Yamuna River high Fecal Coliform know the Side Effects on skin: सूर्य की उपासना का महापर्व छठ समाप्त हो चुका है। भारत समेत दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से छठ पूजा के वीडियो सामने आ रहे हैं। लेकिन राजधानी दिल्ली की यमुना नदी में मनाए गए छठ पर्व सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। क्योंकि यमुना में बढ़े प्रदूषण के कारण बने जहरीले झाग में महिलाओं ने सिर्फ आस्था की डुबकी नहीं लगाई, बल्कि इस झाग से अपने बाल और चेहरे को धोती नजर आईं। सोशल मीडिया साइट्स पर वायरल हो रहे वीडियोज में साफ देखा जा सकता है कि महिलाएं यमुना के जहरीले झाग से महिलाएं रगड़-रगड़कर बालों को साफ कर रही हैं।
वायरल हो रहे वीडियो पर एक यूजर ने कमेंट में लिखा- अरे दीदी वो शैम्पू नहीं है। वहीं, दूसरे यूजर ने लिखा- हर झाग शैम्पू नहीं होता। तीसरे यूजर ने लिखा- दीदी तो शैंपू समझ कर ही बालों में रगड़ते जा रही हैं। दिल्ली की यमुना नदी में बढ़े जहरीले झाग के बाद यह जानना जरूरी है कि यह आता कहां से है और इसे त्वचा को क्यों नुकसान हो सकते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको इसी विषय के बारे में बताने वाले हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स स्मार्ट अस्पताल के त्वचा विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. कशिश कालरा से बात की (Dr. Kashish Kalra, Head of Dermatology Dept and Consultant at Max Smart Hospital - Saket, New Delhi)।
Arre didi woh shampoo nahi hai 😬🤮 pic.twitter.com/4shRnYh8tW
— Manish RJ (@mrjethwani_) November 7, 2024
दिल्ली की यमुना नदी में झाग क्यों बनता है?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना के पानी में फास्फेट की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गई है। वर्तमान में दिल्ली की यमुना में फास्फेट की मात्रा 6.9 मिलीग्राम/लीटर से लेकर 13.42 मिलीग्राम/लीटर तक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यमुना में झाग बनने का मुख्य कारण नालों से बिना ट्रीटमेंट के सीवेज का गंदा पानी छोड़ने, यमुना किनारे मौजूद फैक्ट्रियों की गंदगी जाने और ओखला बैराज के कैचमेंट एरिया में जलकुंभी की मौजूदगी है। दरअसल, गंदगी और प्रदूषण के कारण यमुना के पानी में फेकल कोलीफॉर्म बन रहा है, जिसकी वजह से झाग नजर आ रहा है।
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फेकल कोलीफॉर्म क्या है?- What is fecal coliform?
डॉ. कशिश कालरा के अनुसार, फेकल कोलीफॉर्म एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो मुख्य रूप से मनुष्यों और जानवरों के मल में पाया जाता है। यह ई-कोली (E. coli) बैक्टीरिया के परिवार का हिस्सा है, जो दूषित जल में पाया जाता है। अगर यमुना या किसी भी प्रमुख नदी में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा बढ़ती है, तो यह इस बात को दर्शाता है कि पानी में सीवेज, फैक्ट्रियों का कचरा और मल मूत्र की मात्रा बहुत ज्यादा हो गई है।
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त्वचा के लिए फेकल कोलीफॉर्म के नुकसान- Harmful effects of fecal coliform on skin
डॉ. कशिश कालरा का कहना है कि फेकल कोलीफॉर्म युक्त पानी का इस्तेमाल करने से त्वचा को कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैंः
1. स्किन इंफेक्शन
फेकल कोलीफॉर्म युक्त पानी के संपर्क में आने से त्वचा पर संक्रमण हो सकता है, जिससे खुजली, लालिमा और त्वचा की सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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2. एलर्जी
फेकल कोलीफॉर्म युक्त पानी के संपर्क में आने या इस बैक्टीरिया युक्त पानी में नहाने से स्किन एलर्जी हो सकती है। कुछ मामलों में, प्रदूषित पानी से प्रभावित छोटी-छोटी खुली चोटें संक्रमित हो जाती हैं; वे त्वचा को और भी खराब कर सकती हैं।
3. एक्जिमा
फेकल कोलीफॉर्म युक्त पानी के संपर्क में लंबे समय तक रहने से त्वचा ड्राई और डैमेज हो जाती है। इतना ही नहीं प्रदूषित पानी के संपर्क में रहने से एक्जिमा की समस्या भी हो सकती है।
डॉ. कशिश कालरा का यह भी कहना है कि दिल्ली की यमुना नदी के पानी में डुबकी लगाने और उसमें नहाने की वजह से आंखों में जलन, खुजली और कान के संक्रमण जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए दिल्ली की यमुना का पानी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
Image Credit: Social Media
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