खाने से पहले उसके चारों तरफ क्यों छिड़कते हैं पानी, जानिए

आपको याद होगा जब आपके पिता या दादा जी भोजन करने से पहले थाली के चारो तरफ तीन बार जल (पानी) छिड़कते थे। इसके साथ ही कुछ लोग मंत्रोच्‍चार भी करते थे। ऐसा क्‍यों किया जाता है आइए जानते हैं।
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खाने से पहले उसके चारों तरफ क्यों छिड़कते हैं पानी, जानिए


भारतीय परंपराओं का हमेशा से ही दुनिया में अलग स्‍थान रहा है, शायद यही कारण है कि दुनियाभर के लोग हमारी सभ्‍यता का अनुसरण करते दिख जाते हैं। वहीं अगर भारतीयों की बात की जाए तो ज्‍यादातर लोग अपनी परंपराओं को भूलते जा रहें है, जिनका हमारे बुजुर्ग बहुत ही ईमानदारी से पालन करते हैं। तमाम मान्‍यताओं के बीच यहां हम एक ऐसी ही मान्‍यता का जिक्र कर रहें हैं जो धीरे-धीरे हमारे बीच से विलुप्‍त होती जा रही है।

भोजन

आपको याद होगा जब आपके पिता या दादा जी भोजन करने से पहले थाली के चारो तरफ तीन बार जल (पानी) छिड़कते थे। इसके साथ ही कुछ लोग मंत्रोच्‍चार भी करते थे। उत्‍तर भारत में इसे चित्र आहति और तमिलनाडू में परिसेशनम के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता था, क्‍योंकि ऐसा करके हमारे बुजुर्ग अन्‍न के प्रति सम्‍मान प्रकट करते थे। यही नही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी वजहें भी हैं, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं।

खाने से पहले उसके चारों और क्यों छिड़कते है जल

 

दरअसल, पुराने जमाने में ज्‍यादातर लोगों के मकान कच्‍चे होते थे, इसलिए घर की फर्श भी कच्ची होती थी। इसके अलावा लोग जमीन पर बैठकर ही खाना खाते थे, जिनके पास थाली होती थी वह थाली में खाते थे, जिनके पास कुछ नही होता था वह केले के पत्‍तों में खाना खाते थे। अगर खाना खाते समय कोई बगल से गुजरे तो फर्श की धूल उड़कर भोजन में ना पड़े इसलिए लोग थाली के चारो तरफ पानी छिड़कते थे। ऐसा करना सेहत की दृष्टि से भी बहुत महत्‍वपूर्ण थी। आज भी तमाम लोग फर्श पर बैठकर भोजन करते हैं, खासकर गांवों में अभी भी ऐसा करने का प्रचलन है। ऐसे में खाने में धूल मिट्टी जाना स्‍वाभाविक है। ऐसे में अगर आप भी थाली के चारों तरफ पानी छिड़कते हैं तो इससे आपके भोजन में धूल नही जाएगा, जिससे आप बैक्‍टीरिया से बचे रहेंगे जिससे आप बीमारियों और किसी प्रकार की एलर्जी की समस्‍या से पीड़ित होने से बच जाएंगे।

पहले ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि कीड़े, मकोड़े चलकर खाने में ना पहुंचे। पानी के कारण वह थाली तक नही पहुंच पाते थे। कीड़े, मकोड़ों से विशेषकर रात में दिक्‍कत होती थी। भरपूर रोशनी नही होने के कारण ऐसा किया जाता था। ऐसा करना आज भी कहीं न कहीं फायदेमंद है। इसके साथ ही जमीन पर बैठकर भोजन करने की परंपरा का भी अपना महत्‍व है। गांवों में ज्यादातर लोग आज भी जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं। जमीन पर बैठकर खाना खाने से हमारी पीठ कई बार मुड़ती जिससे रक्‍त का प्रवाह और पाचनतंत्र सही होता है। खाना पचाने में मदद मिलती है।

Image Source : Getty

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