
Who Should Not Use Sesame Oil: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत पर पहले की तरह ध्यान नहीं देते। बिना सोचे-समझे, किसी भी मौसम में कुछ भी खा लेते हैं, जिससे शरीर में असंतुलन पैदा हो जाता है। जबकि आयुर्वेद में ऋतुचर्या (मौसम के अनुसार आहार-विहार) का विशेष महत्व बताया गया है। हर मौसम में हमारा शरीर अलग तरीके से रिएक्ट करता है, इसलिए खानपान भी उसी के अनुसार होना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, कुछ फूड्स ऐसे होते हैं, जिनका सेवन विशेष ऋतुओं में करने से लाभ होता है, लेकिन वही चीजें गलत मौसम में खाने से नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर तिल का तेल। यह गर्म तासीर वाला होता है और सर्दियों में शरीर को गर्मी और पोषण देने का काम करता है, लेकिन गर्मी और बरसात के मौसम में इसका अधिक सेवन पित्त दोष को बढ़ा सकता है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, तिल का तेल किसे नहीं खाना चाहिए?
तिल का तेल किसे नहीं खाना चाहिए? - Who Should Not Use Sesame Oil
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि तिल का तेल (Sesame Oil) आयुर्वेद में अत्यधिक पौष्टिक और गुणकारी माना गया है। यह शरीर को गर्मी प्रदान करता है और विशेष रूप से शिशिर ऋतु (सर्दियों) में इसके सेवन की सलाह दी जाती है। लेकिन शरद (पतझड़) और वसंत ऋतु में इसका अधिक सेवन करने से शरीर में असंतुलन हो सकता है। यह न केवल त्वचा और हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है, बल्कि पाचन और इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। हालांकि, हर व्यक्ति के लिए तिल का तेल उपयुक्त नहीं होता। कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं कि किन लोगों को तिल के तेल से परहेज करना चाहिए और क्यों।
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1. पित्त प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को तिल के तेल से बचना चाहिए
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर तीन दोषों वात, पित्त और कफ से बना होता है। तिल का तेल स्वभाव से गर्म होता है, जो शरीर में पित्त दोष को बढ़ा सकता है। जिन लोगों में पहले से ही पित्त की अधिकता होती है, उन्हें तिल के तेल का सेवन करने से बचना चाहिए। अगर आपके शरीर में पित्त दोष की प्रधानता है, तो तिल का तेल आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
2. एसिडिटी और हार्टबर्न की समस्या
डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, जिन लोगों को गैस्ट्रिक समस्याएं, एसिडिटी और हार्टबर्न जैसी परेशानियां होती हैं, उन्हें तिल के तेल से बचना चाहिए। इसका कारण यह है कि तिल का तेल पेट में गर्मी बढ़ाता है, जिससे एसिड का स्तर बढ़ सकता है और पेट में जलन होने लगती है। अगर आपको खट्टी डकारें आती हैं, पेट में जलन महसूस होती है, सीने में जलन और दर्द रहता है या खाना खाने के बाद भारीपन लगता है, तो तिल के तेल का सेवन बंद कर देना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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3. बदहजमी और मंद अग्नि से पीड़ित व्यक्ति
अगर किसी व्यक्ति की पाचन शक्ति (Digestive Fire) कमजोर है और उसे बार-बार अपच की समस्या होती है, तो तिल का तेल उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है। आयुर्वेद में इसे "अग्नि मंद" कहा जाता है, जिसका मतलब है कि शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो गया है। ऐसे लोगों को तिल का तेल पचाने में मुश्किल हो सकती है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
निष्कर्ष
तिल का तेल बहुत सेहतमंद होता है, लेकिन यह सभी लोगों के लिए उपयुक्त नहीं होता। खासकर, अगर आपको पित्त दोष, एसिडिटी, पथरी, बदहजमी या मंद अग्नि की समस्या है, तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, शरद और बसंत ऋतु में इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए। सही जानकारी और संतुलित सेवन से ही आप तिल के तेल के लाभों का पूरा आनंद ले सकते हैं। अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो तिल का तेल लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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