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पुरुषों की मानसिक सेहत के बारे में लोग इन 5 बातों को मानते हैं सही, लेकिन सच्चाई है इससे अलग

पुरुषों के मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी इन धारणाओं को आप भी मानते हैं सच तो पढ़ें पूरा लेख   
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पुरुषों की मानसिक सेहत के बारे में लोग इन 5 बातों को मानते हैं सही, लेकिन सच्चाई है इससे अलग

पुरुषों के मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर बहुत सी गलत धारणाएं हैं ज‍िसे पीछे छुपी सच्‍चाई हमें जान लेनी चाह‍िए। मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर बहुत सी ऐसी गलत जानकारी हैं ज‍िनके बारे में आपको डॉक्‍टर या एक्‍सपर्ट से बात करनी चाह‍िए। हमें लगता है पुरुष मानस‍िक तौर पर मजबूत होते हैं और वो कमजोर नहीं पड़ते पर ऐसा नहीं है, गलत जानकारी के आधार पर हम कई बार ड‍िप्रेशन, तनाव आद‍ि का श‍िकार हो जाते हैं। इस लेख में हम पुरुषों के मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी जरूरी बातों पर चर्चा करेंगे। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्‍सलिंग साइकोलॉज‍िस्‍ट डॉ नेहा आनंद से बात की।

mental health men

image source:google 

1. क्‍या पुरुष कभी नहीं रोते? (Men never cry)

ऐसा माना जाता है क‍ि पुरुष मानस‍िक तौर पर कभी कमजोर नहीं होते या उन्‍हें रोना नहीं आता पर ऐसा नहीं है, पुरुष भी मानस‍िक तौर पर कमजोर हो सकते हैं और हर बार उन्‍हें मजबूत नजर आने का प्रेशर भी पुरुष को तनाव में डाल सकता है। हमेशा अपनी फील‍िंग्‍स छुपाना भी मन पर एक प्रेशर क्रिएट करता है। अगर आप पुरुष होकर क‍िसी मानस‍िक परेशानी से गुजर रहे हैं तो मेड‍िटेशन का सहारा लें, मेड‍िटेशन के साथ आप सुबह आधा घंटा योग व ब्रीद‍िंग एक्‍सरसाइज जरूर करें।

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2. पुरुष इमोशनल नहीं होते? (Men are not emotional) 

पुरुष मानस‍िक तौर पर इमोशलन नहीं होते हैं, ये भी एक गलत धारणा है ज‍िसे लेकर साइकोलोजि‍स्‍ट और डॉक्‍टर्स कई बार लोगों को बताते हैं। पुरुष भी इमोशनल होते हैं या हो सकते हैं और ये पूरी तरह से सामान्‍य स्‍थ‍िति है। डॉ नेहा ने बताया क‍ि पुरुष भी रोकर, हंसकर या क‍िसी अन्‍य भाव को पूरी तरह से जता सकते हैं, उन पर क‍िसी तरह का कोई दबाव नहीं होना चाह‍िए या उन पर प्रेशर नहीं होना चाह‍िए क‍ि उन्‍हें अपनी फील‍िंग्‍स बांटने का मौका न म‍िले, अगर आप क‍िसी समस्‍या का श‍िकार हैं तो अपने दोस्‍त या र‍िश्‍तेदारों के साथ तकलीफ जरूर शेयर करें।

3. पुरुषों को मेंटल सपोर्ट की जरूरत नहीं होती? 

डॉ नेहा ने बताया क‍ि पुरुषों को भी मेंटल सपोर्ट की जरूरत होती है। लोगों में आम धारणा होती है क‍ि पुरुषों को मेंटल सपोर्ट की जरूरत नहीं होती पर ऐसा नहीं है पुरुषों को भी मेंटल सपोर्ट की जरूरत होती है। हमारे पास ज्‍यादातर केस 30 से 40 साल की उम्र वाले पुरुषों के आते हैं जो मानस‍िक समस्‍या से जूझ रहे होते हैं और लगभग सभी केस में ऐसे मरीज अकेला महसूस करते हैं। 

4. पुरुषों को आता है ज्‍यादा गुस्‍सा? (Men are more angry)

angry men

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लोगों में आम धारणा है कि पुरुषों को ज्‍यादा गुस्‍सा आता है हालांक‍ि ऐसा नहीं है। ज्‍यादा गुस्‍सा आना है, क‍िसी मानस‍िक समस्‍या की ओर संकेत करता है। अगर आप क‍िसी मानस‍िक समस्‍या से गुजर रहे हैं या आपकी नींद पूरी नहीं हुई है तो आपको ज्‍यादा गुस्‍सा आ सकता है। आप क‍िस माहौल में क‍िन पर‍िस्‍थ‍ित‍ियों में रह रहे हैं इस पर भी न‍िर्भर करता है क‍ि क‍ि आपकी मानस‍िक अवस्‍था कैसी है। साइकोलॉजि‍स्‍ट के मुताब‍िक जो पुरुष ज्‍यादा एल्‍कोहल का सेवन करते हैं या ज्‍यादा व्‍यस्‍त या तनाव में रहते हैं उन्‍हें ज्‍यादा गुस्‍सा आना स्‍वभाव‍िक है। 

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5. पुरुषों को मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य का इलाज करवाना चाह‍िए या नहीं? (Treatment of mental problems in men)

कुछ लोगों को लगता है क‍ि पुरुषों को मानस‍िक समस्‍याओं के ल‍िए इलाज नहीं होती पर पुरुष अगर मानस‍िक च‍िक‍ित्‍सक की मदद लेंगे तो वो प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को बेहतर ढंग से न‍िभा सकते हैं। कई बार शरीर में ड‍िप्रेशन के लक्षण या तनाव के लक्षण नजर आते हैं पर हम उन्‍हें नजरअंदाज कर देते हैं ज‍िसके चलते आपको समस्‍या हो सकती है।

पुरुष अक्‍सर मानस‍िक समस्‍या से बचने के ल‍िए ड्रग्‍स, एल्‍कोहल आद‍ि चीजों का सहारा लेते हैं पर आपको इसकी जगह अच्‍छे मानस‍िक च‍िकित्‍सक से म‍िलें और इलाज करवाएं जरूरी नहीं क‍ि हर केस में दवा ही जाए कई बार थैरेपी की मदद से भी इलाज क‍िया जाता है। 

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