नाइट शिफ्ट से रातों की नींद के साथ लिवर भी होता है खराब

नाइट शिफ्ट में काम करने वालों के लिए एक बुरी खबर है। एक नए शोध के अनुसार नाइट शिफ्ट में काम करने से आपका लिवर भी बुरी तरह प्रभावित होता है।
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नाइट शिफ्ट से रातों की नींद के साथ लिवर भी होता है खराब


नाइट शिफ्ट का चलन केवल कॉल सेंटर में ही नहीं है बल्कि कई अन्‍य कंपनियों में भी लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नाइट शिफ्ट में काम करते हैं। हालांकि रातभर ऑफिस का काम करना कोई आसान काम नहीं है और तो और इससे आपकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है। जी हां लगातार रातभर काम करने से दिल की बीमारी, डायबिटीज, अनिंद्रा और स्‍ट्रेस शरीर को घेर लेता है। लेकिन एक नए शोध के अनुसार नाइट शिफ्ट में काम करने से आपका लिवर भी बुरी तरह प्रभावित होता है।


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लिवर पर असर

नाइट शिफ्ट में काम करने वालों के लिए एक बुरी खबर आई है! एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि रात में काम करने से लिवर पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो कि सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है। लिवर 24 घंटों में दिन और रात के हिसाब से भोजन और भूख के चक्र का आदी हो जाता है। नाइट शिफ्ट के चलते आप समय पर भोजन नहीं कर पाते, जिसका सीधा असर आपके लिवर पर पड़ता है। शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर पाया कि लिवर का आकार रात में बढ़ता है और वह खुद को ज्यादा डाइट के लिए तैयार करता है, लेकिन उसे समय पर उतनी खुराक नहीं मिल पाती। जिससे उसका डेली रुटीन गड़बड़ा जाता है और लिवर पर इसका बुरा असर पड़ता है। 

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क्‍या कहता है शोध

सेल नामक पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, जब सामान्य जैविक क्रिया की लय उलट जाती है, तो लिवर के घटने-बढ़ने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि व्यावसायिक बाधाओं या निजी आदतों के चलते हमारी जैविक घड़ी यानी बायोलॉजिकल क्लॉक और दिनचर्या बिगड़ती है। जिसका सीधा असर लिवर के महत्वपूर्ण कामकाज पर पड़ता है। प्रयोग के दौरान चूहों को रात में चारा दिया गया, जबकि दिन में आराम करने दिया गया।

इस मामले में जिनेवा यूनिवर्सिटी के शोध प्रमुख फ्लोर सिंटूरल ने कहा कि हमने देखा कि रात में सक्रिय चरण यानी एक्टिव फेज़ के दौरान लिवर 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ता है और दिन के दौरान यह शुरुआती आकार में वापस आ जाता है। बायोलॉजिकल क्लॉक में बदलाव से यह प्रक्रिया प्रभावित होती है।

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Image Source : Shutterstock.com

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