यूं ही नहीं रोता आपका शिशु, ये 5 बड़े कारण होते हैं जिम्मेदार

शिशु जब रोता है तो किसी को उसका रोना पसंद नहीं आता है और हर कोई अपने अपने तरीके से उसे चुप कराने की कोशिश करते हैं। लेकिन हम कोई ऐसा काम करें जिससे शिशु चुप होने के बजाय और भी ज्यादा परेशान हो जाए इसके लिए जरूरी है कि हमें उसके रोने का सही कारण पता हो। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि जहां पूरा घर मिलकर बच्चे को चुप नहीं करा सकता है वहीं मां की गोद अकेले ही बच्चे को जन्नत जैसी लगती है।
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यूं ही नहीं रोता आपका शिशु, ये 5 बड़े कारण होते हैं जिम्मेदार


शिशु जब रोता है तो किसी को उसका रोना पसंद नहीं आता है और हर कोई अपने अपने तरीके से उसे चुप कराने की कोशिश करते हैं। लेकिन हम कोई ऐसा काम करें जिससे शिशु चुप होने के बजाय और भी ज्यादा परेशान हो जाए इसके लिए जरूरी है कि हमें उसके रोने का सही कारण पता हो। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि जहां पूरा घर मिलकर बच्चे को चुप नहीं करा सकता है वहीं मां की गोद अकेले ही बच्चे को जन्नत जैसी लगती है। लेकिन आज हम जो टिप्स आपके साथ शेयर कर रहे हैं उन्हें एक मां का जानना भी बहुत जरूरी है। अपनी मां से संपर्क करने का यह उनका एक तरीका होता है। इसलिए मां के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि शिशु कब और किसलिए रोता है। लेकिन कई दफा हम शिशु के रोने की वजह नहीं समझ पाते। आइये जानते हैं शिशु आखिर क्यों रोते हैं।

नींद की कमी रुलाती है बच्चों को

देखा जाए तो शिशु जब मन आए, जहां मन आए सो सकते हैं। यह बेहद आसान और सरल महसूस होता है। जबकि हकीकत यह है कि सोने से पहले शिशु को काफी परेशानी होती है। उन्हें बेचैनी होती रहती है। वे बड़ों की तरह आसानी से लेटकर सपनों की दुनिया तक नहीं पहुंचते। इसके उलट अतिरिक्त थकान होने के कारण वे काफी परेशान होते हैं और काफी मुश्किलों का सामना कर सो पाते हैं। यही कारण है कि सोने से पहले वे काफी रोते हैं।

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गंदगी नहीं आती शिशु को पसंद

इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि शिशु गंदगी में रहना कतई पसंद नहीं करते। यदि आप अपने शिशु को डाइपर पहनाते हैं तो उसका ध्यान रखें। शिशु खुद डाइपर बदलने का संकेत आपको दे देते हैं। आपको सिर्फ इतना करना है कि उसके रोने के द्वारा दिये गए संकेत को समझें। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि हर समय शिशु को डाइपर में न रखें। इससे रैशेज़ होने का खतरा रहता है।

पेट खाली होने पर रोते हैं बच्चे

यह सबसे पहली वजह है। वास्तव में शिशु को जब भी भूख लगती है वह रोकर अपनी भूख को व्यक्त करते हैं। लेकिन आप अगर चाहें तो उसके भूख का पता पहले ही चल सकता है। सवाल है कैसे? दरअसल शिशु भूख लगने के दौरान अपने होंठ चूसने लगता है । अपने मुंह के इशारे से दूध ढूंढ़ता है। हाथ यहां वहां चला रहा होता है। यही नहीं भूख लगने पर शिशु अपना हाथ भी मुंह में दे देता है। सो इन संकेतों का ख्याल रखते हुए आप अपने शिशु को रोने से रोक सकते हैं।

कब्ज या गैस भी होता है कारण

पेट में दर्द, गैस आदि की समस्या होने पर भी शिुश राते हैं। यदि आपका शिशु प्रत्येक बार दूध पीने के बाद घंटों रोता है तो समझें कि उसके पेट में तकलीफ हो रही है। हो सकता है कि उसने ज्याद दूध पी लिया हो जिससे उसके पेट में दर्द हो रहा है या फिर दूध हजम नहीं हो रहा जिस कारण शिशु रो रहा है। ऐसी स्थिति से बचाने के लिए शिशु को आप ग्राइप वाटर दे सकते हैं। यूं तो बेहतर है कि शिशु को प्रथम छह माह तक ऊपरी कुछ भी न दें। संभव हो तो मां अपने खानपान में संयम बरतें।

अकेले लेटकर रोते हैं बच्चे

शिशु हमेशा अपने माता-पिता की गोद में रहना चाहते हैं, उनका चेहरा देखना चाहते हैं, उनकी आवाज सुनना चाहते हैं। यही नहीं वे अपने माता-पिता की दिल की धड़कन तक सुनना चाहते हैं साथ ही उनकी खुशबू भी महसूस करना चाहते हैं। यही कारण है कि बच्चे जब भी अपनी मां की गोद में जाना चाहते हैं तो वे रोना शुरु कर देते हैं। ऐसी स्थिति में वे किसी और की गोद में जाने से ज्यादा रोते हैं। 

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