आंखों से नींद चुरा लेता है वाई-फाई

डेनमार्क की स्‍कूली छात्राओं ने पता लगाया है कि वायरलैस रेडियो तरंगे किस हद तक आपके शरीर पर बुरा असर डाल सकती हैं। यह तरंगे इतनी खतरनाक होती हैं कि उनकी मौजूदगी में बीज भी नहीं पनप पाते।
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आंखों से नींद चुरा लेता है वाई-फाई


wi fi effects your sleepडेनमार्क की स्‍कूली छात्राओं के दल ने एक हैरतअंगेज वैज्ञानिक तथ्‍य  का खुलासा किया है। इन्‍होंने अपने साधारण वैज्ञानिक प्रयोग के जरिये यह साबित किया है कि वाई-फाई उपकरण इनसान की सेहत पर बुरा असर डालते हैं। इससे निकलने वाली रेडियो तरंगों से नींद तक उचट हो जाती है।

 

डेनमार्क के हेलर्प स्‍कूल की इन छात्राओं का कहना है कि सोते समय मोबाल फोन पास रखने से उन्‍हें पूरे दिन क्‍लास में ध्‍यान केंद्रित करने में परेशानी हुई। कुछ छात्राओं की तो नींद भी बाधित हुई।


छात्रायें ने यह प्रयोग पौधों पर भी किया। उन्‍होंने वायरलैस रूटर का इस्‍तेमाल किया, जिनसे मोबाइल जैसी ही रेडियो तरंगें निकलती हैं। छात्राओं ने वाई-फाई रूटर के बगल में रखकर जब झाड़ उगाने की कोशिश की तो अधिकतर बीज मर गए। इसके लिए उन्‍होंने कमरे में छह झाड़ की ट्रे रखीं, जहां वाई-फाई रूटर या मोबाइल नहीं था।

 

वहीं, दूसरे कमरे में वाई-फाई रूटर के साथ झाड़ की छह ट्रे रखीं। देखा कि 12 दिनों में वाई-फाई रूटर के कमरे में रखे गए झाड़ के बीज मर गए, जबकि दूसरे कमरे के बीज अंकुरित हो गए थे। इससे पहले अध्‍ययन में यह कहा गया था कि वायरलेस रेडियो सिग्‍नल के पास उगे पेड़ों के पत्ते सूख जाते हैं।

 

यहां यह बात ध्‍यान देने वाली है कि एक वर्ष तक वाई-फाई रूटर के नजदीक रहने पर कोई व्‍यक्ति उतनी ही रेडियो तरंगें झेलता है, जितना 20 मिनट के फोन कॉल से निकलती हैं। इसके अलावा वाई-फाई रूटर से घर में इस्‍तेमाल होने वाले माइक्रोवेव के मुकाबले एक लाख गुना हानिकारक तरंगें निकलती हैं।

 

वायरलेस रेडियो तरंगें कुछ दूरी के बाद खत्‍म हो जाती हैं। वाई-फाई तरंगों के प्रभाव से बचने के लिए लैपटॉप को मेज पर रखकर काम करना बेहतर होगा न कि गोद में। इसके अलावा रूटर से तीन फुट की दूरी भी अच्‍छी रहेगी।

 

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