
नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में खांसी की समस्या को आमतौर पर हम सर्दी-जुकाम का प्रभाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर कई बार लगातार खांसी आने का कारण कुछ खतरनाक रोग हो सकते हैं, जिनका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो शिशु की जान को भी खतरा होता है। ह
नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में खांसी की समस्या को आमतौर पर हम सर्दी-जुकाम का प्रभाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर कई बार लगातार खांसी आने का कारण कुछ खतरनाक रोग हो सकते हैं, जिनका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो शिशु की जान को भी खतरा होता है। हालांकि ये बात सच है कि ज्यादातर मामलों में खांसी का कारण सामान्य सर्दी-जुकाम या फ्लू होता है मगर फिर भी लगातार खांसी के इन 6 कारणों को जानना आपके लिए जरूरी है।
सर्दी-जुकाम के कारण खांसी
शिशुओं और छोटे बच्चों में खांसी आने का सबसे सामान्य कारण सर्दी-जुकाम है। इस तरह की खांसी आने पर शिशु की नाक बंद रहती है और गले में खराश भी रहती है। इसके अलावा आंखों से पानी और बुखार आने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। हालांकि नवजात अगर 1 साल से छोटा है, तो उसे खुद से कोई दवा या घरेलू उपचार न दें। बुखार या जुकाम होने पर भी आप डॉक्टर से संपर्क करें। जुकाम होने पर शिशु की धूप में मालिश करना अच्छा रहता है, पर ध्यान रखें कि इस दौरान वह ठंडी हवा से न जकड़ जाए।
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फ्लू भी हो सकता है कारण
छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोरी होती है इसलिए उन्हें फ्लू होने का भी खतरा होता है। फ्लू में आमतौर पर शिशु में खांसी और बुखार दोनों लक्षण देखे जाते हैं। इसके साथ ही फ्लू होने पर आमतौर पर शिशु को सूखी खांसी होती है इसलिए वो बहुत कम मात्रा में बलगम निकालेगा। फ्लू की आशंका होने पर भी चिकित्सक से संपर्क करें।
क्रूप डिजीज हो सकता है कारण
शिशुओं में खांसी का एक कारण क्रूप डिजीज भी है। इस रोग में शिशु के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है, जिसके कारण उसे लगातार खांसी आती है। चूंकि शिशुओं का वायुमार्ग बहुत छोटा और संकरा होता है, इसलिए उसे सांस लेने में परेशानी होती है। आमतौर पर ये बीमारी 6 महीने से 3 साल के बच्चों को ज्यादा होती है। क्रूप डिजीज में बच्चा तेज आवाज में खांसता है और किस जानवर के भौंकने जैसी आवाज आती है। ये खांसी रात में बढ़ जाती है और शिशु के गले से सीटी जैसी आवाज भी आती है। ऐसा होने पर जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करें।
टीबी के कारण खांसी
छोटे बच्चों को भी टीबी की समस्या हो सकती है। अगर शिशु को 10-12 दिन से ज्यादा समय तक खांसी आती है, तो ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं। टीबी के कारण खांसी होने पर शिशु में खांसी के साथ-साथ खून आने के लक्षण भी दिखते हैं और उसे सांस लेने में परेशानी होती है। इसके अलावा शिशु को भूख कम लगती है और बुखार भी हो सकता है।
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छोटे बच्चों को अस्थमा
अस्थमा या दमा सिर्फ बड़ों ही नहीं बच्चों को भी हो सकता है। आमतौर पर अस्थमा होने पर खांसते समय शिशु की सांस फूलती है इसके साथ ही सांस लेते समय घर्र-घर्र की आवाज भी आती है। कई बार खांसते-खांसते शिशु का दम घुटने लगता है। ऐसे में आमतौर पर रात भर शिशु सो नहीं पाता है। अस्थमा एक गंभीर बीमारी है इसलिए इसको तत्काल चिकित्सक को दिखाना जरूरी है।
काली खांसी या कुक्कुर खांसी
कुकर खाँसी फेफड़ों का अत्यंत संक्रामक बैक्टीरियल संक्रमण है, जिसे काली खांसी के नाम से भी जाना जाता है। काली खांसी में शिशु बहुत तेज खांसता है और खांसी की आवाज जानवर के भौंकने जैसी आती है। इस तरह की खांसी होने पर आमतौर पर सांस अंदर खींचते हुए खांसी आती है और शिशु को खांसी के साथ-साथ उल्टी भी हो सकती है। यह भी खतरनाक रोग है इसलिए तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
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