ग्रीन टी कब और कैसे पीएं, जानिए एक्‍सपर्ट की राय

इन दिनों ग्रीन टी को लेकर एक मेसेज वायरल हो रहा है, जिसमें इसे सेहत के लिए खतरनाक बताया जा रहा है।
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ग्रीन टी कब और कैसे पीएं, जानिए एक्‍सपर्ट की राय


ग्रीन टी का हेल्थ डिक्शनरी में विशेष स्थान हासिल है। स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने वाले लोग, खासतौर पर डाइटिंग करने वाले लोग इसे अपनी डाइट में शामिल करते हैं। आजकल एक मेसेज सर्कुलेट हो रहा है, जिसमें ग्रीन टी के नुकसानों के बारे में बताया जा रहा है। इससे लोगों के मन में आशंकाएं पनप रही हैं। सच्चाई यह है कि ग्रीन टी के कई फायदे हैं लेकिन इसमें कुछ ऐसे तत्व भी शामिल हैं, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए जानना जरूरी है कि इसे कैसे पिएं।

खाने के साथ न लें

ग्रीन टी को खाने के साथ नहीं पीना चाहिए। दरअसल ग्रीन टी में कैटेकिन (catechin) मौजूद होता है। यह तत्व शरीर में आयरन के अवशोषित होने में दिक्कत पैदा करता है, जिससे शरीर में आयरन की समस्या हो सकती है इसलिए अगर ग्रीन टी पीनी भी है तो दो मील के बीच में पिएं और खाने में विटमिन सी और आयरन की मात्रा बढ़ा दें।

गर्भावस्था में बचें

गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली स्त्रियों को दिन में दो कप से ज्य़ादा ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए। इसका ज्य़ादा मात्रा में सेवन गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इतनी मात्रा में 200 एमजी कैफीन होता है, इससे अधिक कैफीन गर्भावस्था में खतरनाक हो सकता है। कैफीन दूध के जरिये शिशु तक भी पहुंचता है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता।

खाली पेट न लें

एक कप ग्रीन टी में 24-25 एमजी कैफीन होता है। अगर आप दिन में चार से पांच कप ग्रीन टी पीती हैं तो कैफीन की मात्रा इतनी बढ़ जाएगी कि इसके कारण घबराहट, चक्कर, डायबिटीज, कब्ज,अनिद्रा, सीने में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खाली पेट भी ग्रीन टी का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

दवाओं के साथ न लें

ग्रीन टी कुछ दवाओं के साथ मिलकर नुकसान पहुंचाती है। खासतौर पर ऐसी दवाएं जो नर्वस सिस्टम के लिए होती हैं, उनके साथ ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए। दरअसल ग्रीन टी में मौजूद कैफीन नर्वस सिस्टम को प्रोऐक्टिव कर देता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती हैं।

ध्यान रखें

ऑस्टियोपोरोसिस वह स्थिति है, जब कैल्शियम की अधिक कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ग्रीन टी की वजह से हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम का इस्तेमाल नहीं हो पाता और वह शरीर से बाहर निकल जाता है। ऐसे में कैल्शियम की कमी ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ा सकती है।

संगीता सिंह
इनपुट्स : डॉ. वसुंधरा सिंह, न्यूट्रिशनिस्ट, एम्स, दिल्ली

 

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