World Meningitis day: दिमागी बुखार के इलाज में जरा सी देरी ले सकती है मरीज की जान, जानें बचाव

दिमागी बुखार एक संक्रामक रोग है, जिसकी चपेट में अधिकतर छोटे बच्चें आते हैं। यह रोग वायरस, बैक्टीरिया और फंगी के माध्यम से फैलता है। दिमागी बुखार के उपचार में जरा सी देर मरीज की जान ले सकती है। हालांकि कई बार यह बीमारी ठीक हो जाती है लेकिन इसका प्रभाव ताउम्र बना रहा है।
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World Meningitis day: दिमागी बुखार के इलाज में जरा सी देरी ले सकती है  मरीज की जान, जानें बचाव

दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस) एक संक्रामक रोग है, जिसकी चपेट में अधिकतर छोटे बच्चें आते हैं। यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया और फंगी के माध्यम से फैलती है। दिमागी बुखार को एक खतरनाक बीमारी के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसके उपचार में जरा सी देर मरीज की जान ले सकती है। हालांकि कई बार यह बीमारी ठीक हो जाती है लेकिन इसका प्रभाव ताउम्र बना रहा है।

धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर गौरव जैन ने इस बीमारी के बारे में बताते हुए कहा कि दिमागी बुखार एक संक्रामक बीमारी है जो मेनिन्गोकोकस नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है, जिसके कारण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है। दिमागी बुखार में व्यक्ति की रोग प्रतिरोषक क्षमता कमजोर पड़ हो जाती है।

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दिमागी बुखार के लक्षण के बारे में डॉ. गौरव ने बताया कि सिर में दर्द होना, मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना,  गर्दन, पीठ और कंधों में अकड़न होना और शरीर के सभी बाहरी भागों में कमजोरी महसूस होना दिमागी बुखार के मुख्य लक्षण है।

वहीं इसके लक्षणों की पहचान कैसी की जा सकती है, जिसके बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि दिमागी बुखार की पहचान ब्लड टेस्ट, एक्स-रे और सीटी स्कैन के माध्यम से की जा सकती है।

दिमागी बुखार का उपचार

दिमागी बुखार से पीड़ित व्यक्ति का इलाज सरकारी अस्पताल में मौजूद इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर में किया जाता है। इसके साथ ही दिमाग बुखार से बचाव के लिए सरकारी अस्पतालों में बच्चों का पूरा टीकाकरण कराया जाता है। यह टीका बच्चों को दिमागी बुखार से बचाने के साथ-साथ अन्य कई गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। इसके साथ ही दिमागी बुखार का इलाज के लिए डॉक्टरों द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है, यह दवाएं दिमाग को सूजन को कम करने में मददगार होते है।

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दिमागी बुखार से बचाव के तरीके 

  • दिमागी बुखार से बचने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कम जाएं।
  • यह एक संक्रामक रोग है इसलिए अगर किसी व्यक्ति को पहले से बुखार है तो उसके संम्पर्क में आने से बचें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें।
  • दिमागी बुखार से पीड़ित व्यक्ति को खाने देने के बाद अच्छी तरह से हाथ धोकर खाना खाएं।
  • हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी वैक्सीन लगान चाहिए, ताकि व्यक्ति का इम्युन सिस्टम इस वायरस से लड़ने में मदद मिल सकें।
  • नियमित रूप से व्यायाम को अपने दिनचर्या में शामिल करें।

दिमागी बुखार से पीड़ित व्यक्ति को अचानक मिर्गी का दौरा पड़ सकता है, इसके साथ ही उसे अचानक बुखार भी बढ़ जाता है। दिमागी बुखार का हालांकि कोई ठोस उपचार मौजूद नहीं है लेकिन इसका उपचार किया जा सकता है। देखभाल और साफ-सफाई दिमागी बुखार से बचाव कर सकती है।

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