मेनिनजाइटिस एक गंभीर समस्या है, जिसके मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। दरअसल, यह एक प्रकार का दिमगी बुखार है। दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आस-पास मौजूद झिल्लियाें के आस-पास पाए जाने वाले तरल पदार्थ में जब इंफेक्शन हो जाता है तो यह समस्या हो सकती है। हर साल 24 अप्रैल को वर्ल्ड मेनिनजाइटिस डे मनाया जाता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस समस्या के प्रति जागरुक हो सकें। आइये जानते हैं वर्ल्ड मेनिनजाइटिस डे क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास, महत्व और थीम के बारे में।
वर्ल्ड मेनिनजाइटिस डे का इतिहास
वर्ल्ड मेनिनजाइटिस डे हर साल पहले 5 अक्टूबर को मनाया जाता था, लेकिन अब इसकी तारीख बदलकर 24 अप्रैल कर दी गई है। इस दिवस की शुरुआत साल 2008 में की गई थी। यह बीमारी आम हो चुकी है, जो तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक ग्लोबल प्लैन बनाया था, जिसमें संगठन द्वारा साल 2030 तक इस बीमारी का खात्मा करने का टारगेट बनाया गया था।
वर्ल्ड मेनिनजाइटिस डे का महत्व
वर्ल्ड मेनिनजाइटिस डे को मनाने का उद्देश्य और इसका महत्व मरीजों को ठीक करना और इस बीमारी के प्रति लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरुक करना है। इस दिवस पर कई स्वास्थ्य संगठन एकजुट होकर लोगों को इस बीमारी के बारे में बताकर उन्हें जागरुक करते हैं। यही नहीं, इस दौरान लोग भी बढ़-चढ़कर इस प्रोग्राम में हिस्सा लेते हैं। ऐसे में कई जगहों पर कैंप लगाकर इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाई जाती है, जिसमें डॉक्टर और मरीज दोनों ही शामिल रहते हैं।
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मेनिनजाइटिस के लक्षण
- मेनिनजाइटिस होने पर शरीर में कई लक्षण देखने को मिल सकते है।
- इस समस्या में आपको बुखार आने के साथ-साथ ठंड भी लग सकती है।
- गर्दन में अकड़न आने और सिरदर्द की भी समस्या हो सकती है।
- इस स्थिति में जोड़ों में दर्द होने के साथ ही साथ सूजन भी आ सकती है।