शरीर में खून की कमी का संकेत है बच्चे के शरीर में पीलापन, जानें लक्षण और इलाज

छोटे बच्चों या बड़ों के शरीर में पीलापन दिखने पर अक्सर आप इसे पीलिया समझते हैं। मगर कई बार शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होने पर भी त्वचा पीली दिखने लगती है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जब शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा घट जाती है। छोटे बच्चों और शिशुओं में इस समस्या के कारण थकान, कमजोरी और त्वचा के पीलेपन के लक्षण दिखाई देते हैं। आमतौर पर एनीमिया का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी है। आइए आपको बताते हैं क्या हैं एनीमिया के लक्षण और इलाज।
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शरीर में खून की कमी का संकेत है बच्चे के शरीर में पीलापन, जानें लक्षण और इलाज

छोटे बच्चों या बड़ों के शरीर में पीलापन दिखने पर अक्सर आप इसे पीलिया समझते हैं। मगर कई बार शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होने पर भी त्वचा पीली दिखने लगती है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जब शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा घट जाती है। छोटे बच्चों और शिशुओं में इस समस्या के कारण थकान, कमजोरी और त्वचा के पीलेपन के लक्षण दिखाई देते हैं। आमतौर पर एनीमिया का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी है। आइए आपको बताते हैं क्या हैं एनीमिया के लक्षण और इलाज।

शरीर में खून की कमी के लक्षण

शरीर में खून की कमी होने पर आमतौर पर होंठ, नाखूनों, मसूड़ों, हाथ की हथेलियों और आंखों की परत पर पीलापन आ जाता है, जिसे कोई भी आसानी से नोटिस कर सकता है। इसके अलावा आलस और थकान की समस्या भी हो जाती है। छोटे बच्चे ऐसी स्थिति में सामान्य से ज्यादा सोने लगते हैं। थोड़े बड़े बच्चों में कई बार चक्कर आना, लेट के उठने पर आँखों के सामने अन्धेरा छा जाना, सिर दर्द, हृदय की धड़कन तेज होने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। कई बार एनीमिया के कारण ही शिशु को पीलिया (जॉन्डिस) भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में आमतौर पर शिशु के मूत्र का रंग भूरा हो जाता है। इसका खतरा उन बच्चों को ज्यादा होता है, जो साढ़े आठ महीने की अवधि से पहले पैदा हो जाते हैं।

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बच्चों को कितने आयरन की होती है जरूरत

किसी स्वस्थ मां के स्वस्थ नवजात शिशु के शरीर में इतना आयरन होता है कि मां के दूध से ही उसकी 4 से 6 माह तक की आयरन की जरूरत पूरी हो जाती है। लेकिन यदि बच्चा समय से पहले पैदा हुआ हो या जन्म के समय उसका वजन कम हो तो डॉक्टर जरूरत के हिसाब से उसे आयरन की खुराक देते हैं। किसी सामान्य 7 से 12 महीने तक के शिशु को रोज 11 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। वहीं 1 से 3 साल तक के शिशु को प्रतिदिन 7 मिलीग्राम आयरन की आवश्यक होता है।

जब शिशु 4 वर्ष से 8 साल का हो जाता है तब उसे 10 मिलीग्राम आयरन प्रतिदिन चाहिए होता है। 9 से 13 साल आयु हो जोने पर यहीं जरूरत 8 मिलीग्राम प्रतिदिन हो जाती है। किशोरावस्था में लड़कियों को लड़कों की तुलना में अधिक आयरन की जरूरत होती है। जहां किशोरावस्था में लड़के के शरीर को 11 मिलीग्राम आयरन प्रतिदिन चाहिए होता है, इसी समय लड़की को 15 मिलीग्राम प्रतिदिन आयरन की आवश्यकता होती है।

छोटे शिशु के लिए आयरनयुक्त आहार

ध्यान रहे कि आप ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें, जिनसे आपके बच्चे की सभी पौषण संबंधी जरूरतें पूरी हो सकें। शुरुआत में  शिशु को हल्का कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ दे सकते हैं, जैसे कि सूजी की खीर, घी वाली खिचड़ी, दलिया, कुचला हुआ केला आदि। लेकिन आपके शिशु के लिए इस उम्र में आयरन भी बेहद अहम है। जो शिशु मां के गर्भ में वक्त पूरा करके जन्म लेते हैं उसके शरीर में आयरन का भंडार छह महीनों तक रहता है। उसके बाद उसके शरीर से आयरन का कम होने लगता है और उसकी खुराक में आयरन की पर्याप्त मात्रा शामिल करना बेहद जरूरी हो जाता है। इस लिहाज से आयरन युक्त खाद्य को खास महत्व दें। आप कुचली हुई सब्जियों से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे उसे अन्य चीजें खिलाएं। दालें, फलियां, अंकुरित दालें, ब्रोकली व बंदगोभी आदि आयरन का अच्छा स्त्रोत हैं।

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थोड़े बड़े बच्चों के लिए आयरनयुक्त आहार

बच्चों के खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों और ड्राई फ्रूट्स जैसे- काजू, बादाम, किशमिश, अखरोट आदि को शामिल करें। खाने में आयरन के साथ साथ विटामिन सी को भी तरजीह दें क्योंकि यह शरीर में आयरन सोखने में मदद करता है। इसलिए आंवले-पुदीने की चटनी खाएं। साग या सलाद पर नींबू का रस डालना न भूलें। नियमित रुप से संतरे का जूस पिलाएं। नाश्ते में अंडे और टोस्ट को शामिल करें। स्नैक्स में भुने चने और गुड़ खाइए यह शरीर में हीमोग्लोबिन बनाते हैं। गुड़ का इस्तेमाल जरूर करें।

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