जब हम संगीत सुनते हैं या डर का अनुभव करते हैं तब हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसा अक्सर होता है। जब हम अधिक रोमांचित होते हैं या फिर कोई पुरानी बात याद आती है तब भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कई बार रोंगटे खड़े होने से हमें अपने रोमांच का अहसास होता है। रोंगटे खड़े होना किसी व्यक्ति की त्वचा के रोमों के आधार पर अनायास विकसित होने वाले उभार हैं, जो संगीत, डर, ठंड या फिर गहन भावनाओं जैसे भय, विषाद, खुशी, उत्साह, प्रशंसा और कामोत्तेजना का अनुभव करने के कारण प्रकट हो सकते हैं। शरीर पर मौजूद प्रत्येक रोआं मांसपेशियों से जुड़ा होता है। आइए हम आपको बताते हैं कि रोंगटे क्यों खड़े होते हैं।
क्यों खड़े होते हैं रोंगटे
व्यक्ति का दिमाग एक केन्द्रीय कम्प्यूटर की तरह शरीर के सभी हिस्सों को संचालित करता है। इसके लिए वह नर्वस सिस्टम की सहायता लेता है। पूरे शरीर में नाड़ियों यानी नर्व्स का एक जाल है। मस्तिष्क से हमारी रीढ़ की हड्डी जुड़ी है, जिससे होकर धागे जैसी नाड़ियां शरीर के सभी हिस्से तक जाती हैं। दिमाग से निकलने वाला संदेश शरीर के हर अंग तक जाता है।
इसमें ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम होता है, इसके दो हिस्से होते हैं - सिम्पैथेटिक और पैरासिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम। जब आप कोई डरावनी चीज देखते हैं या जोशीला और भावुक संगीत सुनते हैं तब सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम दिल की गति बढ़ा देता है। उसका उद्देश्य शरीर के सभी अंगों तक ज्यादा रक्त पहुंचाना होता है। साथ ही यह किडनी के ऊपर एड्रेनल ग्लैंड्स से एड्रेनालाइन हार्मोन का स्राव करता है, जिससे मासंपेशियों को अतिरिक्त शक्ति मिलती है। यह इसलिए होता है ताकि आपको उस परिस्थिति का सामना करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा मिल सके। इसके अलावा शरीर की मांसपेशियां शरीर के रोयों को उत्तेजित करती हैं ताकि शरीर में गर्मी आए। यह प्रतिक्रिया सर्दी लगने पर भी दोहरायी जाती है।
संगीत सुनने पर
संगीत सुनने पर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। संगीत सुनने के बाद रोंगटे खड़े होने की प्रवृत्ति पर कनाडा के वैज्ञनिकों ने अनुसंधान भी किया। इस शोध में वैज्ञनिकों ने यह पाया कि जब संगीत हमें उल्लास, खुशी, भावुकता की अनुभूति कराता है, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसका सीधा संबंध दिमाग से हैं जो एड्रेनाइल हार्मोन के कारण होता है।
डर लगने पर
भय और डर लगने पर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अक्सर आप पुरान बातों को याद करते हैं जिनके कारण आप भयभीत हुए थे, उस स्थिति में भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। डरावनी कहानी पढ़ने और सुनने पर भी रोंगटे खड़े होते हैं। यह सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम के कारण होता है जो दिल की धड़कन बढ़ाता है और त्वचा की मांसपेशियों को प्रभावित करता है।
ठंड लगने पर
सर्दियों में भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जब वातावरण ठंडा होता है तब शरीर में उपस्थित पसीना बनाने वाली ग्रंथियां अपना आकार छोटा कर लेती हैं। इन ग्रंथियों का उद्देश्य शरीर की गर्मी को बनाये रखना होता है। जब ग्रंथियों का आकार छोटा होता है तब मांसपेशियों में छिंचाव आता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
रोंगटे किसी भी परिस्थिति में खड़े हो सकते हैं, क्योंकि हमारे शरीर के रोयें मांसपेशियों से जुड़़े होते हैं जो दिमाग से नियंत्रित होता है। इसलिए यदि आपके रोंगटे खड़े होते हैं तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं यह कुछ पलों के लिए होता है और इसके बाद त्वचा सामान्य स्थिति में आ जाती है।