छोटे बच्चों में यूटीआई यानी मूत्राशय का इंफेक्शन होने पर उन्हें किडनी के इंफेक्शन का भी खतरा होता है। मूत्राशय का सीधा संबंध किडनी से होता है इसलिए इसके संक्रमित होने पर बैक्टीरिया जल्द ही किडनी तक पहुंच जाते हैं। चूंकि छोटे बच्चों की किडनियां पूरी तरह विकसित नहीं होती हैं, इसलिए ये इंफेक्शन उनकी किडनियों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों में किडनी इंफेक्शन के क्या कारण होते हैं और कैसे किया जा सकता है इसका उपचार।
टॉयलेट में साफ-सफाई की कमी
बच्चों में किडनी के संक्रमण का एक मुख्य कारण टॉयलेट (शौचालय) में साफ-सफाई की कमी है। आपके टॉयलेट सीट पर करोड़ों बैक्टीरिया होते हैं, जो गुदा मार्ग से शिशु के शरीर में पहुंच कर किडनी को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए बच्चों को हर तरह के इंफेक्शन से बचाने के लिए टॉयलेट की साफ-सफाई बहुत जरूरी है। सप्ताह में कम से कम एक बार टॉयलेट को अच्छी तरह जर्म किलर लिक्विड से साफ करें। अगर बच्चा बहुत छोटा है, तो उसकी पॉटी और पेशाब का ख्याल रखें।
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प्रेग्नेंसी के दौरान मां के गर्भ में
कुछ बच्चे मां के गर्भ से ही कि़डनी के संक्रमण से संक्रमित होते हैं। गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं को डायबिटीज होता है, उनके शिशुओं को कई तरह के संक्रमण होने का खतरा होता है, जिनमें से एक किडनी का इंफेक्शन भी है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि महिला प्रेग्नेंसी के 16वें सप्ताह में डायबिटीज की जांच करवाएं, जिससे शिशु को होने वाले संक्रमण से समय रहते बचाया जा सके।
ई. कोली के कारण
ई. कोलाई एक तरह का जीवाणु है, जो छोटे बच्चों के पेट में हो जाता है। बच्चों की आंतों में ये जीवाणु प्रजनन करके बढ़ जाते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं। यही जीवाणु कई बार किडनियों तक पहुंचकर किडनी के संक्रमण का भी कारण बनते हैं। आमतौर पर इस जीवाणु के कारण छोटे बच्चों को यूटीआई भी हो जाता है।
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यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई मूत्रमार्ग का संक्रमण है। मूत्राशय का सीधा संबंध किडनी से होता है इसलिए इसके संक्रमित होने पर बैक्टीरिया जल्द ही किडनी तक पहुंच जाते हैं। चूंकि छोटे बच्चों की किडनियां पूरी तरह विकसित नहीं होती हैं, इसलिए ये इंफेक्शन उनकी किडनियों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
कैसे करें किडनी इंफेक्शन से बचाव
किडनी इंफेक्शन से बचाव के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
- छोटे शिशु के पॉटी या पेशाब करने पर जल्द से जल्द नैपी बदलें।
- बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव के लिए शिशु की गर्म पानी और एंटीबैक्टीरियल लिक्विड से अच्छी तरह सफाई करें।
- अपने टॉयलेट को हमेशा साफ और स्वच्छ रखें।
- बच्चों को पेशाब के दौरान जलन, पेशाब के साथ खून निकलने या पेट दर्द होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
- बच्चों को खिलाने-पिलाने के दौरान साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें।
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