महिलायें घर पर सारा दिन एक्टिव रहती हैं। इसके साथ ही अगर वे ऑफिस भी जाती हों, तो उन पर काम और जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा काम और मेहनत करने के बाद भी महिलाओं को अकसर पूरा आराम नहीं मिलता। आमतौर पर घरों में महिला व पुरुष साथी एक-दूसरे से नींद को लेकर झगड़ते रहते हैं।
पुरुषों का तर्क होता है कि वे भी दिन भर ऑफिस में काम करके थक जाते हैं, तो महिलायें घर अथवा दफ्तर या दोनों की जिम्मेदारियां होने की बात करती हैं। रात में रोते बच्चे को चुप कराने के लिए किसके पास ऊर्जा बची है, इस पर भी मियां-बीवी बहस करते मिल जाएंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि दोनों में से आखिर किसे ज्यादा नींद की जरूरत होती है। और कौन कम नींद से काम चला सकता है।
रातों की नींद खराब हो जाए तो किसी का भी मूड खराब हो जाता है। लेकिन एक शोध में कहा गया है कि इसका असर महिलाओं पर ज्यादा पड़ता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक रात में पूरी नींद नहीं सो पाने वाली महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती हैं। यही नहीं, नींद में खलल का सेहत पर कुल मिला कर पड़ने वाले असर के मामले में भी महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होती हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
रात में खराब नींद के जो मानक निर्धारित किए गए, उनमें नींद की कुल अवधि, रात में जागने की अवधि और नींद आने में लगने वाले समय को शामिल किया गया।
प्रमुख शोधकर्ता ड्यूक यूनिवर्सिटी के डा. एडवर्ड सुआरेज कहते हैं, 'नींद में कमी का संबंध मानसिक तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन और गुस्से से है। हमने पाया कि यह समस्या महिलाओं में जिस स्तर तक पाई जाती है, उस तुलना में पुरुषों में काफी कम होती है।'
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में 210 वयस्क पुरुषों व महिलाओं को शामिल किया। इनमें से किसी को पहले से नींद संबंधी कोई बीमारी नहीं थी। इनलोगों के रक्त के नमूने लेकर जांचे गए और सभी की मनोवैज्ञानिक हालत का विश्लेषण किया गया।
महिलाओं में नींद खराब होने की स्थिति में 'सी-रिएक्टिव प्रोटीन' और 'इंटरल्यूकिन-6' का स्तर काफी बढ़ा पाया गया। इनका बढ़ा स्तर डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा देता है। पुरुषों में यह खतरा कम पाया गया।
इससे पता चलता है कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक नींद की जरूरत होती है। और साथ ही महिलायें यदि कम नहींद लें तो इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ने की आशंका अधिक होती हैं। तो, महिलायें यदि कभी अधिक आराम करती हैं, तो यह उनकी जरूरत और अधिकार दोनों हैं।