हाल ही में एक रिसर्च की गई है जिसमें पाया गया है कि अमेरिका के ग्रेट लक्स रिज़न में आम मछलियों के दिमाग में ह्यूमन एंटी-डिप्रेसेंट्स का निर्माण हो रहा है। शोधकर्ताओं को नियाग्रा नदी में पाए जाने वाली मछलियों की 10 प्रजातियों के दिमाग में इन दवाइयों की भारी मात्रा होने के बारे में पता चला। ये पाइपलाइन लेक एरी और लेक ओंटारियो को नियाग्रा फॉल्स के माध्यम से जोड़ती है।
अमेरिका की बुफैलो यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता डायना आगा का कहना है कि नदी में एंटी-डिप्रेसेंट्स की खोज ने एन्वायरमेंट की चिंताओं को बढ़ा दिया है। ये इंग्रेडिएंट्स जो वेस्ट-वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स से नदी में आ रहे हैं, वो मछलियों के दिमाग में जमा होते जा रहे हैं। ये एक चिंता का विषय है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, ये एंटी-डिप्रेसेंट्स मछलियों के खाने के बेहेवियर पर प्रभाव डाल सकती हैं और कई मछलियों को अपने शिकारी के होने तक का पता नहीं चल पाता है। हालांकि आगा लैब के शोधकर्ता रैंडोल्फ सिंह का कहना है कि बेशक मछलियों में पाई जाने वाली इन एंटी-डेप्रेसेंट्स से इन मनुष्यों को खतरा नहीं है जो मछली खाते हैं।
Read More Articles On Healthy Eating In Hindi