज‍िसके कारण मूवमेंट बध‍ित हो सकता है। स्‍ट्रोक के कारण हाथ पर पड़ा प्रभाव क‍ितने समय में ठीक होगा ये मरीज की स्‍थ‍ित‍ि पर न‍िर्भर करता है। मरीज की व‍िल पॉवर और इम्‍यून‍िटी पर भी इलाज का अंतराल न‍िर्भर करता है। इस लेख में हम स्‍ट्रोक के कारण हाथों पर पड़ रहे प्रभाव और उसे ठीक करने के उपायों पर चर्चा करेंगे। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

stroke

(image source:shopify)

1. स्‍ट्रोक के कारण हाथों का मूवमेंट प्रभाव‍ित होता है (Stroke affects hand movement)

स्‍ट्रोक को आसान भाषा में ब्रेन अटैक भी कहते हैं। स्‍ट्रोक आने के कारण द‍िमाग की क्रियाएं अन‍ियंत्र‍ित हो जाती हैं और पैरालिस‍िस की स्‍थ‍ित‍ि आ सकती है। ज‍िन लोगों को स्‍ट्रोक आता है उनके हाथों का मूवमेंट प्रभाव‍ित होता है। पीड़‍ित व्‍यक्‍त‍ि को हाथ में जलन या प्रेशर भी महसूस हो सकता है। स्‍ट्रोक के बाद हाथ से चीजों को पकड़ने या सामान्‍य काम जैसे हाथ से खाना खाना या नहाने में भी व्‍यक्‍त‍ि को परेशानी हो सकती है। स्‍ट्रोक होने पर हर केस में पैराल‍िस‍िस हो ऐसा जरूरी नहीं है। ज‍िन केसों में दवाओं से मरीज जल्‍दी र‍िकवर हो जाते हैं उनके अंगों पर ज्‍यादा प्रभाव नहीं पड़ता, लेक‍िन ये न‍िर्भर करता है क‍ि मरीज की क्‍या कंडीशन है और उसे क‍ितनी जल्‍दी इलाज म‍िल रहा है।

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2. स्‍ट्रोक के कारण हाथों में आ जाती है कमजोरी (Stroke cause weakness in hands)

stroke cause hand pain

(image source:google)

ज‍िन लोगों को स्‍ट्रोक होता है उनके हाथों में कमजोरी होने लगती है। अगर पीड़ित व्‍यक्‍त‍ि को हाथ से कुछ पकड़ने या हाथ को चलाने में तकलीफ है तो ये स्‍ट्रोक के कारण हो सकती है। स्‍ट्रोक के कारण हाथों की मसल्‍स वीक हो जाती हैं और उनको सामान्‍य काम भी हाथ से कर पाने से मुश्‍क‍िल का सामना करते हैं। ज‍िन लोगों को हाल ही में स्‍ट्रोक आया है उन्‍हें इलाज के बाद फ‍िज‍ियोथैर‍ेपिस्‍ट से संपर्क करना चाहि‍ए ताक‍ि उनके हाथों को मूवमेंट फ‍िर से पहले जैसा हो सके। 

3. स्‍ट्रोक के कारण हाथों में दर्द होता है (Stroke cause pain in hands)

स्‍ट्रोक के कारण हाथों में दर्द हो सकता है, कुछ लोगों को मसल्‍स के टाइप होने का अहसास होता है ज‍िससे आगे चलकर दर्द होता है। मसल्‍स के टाइट हो जाते हैं के कारण कंधे में भी दर्द हो सकता है। कई बार हड्ड‍ियों में कमजोरी के कारण हड्ड‍ियां अपनी जगह से ड‍िसलोकेट हो जाती हैं ज‍िसके कारण भी हाथों में दर्द हो सकता है। कुछ लोगों को तेज दर्द तो कुछ को ठंडा या गरम लगने का अहसास होता है। ऐसा नर्वस स‍िस्‍टम को नुकसान पहुंचने के कारण होता है।

4. स्‍ट्रोक के कारण हाथों की मसल्‍स टाइट हो जाती हैं (Stroke cause stiffness in muscles)

stroke affects hands 

(image source:shopify)

