World AIDS Day 2019: एड्स के कारण हर 1 घंटे में होती है 13 बच्चों की मौत, पढ़ें यूनिसेफ की रिपोर्ट

यूनिसेफ के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एड्स के कारण दुनियाभर में 0-14 से साल के लगभग 13 बच्चों की मौत हर घंटे हो रही है।
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World AIDS Day 2019: एड्स के कारण हर 1 घंटे में होती है 13 बच्चों की मौत, पढ़ें यूनिसेफ की रिपोर्ट


आज विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) है। 1 दिसंबर को हर साल दुनियाभर में ये दिन इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच एचआईवी-एड्स (HIV-AIDS) के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। एड्स आज दुनिया की गंभीरतम बीमारियों में से एक है, जिसका अभी तक कोई समुचित इलाज नहीं खोजा जा सका है। चूंकि ये बीमारी अनुवांशिक है, इसलिए होने वाली संतानें भी इसका शिकार हो जाती हैं। यही कारण है कि एड्स के कारण बच्चों की मौत का आंकड़ा चौंकाने वाला है। यूनिसेफ की हाल में जारी एक रिपोर्ट की मानें तो एड्स के कारण हर घंटे 13 बच्चों की मौत होती है, यानी एक दिन में लगभग 320 बच्चों की मौत। ये रिपोर्ट यूनिसेफ ने 26 नवंबर को जारी की थी और इसमें बताए गए आंकड़े साल 2018 के हैं।

बच्चों को नहीं मिल रहा सही समय पर इलाज

एड्स को ठीक तो नहीं किया जा सकता है, मगर सही समय पर इलाज मिल जाए, तो मरीज की जिंदगी बढ़ाई जा सकती है और उसे कुछ समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। एड्स के मरीजों को जिंदगी और समय देने के लिए एंटीरेट्रोवायरल ड्रग बनाया जा चुका है। ये एक ऐसा ड्रग है, जो संक्रमित व्यक्ति के शरीर में एचआईवी के वायरस की संख्या घटाता है। मगर हकीकत ये है कि एड्स के बारे में लोगों में जागरूकता बहुत कम है और इलाज की पहुंच भी सभी तक नहीं हो पाती है। यूनिसेफ के अनुसार 2018 में 0 से 14 साल के एड्स के शिकार कुल बच्चों में से सिर्फ 54% बच्चों (लगभग 790,000 बच्चे) को ही एड्स का इलाज मिल पाया था।

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"हमें जिंदगी को चुनना है"

यूनिसेफ के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर Henrietta Fore के अनुसार, "दुनिया एड्स और एचआईवी से जंग लड़ने के लिए काफी हद तक तैयार है, मगर हमें इतनी सी प्रगति से खुश होकर बैठ नहीं जाना चाहिए। बच्चों और किशोरों में (एड्स की) जांच और इलाज को नजरअंदाज करना जिंदगी और मौत के चुनाव जैसा है, और हमें जिंदगी को चुनना है।"

10 सालों में काफी लोगों को बचाया गया है, मगर अफसोस! सबको नहीं

एड्स की शिकार महिलाओं से उनके होने वाले बच्चों पर इस वायरस का असर न हो, इसके लिए उन्हें रेट्रोवायरल थेरेपी दी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार ये रेट्रोवायरल थेरेपी 10 साल पहले जहां सिर्फ 44% महिलाओं को मिल पाती थी, वहीं अब ये थेरेपी 82% महिलाओं को दी जा रही है।
Henrietta Fore ने कहा, "हमने अब तक 20 लाख से ज्यादा महिलाओं को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दी है, जिसके कारण 5 साल से कम उम्र के 10 लाख से ज्यादा बच्चों को बचाया जा चुका है। मगर अभी हमें काफी सफर तय करना है।"

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क्या कहती है यूनिसेफ की रिपोर्ट

  • साल 2018 में 0-9 वर्ष के लगभग 160,000 नए बच्चे एचआईवी से संक्रमित हुए थे, जबकि इसी साल इस वायरस की चपेट में आने वाले बच्चों की कुल संख्या लगभग 11 लाख थी।
  • साल 2018 में 5 साल से कम उम्र के लगभग 89,000 बच्चे प्रेग्नेंसी के दौरान एचआईवी का शिकार हुए थे, जबकि 76,000 बच्चे स्तनपान के दौरान इस वायरस का शिकार हुए थे।
  • साल 2018 में 50,000 किशोर लड़के एचआईवी का शिकार हुए थे, जबकि किशोर लड़कियों में ये संख्या 140,000 थी।

Source: UNICEF Press Release

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