Doctor Verified

किन लोगों को लेसिक सर्जरी नहीं करवानी चाहिए? जानें डॉक्टर से

Who Should Not get Lasik Surgery : आजकल लोग चश्मा हटाने के लिए लेसिक सर्जरी करवाते हैं, लेकिन आज हम जानेंगे कि किन लोगों को लेसिक सर्जरी नहीं करवानी चाहिए?  
  • SHARE
  • FOLLOW
किन लोगों को लेसिक सर्जरी नहीं करवानी चाहिए? जानें डॉक्टर से


Who Should Not get Lasik Surgery : आजकल खराब खानपान और बढ़ते स्क्रीन टाइम की वजह से लोगों की आंखों पर बुरा असर होता है। ऐसे में लोगों को कम उम्र से ही चश्मा लगाना पड़ता है। हालांकि, आजकल लोग चश्मा लगाना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। यही कारण है कि चश्मे से बचने के लिए लोग लेंस का इस्तेमाल करते हैं। फैशन को देखते हुए लोग अपनी पसंद के रंग-बिरंगे लेंस लगा जरूर लेते हैं, लेकिन इनकी सही तरह से केयर नहीं करने पर आंखों में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में चश्मे को पूरी तरह से हटाना उनके लिए ज्यादा बेहतर ऑप्शन होता है। आजकल के समय में चश्मे को हटाने के लिए लेसिक सर्जरी की जाती है। आंखों की यह सर्जरी काफी कॉमन हो गई है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि एक उम्र के बाद चश्मा हटाने वाली इस लेसिक सर्जरी को कोई भी करवा सकता है, मगर यह सच नहीं है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि किन लोगों को लेसिक सर्जरी नहीं करवानी चाहिए। आइए इस बारे में डॉ. अनुराग वाही, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स से जानते हैं।

लेसिक सर्जरी क्या है?- What is Lasik Surgery

lasik

लेसिक सर्जरी की फुल फॉर्म लेजर-असिस्टेड इन सीटू केराटोमाइल्यूसिस (LASIK) होती है। अगर आसान शब्दों में इसे समझने की कोशिश करें, तो लेसिक आंखों की सर्जरी है। इसे करवाने के बाद व्यक्ति को चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह एक पेनलैस सर्जरी होती है। इस सर्जरी में कॉर्निया के सामने से एक पतला फ्लैप काटा जाता है। इसके बाद कॉर्निया के आकार को बदला जाता है, जिससे आंखों की रोशनी में सुधार होता है।

किन लोगों को नहीं करवानी चाहिए लेसिक सर्जरी?-  Who should not get Lasik Surgery Done

- ट्रीटमेंट को बाधित करने वाली स्थिति

अगर आप किसी ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, जो ट्रीटमेंट प्रोसेस को बाधित करती है। जैसे कि केलोइड्स या ऑटोइम्यून रोग जैसी समस्याएं होने पर आपको लेसिक सर्जरी करवाने से बचना चाहिए। ऐसा करवाने पर कॉर्निया में धुंधलापन हो सकता है और ऑपरेशन के बाद भी आंखों की रोशनी में सुधार नहीं होता है।

- कॉर्नियल संक्रमण

अगर आप कॉर्नियल संक्रमण या अल्सर वाले कॉर्निया की स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो लेजर लगाने से कॉर्नियल टिशूज ज्यादा डैमेज हो सकते हैं। वहीं, कुछ सर्जन हर्पीज नेत्र संक्रमण (केराटाइटिस) के इतिहास वाले लोगों पर भी लेसिक सर्जरी करने में हिचकिचा सकते हैं। इस स्थिति में लेजर वायरस को फिर से एक्टिव कर सकती है।

इसे भी पढ़ें- क्या लेसिक सर्जरी के बाद आंखों में छोटे-छोटे लाल धब्बे आना सामान्य है? जानें एक्सपर्ट की राय

- केराटोकोनस

केराटोकोनस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें कॉर्निया पतला और उभरा हुआ हो जाता है। अब क्योंकि लेजर सर्जरी में टिशूज को निकालना शामिल है, इसलिए डैमेज का खतरा बढ़ सकता है। इस स्थिति में लेसिक सर्जरी रोशनी को काफी हद तक खराब कर सकती है।

- आइसोट्रेटिनॉइन दवाई

कई लोग आइसोट्रेटिनॉइन दवाई (एक्यूटेन) का सेवन कर रहे होते हैं। यह दवा अक्सर स्किन के मुहांसों के लिए दी जाती है। अगर आप इस दवाई का सेवन कर रहे हैं, तो लेसिक सर्जरी करवाने से बचना चाहिए। इससे रोगियों में जरूरी पोस्ट-ऑपरेटिव सूखी आंखों (Dry Eye) की समस्या हो सकती है।

- 18 वर्ष से कम आयु के लोग

अगर आपकी उम्र 18 साल से कम है, तो आपको यह सर्जरी नहीं करवानी चाहिए। दरअसल, इस आयु में नेत्रगोलक (Eyeball) बढ़ और बदल रहे होते हैं। इसके परिणामस्वरूप आपकी लेसिक सर्जरी के बाद भी आंखों की रोशनी में सुधार नहीं होता है।  

इसे भी पढ़ें- आंखों की समस्या को दूर करती है लेसिक सर्जरी, जानें इसके जोखिम कारक 

बता दें कि लेसिक सर्जरी के बाद सबसे आम साइड इफेक्ट में से एक सूखी आंखें हैं। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही गंभीर रूप से सूखी आंखें हैं या इससे जुड़ी कोई अन्य स्थिति है, तो लेसिक सुरजी नहीं करवानी चाहिए। आपको यह सर्जरी करवाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

Read Next

घर के अंदर कपड़े सुखाते हैं तो हो जाएं सावधान, डॉक्टर ने बताया- सांस से जुड़ी बीमारियों का बढ़ता है खतरा

Disclaimer