स्‍ट्रोक के बाद शरीर के कई अंगों के साथ-साथ हाथ पर भी इसका असर होता है। कई लोगों को ये अनुभव हुआ है क‍ि स्‍ट्रोक के बाद मसल्‍स टाइट हो जाती हैं, इस कारण पीड़ित व्‍यक्‍त‍ि को हाथ को मूव करने में परेशानी हो सकती है। मलस्‍ल टाइट होने के कारण पूरी तरह मुड़ती नहीं है और उनको हाथ को सीधा करने ने भी परेशानी होती है। स्‍ट्रोक के बाद कई मसल्‍स का साइज छोटा या बड़ा भी हो सकता है और ये बदलाव स्‍थाई यानी पर्मानेंट हो सकता है।

5. स्‍ट्रोक के कारण हाथों में सेंसेशन कम हो जाती है (Stroke cause change in sensation)

stroke and hands

(image source:cleverhervard)

स्‍ट्रोक के कारण हाथों में सेंस‍ेशन कम हो जाती है। पीड़ित व्‍यक्‍त‍ि को ऐसा अहसास होगा जैसे हाथ सुन्‍न हो गए हैं या वो हाथ की स्‍किन पर दबाव डालने के बाद भी प्रेशर का अहसास नहीं कर पाएंगे। वहीं अगर पीड़ित व्‍यक्‍त‍ि ने हाथ में टाइट कपड़े पहने हैं तो इसका अहसास भी आपको नहीं होगा। अगर उनकी स्‍क‍िन पर कुछ ठंडा या गरम पड़ेगा तो उसका अहसास भी उनको नहीं होगा। नसों के डैमेज के कारण तापमान का असर भी हाथों पर वो महसूस नहीं कर सकेंगे। अगर आप मरीज को स्‍ट्रोक आने के बाद समय पर अस्‍पताल ले जाएं तो मरीज स्‍ट्रोक के गंभीर पर‍िणामों से बच सकता है। 

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स्‍ट्रोक के इलाज में फ‍िज‍ियोथैरेपी लाभदायक (Physiotherapy for stroke treatment)

physiotherapy

(image source:shopify)

स्‍ट्रोक के कारण द‍िमाग का क‍ितना ह‍िस्‍सा प्रभाव‍ित हुआ है ये जानने के ल‍िए डॉक्‍टर सीटी स्‍कैन, एमआरआई, एंज‍ियोग्राफी आद‍ि जांच करवाते हैं। बाक‍ि जांचों में डॉक्‍टर बीपी, डायब‍िटीज आद‍ि टेस्‍ट करते हैं। डॉक्‍टरों का मानना है क‍ि स्‍ट्रोक के इलाज के ल‍िए आप फ‍िज‍ियोथैरेपी कर सकते हैं-

  • डॉ सीमा ने बताया क‍ि कई केस मे स्‍ट्रोक के मरीजों की न‍ियम‍ित फ‍िज‍योथैरेपी होने पर बेकार हो चुके अंग दोबारा हरकत में आए, हालांक‍ि हर केस में र‍िजल्‍ट पॉज‍िट‍िव हो ऐसा जरूरी नहीं है।
  • फ‍िज‍ियोथैरेपी के ल‍िए आप क‍िसी प्रश‍िक्ष‍ित अस्‍पताल से ही संपर्क करें, बेहतर होगा क‍ि आप उसी अस्‍पताल में फ‍िज‍ियोथैरेपी करवाएं जहां मरीज का इलाज चल रहा हो।
  • स्‍ट्रोक के कारण पीड़‍ित व्‍यक्‍त‍ि के हाथ व अन्‍य अंगों पर प्रभाव पड़ता है ज‍िसे ठीक करने के ल‍िए फि‍ज‍ियोथैरेपी का सहारा ल‍िया जा सकता है।
  • फिज‍ियोथैरेपी की मदद से ज‍िन मांसपेश‍ियों में हरकत कम हो जाती है उसे दोबारा ठीक‍ क‍िया जाता है। 
  • स्‍ट्रोक के दौरान थैरेपी के साथ-साथ व्‍यक्‍त‍ि को न‍ियम‍ित व्‍यायाम और सही खानपान पर भी ध्‍यान देना चाह‍िए।

स्‍ट्रोक के कारण अगर पीड़‍ित व्‍यक्‍त‍ि के क‍िसी अंग में हरकत बंद या कम हो गई तो उसकी माल‍िश करने के बजाय आप चिक‍ित्‍सा सहायता लें और सही इलाज करवाएं।

(main image source:stroke.health)

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