शिशु के जन्म के बाद ऐसे करें गर्भनाल की सही देखभाल, इंफेक्शन का रहता है खतरा

शिशु के जन्म के समय गर्भनाल काट दी जाती है। शुरुआती कुछ दिनों में गर्भनाल की सही तरह से देखभाल करना बहुत जरूरी है अन्यथा इसमें इंफेक्शन का खतरा होता है। चूंकि छोटे शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास नहीं हुआ होता है इसलिए उसका शरीर संक्रमण से खुद नहीं लड़ सकता है।
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शिशु के जन्म के बाद ऐसे करें गर्भनाल की सही देखभाल, इंफेक्शन का रहता है खतरा


जन्म से पहले शिशु जब गर्भ में होता है, तो आहार और पोषण के लिए वो मां पर निर्भर होता है। मां और शिशु आपस में गर्भनाल से जुड़े होते हैं और इसी गर्भनाल के माध्यम से शिशु को सभी जरूरी तत्व मिलते हैं। शिशु के जन्म के समय गर्भनाल काट दी जाती है। शुरुआती कुछ दिनों में गर्भनाल की सही तरह से देखभाल करना बहुत जरूरी है अन्यथा इसमें इंफेक्शन का खतरा होता है। चूंकि छोटे शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास नहीं हुआ होता है इसलिए उसका शरीर संक्रमण से खुद नहीं लड़ सकता है।

कैसे करें गर्भनाल की सफाई

गर्भनाल को अच्छी तरह साफ करने के लिए आपको कॉटन बड का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए उबला हुआ ठन्डा पानी लें। इसमें साफ़ कॉटन बड या बॉल भिगो कर नाल की सतह को पोछें। थोड़ा-थोड़ा साफ करने के बाद कॉटन बदलते रहें ताकि नाल अच्छी तरह साफ हो जाए। आखिर में स्टंप को पोंछ दें। यह कार्य धीरे करें, रगड़े नहीं और सावधानी बरतें कि स्टंप से खून न निकल जाए।

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नहलाते समय बरतें सावधानी

गर्भनाल को हमेशा सूखा और साफ रखना जरूरी है अन्यथा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। आप डिलीवरी के बाद ही डॉक्टर से इस बारे में पूछ लें कि शिशु को कब से नहलाना है। अगर नहलाने से पहले शिशु की गर्भनाल सूख कर गिरी नहीं है, तो कोशिश करें कि नाभि के आस पास की त्वचा नहाते समय गीली न हो। सूखने के बाद भी कुछ दिनों तक नाभि पर साबुन का प्रयोग न करें, बल्कि हल्के हाथ से साफ़ कर के सावधानी बरतें।

नैपी पहनाते समय बरतें सावधानी

शिशु को नैपी पहनाते समय इसकी गेटिस आमतौर पर गर्भनाल के पास ही आती है। इसलिए शुरुआती कुछ दिनों में शिशु को नैपी पहनाते समय सावधानी बरतें। नैपी ज़्यादा कस कर नहीं बांधे और इसको हमेशा गर्भनाल के नीचे ही रखें। ऐसा करने से गर्भनाल को  सूखने में मदद मिलेगी और वह अनावश्यक रगड़ या घिसाव से बचा रहेगा। गर्भनाल को किसी पट्टी या कपड़े से न ढकें क्योंकि इसे प्राकृतिक तरीके से सूखना जरूरी है।

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संक्रमण का पता चलते ही डॉक्टर को दिखाएं

कई बार साफ-सफाई के बाद भी शिशु के गर्भनाल में संक्रमण की समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर आप को शिशु के नाभि के आस पास सूजन दिखाई दे, तो इसे चिकित्सक को दिखाएं। आमतौर पर शिशु के नाभि के आस-पास की त्वचा को छूने से ही अगर शिशु रोने लगे तो, यह संक्रमण का शुरुआती संकेत हो सकता है।

गर्भनाल से खून आए, तो क्या करें?

अगर शिशु की गर्भनाल झड़ गई है फिर भी इसका थोड़ा-बहुत हिस्सा बचा हुआ है, तो उसे न तो खींचें और न ही हाथ से छेड़ें। गर्भनाल गिरने के बाद आमतौर पर कुछ खून की बूंदे निकलती हैं। मगर यदि इससे बार-बार खून निकल रहा है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। बिना डॉक्टर की सलाह के इसपर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम, तेल, पाउडर आदि न लगाएं।

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