टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) पुरुषों में पाया जाने वाला सेक्स हार्मोन होता है जो एड्रिनल ग्लैंड द्वारा बनाया जाता है। आमतौर पर इसका काम केवल सेक्सुअल फंक्शन और मसल्स के मास तक ही सीमित माना जाता है लेकिन इसके और भी काफी सारे काम होते हैं। पुरुषों के स्वस्थ रहने के लिए शरीर में टेस्टोस्टेरॉन के पर्याप्त लेवल का होना आवश्यक माना जाता है। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल की कंसलटेंट डॉ. जॉली अरोड़ा के मुताबिक टेस्टोस्टेरोन लेवल में कमी का एक कारण अत्याधिक फैट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी है। जिसकी वजह से उसका असर लीवर और किडनी की एक्टिविटीज पर पड़ता है। तब एड्रिनल ग्लेंड ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाते। इस हार्मोन की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग जैसी समस्याएं होने लगती हैं। ताकि इस हार्मोन का स्तर बैलेंस रहे इसलिए लाइफ स्टाइल ठीक रखना जरूरी है। यह सबसे महत्त्वपूर्ण हार्मोन माना जाता है। तो आइए जानते हैं पुरुषों के शरीर में इस हार्मोन का क्या महत्त्व होता है।
1. मसल्स मास बढ़ाने के लिए लाभदायक
आपने अक्सर एथलीट आदि को मसल्स का भार बढ़ाने के लिए टेस्टोस्टेरॉन का इंजेक्शन लगवाते देखा होगा। लेकिन इन इंजेक्शन द्वारा शरीर को काफी हानि भी पहुंच सकती है इसलिए इस प्रकार के उपचार और टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी केवल डॉक्टर की सलाह के साथ ही लें। टेस्टोस्टेरॉन लेवल में आने वाली कमी और उसका मसल्स पर पड़ने वाले प्रभाव को डिटेक्ट करने के लिए काफी अलग अलग तरीके होते हैं और इन लेवल को प्राकृतिक रूप से भी बढ़ाया जा सकता है।
2. प्रजनन क्षमता बढ़ाता है
अगर पुरुषों में लो लिबिडो पाया जाता है तो उसका कारण भी टेस्टोस्टेरॉन लेवल में आने वाली कमी हो सकती है। युवाओं में सेक्स ड्राइव बहुत अधिक होना भी टेस्टोस्टेरॉन के कारण ही होता है। लेकिन जब पुरुषों की उम्र बढ़ने लगती है तो यह लेवल कम होना शुरू हो जाते हैं। फिर इनका प्रभाव भी उल्टा हो जाता है। 28-30 साल की उम्र तक पहुंचने पर पुरुषों में हर साल लगभग एक फीसदी सेक्स हार्मोन्स की कमी आती है, ऐसा रिसर्च ने साबित किया है।
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3. मूड बदलने का जिम्मेदार
अगर आपके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन के लेवल बहुत कम होंगे तो इसका अर्थ है आपके मूड में भी काफी जल्दी जल्दी परिवर्तन देखने को मिलेगा। सेक्स हार्मोन्स मानसिक सेहत और जज्बातों में भी एक अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसा पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी होता है। इसलिए अगर आपका मूड आम तौर पर ज्यादा खराब या चिड़चिड़ा रहता है तो एक बार इन हार्मोन्स के लेवल ज्ञात करना भी जरूरी समझें।
4. हड्डियों का भार
टेस्टोस्टेरॉन आपकी बोन डेंसिटी को भी प्रभावित करता है और कई बार तो कम उम्र में हड्डियों में होने वाले फ्रैक्चर का कारण भी यही हार्मोन होता है। हालांकि ऐसा कम होता है। जिस प्रकार यह हार्मोन मसल्स मास बढ़ाने से जुड़ा हुआ है उसी प्रकार यह बोन डेंसिटी से भी जुड़ा हुआ है। कई बार इस हार्मोन में आने वाला असंतुलन या कमी आपकी हड्डियों को कमजोर और उन्हें चोट लगने का रिस्की बना देता है।
5. शरीर पर आने वाले बाल
टीन अवस्था में लड़कों के शरीर पर आने वाले बालों का कारण टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन ही होता है। लेकिन जैसे ही पुरुषों की उम्र बढ़ती है तो यह हार्मोन उल्टा काम करना शुरू कर देता है। इसलिए ही जैसे जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है उनके सिर पर गंजापन आम हो जाता है और प्यूबिक हेयर का विकास शरीर के कुछ हिस्सों में अधिक भी देखने को मिल सकता है।
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6. मोटापे से भी जुड़ा है टेस्टोस्टेरॉन
जैसे ही टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के लेवल कम हो जाते हैं वैसे ही पुरुषों का फिटनेस लेवल भी काफी कम होने लगता है। इस प्रकार उनमें मोटापा बढ़ने लगता है और वह ओबेसिटी के शिकार हो सकते हैं। इसलिए 28 की उम्र पार करने के बाद आपको यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए कि शरीर में टेस्टोस्टेरॉन के लेवल सही है भी या नहीं ताकि मोटापे से बचा जा सके।
टेस्टोस्टेरॉन के लेवल का बहुत अधिक कम होना या बहुत अधिक ज्यादा होना दोनों ही आपके लिए खतरनाक हो सकते हैं। जब तक प्राकृतिक तरीकों से इसके लेवल बढ़ा सकते हैं तब तक थेरेपी या उपचार की ओर न जाएं।
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