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आंखों की समस्या को दूर करती है लेसिक सर्जरी, जानें इसके जोखिम कारक

आंखों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए लेसिक सर्जरी की जाती है। आगे जानते हैं कि लेसिक सर्जरी क्यों की जाती है और इससे क्या जोखिम हो सकता है?
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आंखों की समस्या को दूर करती है लेसिक सर्जरी, जानें इसके जोखिम कारक


हमारे शरीर के सबसे सवेदनशील अंगों में आंखों के शामिल किया जाता है। स्किन, हेयर और अन्य अंगों की तरह ही आंखों को भी विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। लेकिन, कई बार कुछ कारणों के चलते आंखों से धुंधला दिखाई देना या ना दिखाई देने की समस्या होती है। ऐसे में आप चश्मा पहन लेते हैं। लेकिन, कुछ समस्याओं जैसे निकट दृष्टि दोष (Myopia), दूरदृष्टि दोष (Hyperopia) या एस्टिगमैटिज्म (Astigmatism) में आपको धुंधला दिखाई देने की समस्या हो सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर लेसिक सर्जरी की सलाह देते हैं। इस सर्जरी में कम्यूराइज्ड लेजर का उपयोग किया जाता है। इसमें आंखों के कॉर्निया को दोबारा से सही आकृति दी जाती है। इसे LASIK (Laser-Assisted In Situ Keratomileusis) के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह सर्जरी सेफ होती है। लेकिन, कुछ लोगों को इससे जोखिम हो सकता है। कुछ लोगों को सर्जरी के बाद आंखों में लालिमा, तेज रोशनी को सहन न कर पाना, आंखों में सूखापन और हल्का दर्द महसूस हो सकता है। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए आईशील्ड पहनने की सलाह देते हैं। साथ ही, मरीज को खेल-कूद व आंखों पर जोर देने वाले काम न करने के लिए कहते हैं। इस लेख में आई केयर सेंटर, नई दिल्ली के वरिष्ट नेत्र सर्जन डॉक्टर संजीव गुप्ता से जानते हैं कि लेजिक सर्जरी के क्या फायदे होते हैं और इससे क्या जोखिम हो सकते हैं? 

LASIK सर्जरी की प्रक्रिया कैसे होती है?

लेसिक सर्जरी में आंख के कॉर्निया की बाहरी परत (फ्लैप) को एक सटीक लेजर या माइक्रोकेरेटोम नामक उपकरण से काटा जाता है, फिर एक एक्साइमर लेजर (Excimer Laser) की मदद से कॉर्निया के नीचे की सतह को आवश्यकतानुसार आकार दिया जाता है। इसके बाद, फ्लैप को उसकी मूल स्थिति पर वापस रखा जाता है। यह प्रक्रिया तेज होती है और आमतौर पर 10-15 मिनट में पूरी हो जाती है।

लेसिक सर्जरी के क्या फायदे होते हैं? - Benefits of Lasik Surgery In Hindi 

  • सर्जरी के बाद आंखों की रोशनी में तेजी से सुधार होता है। 
  • इसके परिणाम स्थायी होते हैं। 
  • सर्जरी के बाद मरीज को चश्मा और लेंस की जरूरत नहीं होती है। 
  • लेसिक सर्जरी के बाद रिकवरी तेजी से होती है। जिससे व्यक्ति को ज्यादा परेशानी नहीं होती है। 

लेसिक सर्जरी के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं? - Risk Factors Of Lasik Surgery In Hindi 

यह सर्जरी सुरक्षित  मानी जाती है। लेकिन, इसके अपने जोखिम कारक और जटिलताएं हो सकती है। इनके बारे में आगे बताया गया है। 

आंखों का सूखना (Dry Eyes) 

लेजिक प्रक्रिया के बाद कुछ लोगों को अस्थायी रूप से आंखों के रूखे होना या सूखापन महसूस हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर आंखों में नमी बनाए रखने के लिए ड्रॉप्स दे सकते हैं। 

लाइट सेंसेटिविटी (Light Sensitivity) 

सर्जरी के बाद कुछ समय तक रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है। कुछ मरीजों को रात के समय दिखने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, कम रोशनी में चीजों को देखने में परेशानी हो सकती है। 

दृष्टि में उतार-चढ़ाव (Vision Fluctuations) 

LASIK के बाद कुछ लोगों को शुरुआत में दृष्टि में हल्का उतार-चढ़ाव महसूस हो सकता है, लेकिन यह ज्यादातर मामलों में अस्थायी होता है और समय के साथ ठीक हो जाता है।

संक्रमण का खतरा 

किसी भी अन्य सर्जरी की तरह लेसिक में भी संक्रमण का थोड़ा सा खतरा होता है। हालांकि, यह दुर्लभ है, लेकिन संक्रमण हो जाने पर आंखों की दृष्टि पर गंभीर असर हो सकता है।

आंखों की स्थिरता 

कुछ मामलों में, सर्जरी के बाद कॉर्निया की बनावट अस्थिर हो सकती है, जिससे देखने में समस्याएं आ सकती हैं। इसे केराटोकोनस कहते हैं, हालांकि यह बहुत दुर्लभ होता है।

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Lasik Surgery For Vision Problem : जो व्यक्ति चश्मा या लेंस का उपयोग नहीं करना चाहते हैं उनके लिए लेसिक सर्जरी एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। लेकिन, इसके अपने जोखिम होते हैं। सर्जरी कराने से पहले आपको डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए। डॉक्टर इलाज से पहले आंखों से जुड़े टेस्ट कर सकते हैं। इस सर्जरी के बाद आप नॉर्मल लाइफ में लौट सकते हैं। 

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