गॉसिप गपशप करना तो हर समाज और देश के लोगों को मज़ेदार लगता है, खासतौर पर महिलाओं को तो यह बहुत भाता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पुरुष गॉसिप नहीं करते! तो भला भारतीय महिलाएं व पुरुष इन सबसे कैसे बच सकते हैं! कॉलेज में पढ़ने वाले युवा हों या फिर वर्किंग लोग, यहां तक की परिवार की देखभाल करने वाली गृहणी भी गॉसिप करने से खुद को रोक नहीं पाती। दोस्तों के साथ बात करते हुए वे कब अपने परिचितों की चटपटी गॉसिप शुरू कर देती हैं, उन्हें पता ही नहीं चलता। लेकिन भला हमें गॉसिप में मज़ा क्यों आता है? चलिये जानने की कोशिश करते हैं।
सुपीरियर दिखने के लिए
देखा गया कि वे लोग जो खुद के बारे में अच्छा महसूस नहीं करते, वे जब दूसरों के बारे में नकारात्मक निष्कर्ष निकालते हैं या उनके बारे में गॉसिप करते हैं तो अस्थायी रूप से बेहतर महसूस करते हैं।
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मूड को बेहतर बनाने के लिए
लोगों को ज्ञान और विचारों पर आधारित रोचक विचार विमर्श नहीं कर पाते हैं, तब वे अक्सर गॉसिप करना शुरू करते हैं, उन्हें लगता है कि लोगों की रुचि जगाने का ये अच्छा तरीका है। और कई बार वे इसमें सफल भी हो जाते हैं।
ईर्ष्या से बाहर आने के लिए
देखा जाता है लोग अक्सर उन लगों के बारे में गॉसिप कर उन्हें चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं, जिनकी लोकप्रियता, प्रतिभा या जीवन शैली से वे ईर्ष्या करते हैं। ये एक प्रकार से उनके ईर्ष्या से बाहर आने का प्रयास होता है।
समूह के हिस्से की तरह महसूस करने के लिए
कुछ लोग गॉसिप इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा कर यह लगता है कि वे जिन लगों से गॉसिप कर रहे हैं, या जिनके बारे में गॉसिप कर रहे हैं, वे उस समूह का हिस्सा हैं। हालांकि ये अक्सर भ्रम ही साबित होता है।
ध्यान केन्द्रित करने के लिए
हो सकता है कि गॉसिप करते समय कोई व्यक्ति अस्थायी रूप से ध्यान का केंद्र बन जाए, लेकिन फिर भी, गपशप या अफवाहें फैलाना लोगों के ध्यान को खरीदने जैसा है। यह अस्थायी होता है और इसकी कोई नींव नहीं होती है।
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क्रोध या दुख से बाहर आने के लिए
कोई व्यक्ति उपेक्षा से भरी टिप्पणियों से प्रतिकार या प्रतिशोध की भावना प्राप्त कर सकता है। जी हां कई बार लोग अपने दिल में दबे भावों या कुंठा को बाहर निकालने के लिए गॉसिप का सहारा लेते हैं।
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केवल महिलाएं ही नहीं करती गॉसिपिंग
आमतौर पर माना जाता है कि महिलाएं ही ज्याद गॉसिपिंग करती हैं। लेकिन एक नए शोध की मानें तो पुरुष महिलाओं से ज्यादा समय गप्पें मारने में बिताते हैं। शोध के अनुसार महिलाएं हर दिन करीब 52 मिनट गप्पें मारती हैं, वहीं पुरुष रोजाना करीब 76 मिनट तक किसी न किसी तरह गॉसिप में व्यस्थ रहते हैं। यद्यपि महिला और पुरुष दोनों ही गॉसिप करने के शौकीन होते हैं लेकिन गॉसिप करने के उनके तरीकों में एक बड़ा और महत्वपूर्ण अंतर होता है।
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